मुंबई पुलिस के वकील के आश्वासन देने के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े की याचिका खारिज कर दी है. समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) ने मुंबई पुलिस द्वारा कभी भी उन्हें गिरफ्तार किए जाने की आशंका के चलते गुरुवार को हाई कोर्ट का रुख किया था.
हाई कोर्ट में मुंबई पुलिस की ओर से पैरवी करने वाले वकील ने कोर्ट को आश्वासन दिलाया कि मुंबई पुलिस ऐसी किसी भी कार्रवाई के तीन दिल पहले नोटिस देगी. जिसके बाद कोर्ट ने समीर वानखेड़े की याचिका को खारिज कर दिया. सरकारी वकील ने बताया कि ये मामला भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम से संबंधित है, इसलिए अपराध दर्ज करने के 72 घंटों के पहले हम नोटिस देंगे.
As the petition is in respect to Prevention of Corruption Act, we will give prior notice of 72 hours if we will register an offence under the Act, says Maharashtra government's lawyer.
— ANI (@ANI) October 28, 2021
केंद्रीय जांच एजेंसी से करवाएं मामले की पड़ताल
महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि समीर वानखेड़े के खिलाफ चार अलग-अलग मामले दर्ज हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में जो जांच शुरू हुई है उसमें एक एसीपी लेवल अधिकारी ने पड़ताल शुरू की है. वकील ने बताया कि जांच अभी शुरुआती स्टेज में है इसलिए वानखेड़े के खिलाफ अभी तक FIR दर्ज नहीं की गई है. महाराष्ट्र सरकार द्वारा शुरू की गई इसी कार्रवाई के खिलाफ वानखेड़े ने मुंबई हाई कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने मांग की थी कि इस मामले की जांच सीबीआई या किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से कराई जानी चाहिए.
वानखेड़े ने अदालत से कहा, “मुझ पर राज्य सरकार द्वारा व्यक्तिगत हमले किए गए हैं. मुझे आशंका है कि वो मुझे गिरफ्तार कर लेंगे. मैं किसी भी दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ अंतरिम सुरक्षा चाहता हूं.” इसी के साथ उन्होंने महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा की गई जांच को किसी केंद्रीय एजेंसी या CBI को ट्रांसफर करने की भी अपील की थी.
वानखेड़े पर लगे हैं जालसाजी और रंगदारी के आरोप
क्रूज ड्रग्स मामला, जिसमें शाहरुख खान का बेटा आर्यन खान गिरफ्तार किया गया है, की जांच कर रहे एक अधिकारी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. माना जा रहा है कि इसके बाद अब रडार पर NCB के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े हैं. जिनके खिलाफ राज्य में कई आरोप लगाए गए हैं. उनपर प्रक्रियात्मक अनियमितताओं और रंगदारी के अलावा दस्तावेजों की जालसाजी का भी आरोप लगाया गया है.