कारोबारताज़ा ख़बर

रिलायंस और अरामको के बीच 15 अरब डॉलर की डील रद्द, अब नए सिरे से होगा मूल्यांकन

अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने सऊदी अरब की कंपनी सऊदी अरामको को अपनी तेल रिफाइनरी और पेट्रोरसायन कारोबार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के प्रस्तावित 15 अरब डॉलर के सौदे के पुनर्मूल्यांकन की घोषणा की है. शुक्रवार देर रात हुई इस घोषणा से पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज इस सौदे को लेकर दो बार स्व-निर्धारित समयसीमा से चूकी है.

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुक्रवार को कहा कि दोनों कंपनियों ने भारतीय फर्म के नए ऊर्जा कारोबार में प्रवेश के मद्देनजर प्रस्तावित निवेश का पुनर्मूल्यांकन करने पर सहमति जताई है. हिस्सेदारी बिक्री के लिए बातचीत की खबर पहली बार अगस्त, 2019 में आधिकारिक तौर पर सामने आई थी. इस बीच, तीन वर्षों में रिलायंस ने वैकल्पिक ऊर्जा में 10 अरब डॉलर का निवेश करके नए ऊर्जा कारोबार में प्रवेश किया. इसके मद्देनजर इस सौदे का पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है.

अगस्त 2019 में की थी हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत की घोषणा

अंबानी ने अगस्त 2019 में कंपनी के शेयरधारकों की वार्षिक आम बैठक में ओ2सी व्यवसाय में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत की घोषणा की थी. उन्होंने उस समय कहा था कि सौदा मार्च 2020 तक पूरा हो जाएगा, हालांकि यह समयसीमा चूक गई. कंपनी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते लगाए गए प्रतिबंधों के कारण ऐसा हुआ.

अंबानी ने इस साल भी एजीएम में कहा कि यह सौदा साल के अंत तक पूरा हो जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में बड़े निवेश की घोषणा भी की. हालांकि, अरामको सौदे के लिए नई समयसीमा और नए ऊर्जा कारोबार में प्रवेश की घोषणा एक साथ की गई थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जून से लेकर अब तक क्या बदलाव हुए, जिससे पुनर्मूल्यांकन की जरूरत पड़ी.

ओ2सी कारोबार में हिस्सेदारी लेना चाहती है अरामको?

रिलायंस ने ओ2सी कारोबार को कंपनी से अलग करने के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष किए गए आवेदन को भी वापस लेने का फैसला किया है. नया ऊर्जा कारोबार आरआईएल की अलग सहायक कंपनी के अधीन है. ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि इससे ओ2सी कारोबार की हिस्सेदारी बिक्री के लिए बातचीत पर कैसे असर पड़ा.

यह भी साफ नहीं है कि यदि अरामको अभी भी ओ2सी कारोबार में हिस्सेदारी लेना चाहती है, और सौदा भविष्य में पूरा हो सकता है, तो एनसीएलटी के समक्ष कारोबार को अलग करने के आवेदन को वापस क्यों लिया गया. यह भी साफ नहीं है कि क्या अरामको की दिलचस्पी नए ऊर्जा कारोबार में भी है, और इसलिए एक नए सौदे पर काम करने की जरूरत पड़ी. इस बारे में कंपनी के प्रवक्ता को भेजे गए एक ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया था.

तेल रिफाइनिंग और पेट्रोरसायन कारोबार के लिए था अरामको का प्रस्ताव

आरआईएल ने शुक्रवार रात एक बयान में कहा था, ‘‘कंपनी के व्यापार पोर्टफोलियो की विकसित होती प्रकृति के कारण रिलायंस और सऊदी अरामको ने पारस्परिक रूप से यह तय किया है कि दोनों पक्षों के लिए बदले हुए संदर्भ के मद्देनजर ओ2सी (तेल से लेकर रसायन तक) व्यवसाय में प्रस्तावित निवेश का पुनर्मूल्यांकन करना फायदेमंद होगा.’’

भारतीय कंपनी ने कहा कि अरामको का प्रस्तावित निवेश सिर्फ तेल रिफाइनिंग और पेट्रोरसायन कारोबार के लिए था, लेकिन अब रिलायंस हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भी है जिसकी वजह से इस सौदे पर नए सिरे से काम करने की जरूरत है. हालांकि, कंपनी ने इस सौदे के लिए कोई संभावित समयसीमा नहीं बताई है. बयान में कहा गया है कि पिछले दो साल के दौरान दोनों कंपनियों की टीमों ने कोविड-19 की वजह से लागू अंकुशों के बावजूद जांच-परख की प्रक्रिया के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए.

The Global Post

The Global Post Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 5 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button