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नई कैबिनेट से भी ‘क्षेत्रीय असंतुलन’ बरकरार! 16 जिलों से कोई मंत्री नहीं और 4 जिलों से आधा मंत्रिमंडल, CM के 6 सलाहकार

राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी गतिरोध दूर करने के मद्देनज़र कैबिनेट में फेरबदल और विस्तार किया गया. हालांकि नए मंत्रिमंडल से भी कई विधायक खुश नहीं हैं और इससे जातीय समीकरण तो साध लिए गए हैं लेकिन क्षेत्रीय असंतुलन पैदा होने की स्थिति बन गई है. गहलोत के नए मंत्रिमंडल में राजस्थान के 16 जिलों से एक भी मंत्री नहीं है जबकि आधा कैबिनेट राज्य के सिर्फ 4 जिलों से आता है. मंत्रिमंडल में भरतपुर और जयपुर का दबदबा है, जहां से 4-4 मंत्री बना दिए हैं.

जातीय समीकरण की बात करें तो कैबिनेट में जाट-एसटी, दलितों को टॉप पर रखा है और जाट और एसटी वर्ग के 5-5 मंत्री हैं. पहली बार दलित वर्ग से 4 कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं और सचिन पायलट ने इसे लेकर ख़ुशी भी जाहिर की है. इसके अलावा राजपूत, वैश्य वर्ग से 3-3 मंत्री हैं जबकि मुस्लिम और गुर्जर वर्ग से 2-2 मंत्री बनाए हैं. इनके अलावा यादव, पटेल और बिश्नोई वर्ग से भी एक-एक मंत्री को कैबिनेट में जगह दी गई है.

इन तीन वोट बैंक पर है कांग्रेस की नजर

नई कैबिनेट में जाट, एसटी और दलित वोट बैक को साधने का प्रयास किया है. जानकारों के मुताबिक जाट, एसटी और दलित कांग्रेस का कोर वोट बैंक था, लेकिन अब इन वर्गों में बीजेपी का प्रभाव बढ़ रहा है जिससे पार्टी चिंतित है. कांग्रेस इस बड़े और कोर वोट बैंक को साधने के लिए इन वर्गों के ज्यादा मंत्री बनाए हैं.

16 जिलों से कोई मंत्री नहीं!

राजस्थान के 16 जिलों से कैबिनेट में कोई मंत्री नहीं है. पाली, झालावाड़ से कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है, इसलिए यहां से मंत्री नहीं बने. अजमेर, नागौर, उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, सिरोही, धौलपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, राजसमंद से कोई मंत्री नहीं है. नई गहलोत कैबिनेट में केवल चार जिलों से ही 16 मंत्री हैं. जयपुर, भरतपुर से 4-4 , बीकानेर—दौसा से 3-3 मंत्री हैं. बांसवाड़ा, अलवर और झुंझुनू में 2-2 मंत्री बनाए हैं. बाड़मेर, जैसलमेर, भीलवाड़ा, करौली, कोटा, बारां, चित्तौड़गढ, बूंदी, जालौर से एक एक मंत्री हैं. जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा कोई मंत्री नहीं है.

6 विधयाकों को बनाया गया सलाहकार

मंत्री बनने से ​वंचित रहे छह विधायकों को मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाया है, इन्हें मंत्री का दर्जा मिलेगा. इनमें तीन निर्दलीय और तीन कांग्रेस विधायक शामिल हैं. कांग्रेस विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह, राजकुमार शर्मा, दानिश अबरार, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा बाबूलाल नागर, रामकेश मीणा को सलाहकार बनाया है. सभी विधायक गहलोत समर्थक हैं और ये मंत्री बनने के दावेदार थे. सीएम के सलाहकार नियुक्त होने के बाद अब करीब 15 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है. सीएम आज कल में ससंदीय सचिव नियुक्त कर सकते हैं. जिन छह विधायकों को सलाहकार बनाया है उनमें पहले सचिन पायलट खेमे में रहे और बगावत के बाद गहलोत खेमे में आए दानिश अबरार का नाम सबसे चर्चा में है.

ये हैं सीएम के 6 सलाहकार:

1. राजकुमार शर्मा: राजकुमार शर्मा पिछली बार बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे. उस वक्त उन्हें चिकित्सा राज्य मंत्री बनाया था. झुंझुनूं से बृजेंद्र ओला और राजेंद गुढ़ा को सियासी समीकरण साधने के लिए मंत्री बनाना जरूरी था. इसलिए अब इन्हें सलाहकार बनाकर संतुष्ट किया गया है.

2. डॉ जितेंद्र सिंह: सीएम के सलाहकार बनाए गए डॉ. जितेंद्र सिंह गहलोत के पिछले राज में ऊर्जा मंत्री थे. इस बार भी मंत्री बनने के दावेदार थे. गुर्जर समाज से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में गिनती होती है. गुर्जर समाज से महिला विधायक शकुंतला रावत को कैबिनेट मंत्री बना दिया था, इसके बाद वे मंत्री नहीं बन सके.

3. संयम लोढ़ा: संयम लोढ़ा सिरोही से निर्दलीय जीते और सरकार का समर्थन किया. सियासी संकट के वक्त लोढ़ा ने मुखरता से सीएम गहलोत का पक्ष लिया. लोढ़ा मंत्री बनने के दावेदार थे, लेकिन फॉर्मूले में फिट नहीं बैठे. संयम लोढ़ा ने कई बार पायलट कैंप को निशाने पर लिया था.

4. दानिश अबरार: सवाईमाधोपुर से कांग्रेस विधायक दानिश अबरार पहले पायलट खेमे में थे और पिछले साल सियासी संकट में गहलोत खेमे में आए. उस वक्त की वफादारी का अब सियासी इनाम दिया है. अल्पसंख्यक चेहरे के तौर पर भी भागीदारी दी है.

5. रामकेश मीणा: निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा सीएम के खास हैं. पिछली बार बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे, तब ससंदीय सचिव थे. इस बार भी गंगापुर से निर्दलीय जीतते ही गहलोत का समर्थन किया था.

6. बाबूलाल नागर: बाबूलाल नागर गहलोत के पिछले राज में खाद्य मंत्री थे. इस बार टिकट कटने के कारण बगावत करके दूदू से निर्दलीय लड़े. नागर शुरू से ही कट्टर गहलोत समर्थक रहे हैं.

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