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सेना की महिला अधिकारी ने पहली बार संभाला ‘सड़क निर्माण यूनिट’ का जिम्मा, BRO ने सौंपी जिम्मेदारी

सीमा सड़क संगठन ने उत्तराखंड में अपनी 75 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए पहली बार एक महिला सेना अधिकारी (Woman Army Officer) को ऑफिसर कमांडिंग नियुक्त किया है. रक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा कि मेजर आइना के तहत तीन प्लाटून कमांडर कैप्टन अंजना, AEE (असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर) (Civ) भावना जोशी और AEE (Civ) विष्णुमाया पहली महिला आरसीसी बनी हैं.

यह नियुक्ति 30 अगस्त को की गई थी. बीआरओ ने रविवार को उन महिला अधिकारियों की सूची का स्मरण किया, जिन्हें चालू वर्ष में संगठन में उच्च नेतृत्व की भूमिका सौंपी गई थी. रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, बीआरओ ने पिछले कुछ सालों में अधिकारियों से लेकर वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस धारकों के स्तर तक बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने कार्यबल में शामिल किया है.

बयान में कहा गया है कि एक जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स अधिकारी EE (Civ) वैशाली एस. हिवासे ने 28 अप्रैल को 83 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी की बागडोर संभाली थी, जो फिलहाल मुनिसैरी-बगदियार-मिलम को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण भारत-चीन सड़क पर कार्यरत हैं. यह एक प्रतिकूलताओं और चुनौतियों से भरा क्षेत्र है. महिला सेना अधिकारी ने इस क्षेत्र में नियंत्रण स्थापित कर लिया है और अपने कार्यों को सावधानीपूर्वक तरीके से करने के लिए निष्पादन के साथ प्रभारी का नेतृत्व भी कर रही हैं.

बीआरओ ने 30 अगस्त को रचा था इतिहास

बयान के मुताबिक, बीआरओ ने 30 अगस्त को तब फिर से इतिहास रच दिया था, जब प्रोजेक्ट शिवालिक की मेजर आइना ने उत्तराखंड में चमोली जिले के पीपलकोटी में 75 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनीज (Road Construction Companies) के ऑफिसर कमांडिंग के रूप में कार्यभार संभाला था. वह सड़क निर्माण कंपनी की कमान संभालने वाली पहली भारतीय सेना इंजीनियर अधिकारी (Indian Army Engineer Officer) हैं.

इतना ही नहीं, उनके अधीन तीनों प्लाटून कमांडर- कैप्टन अंजना, एईई (Civ) भावना जोशी और AEE (Civ) विष्णुमाया महिला अधिकारी हैं और उन्होंने मिलकर पहली महिला आरसीसी बनाई है. बॉर्डर रोड्स की योजना ऐसी सभी महिलाओं के नेतृत्व वाली चार आरसीसी बनाने की है, जिनमें से प्रत्येक उत्तर पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में दो-दो हैं.

अमृत महोत्सव का 75वां साल मना रहा भारत

भारत आजादी के अमृत महोत्सव का 75वां साल मना रहा है. यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में हमारे राष्ट्र के चल रहे प्रयासों का भी जश्न मनाता है. बयान में कहा गया है कि महिलाओं ने आज राष्ट्र निर्माण में अग्रणी और हमारे मजबूत राष्ट्रीय चरित्र के प्रतिनिधियों के रूप में अपना सही स्थान ग्रहण करना शुरू कर दिया है.

बीआरओ ने पिछले छह दशकों में धीरे-धीरे और स्थिर तरीके से सड़क निर्माण की अलग-अलग भूमिकाओं और ड्यूटी में काम करने के लिए महिलाओं की संख्या में इजाफा किया है. महिलाओं को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार और उत्तरदायित्व दिया गया है. इसके जरिए बीआरओ उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास कर रहा है. ये महिलाएं अपने-अपने क्षेत्रों में नारी शक्ति का एक प्रतीक बन गई हैं.

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