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मंकीपॉक्स का प्रकोप हमारे लिए नींद से जगाने वाला है :सौम्या स्वामीनाथन

नई दिल्‍ली : विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की मुख्‍य वैज्ञानिक सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने यू में उन्‍होंने बताया कि 1979-80 से स्‍मालपॉक्‍स वैक्‍सीनेशन कार्यक्रम को रोक दिया गया है. उन्‍होंने कहा कि मंकीपॉक्‍स का प्रकोप हमारे लिए “नींद से जगाने वाला” रहा है क्‍योंकि हमें हर समय घातक प्रकोप से बचाव के लिए खुद को तैयार रखने कीजरूरत है.उन्‍होंने कहा, “हमारे पास अभी स्‍मालपॉक्‍स के सेकंड और थर्ड जनरेशन के वैक्‍सीन हैं लेकिन इनकी बेहद सीमित डोज हैं. यदि स्‍मालपॉक्‍स का प्रकोप जैविक और आकस्मिक होता है तो देश इन वैक्‍सीन का भंडारण कर रहे हैं. ”

सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने बताया कि डेनमॉर्क स्थित एक कंपनी बावरियन नॉर्डिक (Bavarian Nordic) ने मंकीपॉक्‍स का वैक्‍सीन विकसित किया है लेकिन इसका प्रभावशीलता का कोई डेटा नहीं है. यह डेटा तत्‍काल एकत्र करने की जरूरत है. इस सवाल पर कि क्‍या मंकीपॉक्‍स, कोविड के एक म्‍यूटेंट वायरस से भी बदतर हो सकता है, डब्‍ल्‍यूएचओ की चीफ साइंटिस्‍ट ने कहा कि दोनों की सीधी तुलना नहीं की जा सकती है. डेटा उपलब्‍ध नहीं होने के बावजूद यह साफ है कि मंकीपॉक्‍स अलग वायरस है और कोविड की समान गति से म्‍यूटेट नहीं होगा.उन्‍होंने कहा, “हमें सीक्‍वेंसिंग और अन्‍य सभी बातें करने की जरूरत है. हमें डेटा के ग्‍लोबल शेयर‍िंग की जरूरत है. फिलहाल हमें इसे महामारी बनने से रोकना होगा. हमने इसे जल्‍दी “पकड़” लिया है. ” भारत की बात करें तो यहां मंकीपॉक्‍स के अब तक चार केस आए हैं इसमें तीन केस केरल में और एक केस दिल्‍ली में रिपोर्ट हुआ है.

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