जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तैनात ड्यूटी डॉक्टर की लापरवाही से घंटों तड़पता रहा मरीज।
डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि मौके पर डॉक्टर लोगों की जान बचाया करते हैं लेकिन जब डॉक्टर अपने पेशे को लेकर संजीदा ना हो लगातार लापरवाही बरत रहे हो तो ऐसे में इनसे किस प्रकार निपटा जा सकता है क्योंकि घटनाएं दुर्घटनाएं किसी के साथ कभी भी हो जाती है तो पीड़ित भगवान स्वरूप धरती पर मौजूद डॉक्टर के पास जीवन रक्षा के लिए तुरंत पहुंचता है । लेकिन जब भगवान स्वरूप डॉक्टर मनमानी पर उतर आएं तो फिर भगवान के पास जाना पड़ सकता है। ऐसा ही एक मामला अमेठी जनपद मुख्यालय गौरीगंज के असैदापुर स्थित मलिक मोहम्मद जायसी संयुक्त जिला चिकित्सालय का है जहां इमरजेंसी में एक मरीज रात लगभग सवा दस बजे पहुंचता है, वार्ड ब्वाय और फार्मासिस्ट अपनी ड्यूटी निभाते हुए मरीज को अटेंड करते हैं। लेकिन बिना इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के वे असहाय हो जाते हैं। ईएमओ डॉ नीरज कुमार गौतम को फार्मासिस्ट द्वारा फोन कर आए हुए मरीज की जानकारी दी जाती है, इसके अतिरिक्त सीएमएस और जिले के सीएमओ से लगातार फोन पर शिकायत करने बाद डॉ नीरज कुमार गौतम लौट कर रात पौने बारह बजे आते हैं ड्यूटी पर और आते ही तीमारदारों पर अपनी नाराजगी जताई। अब इन डॉक्टर साहब को कौन बताए कि इमरजेंसी बता कर और डॉक्टर की सुविधानुसार नही आती है। बहरहाल नाराजगी जताने के बाद तब कहीं जाकर मरीज का इलाज शुरू होता है। वहीं मौके पर मौजूद एक न्यूज चैनल के पत्रकार ने जब मरीज के इलाज में देरी और डॉक्टर की गैर हाजिरी के बारे में पूंछा तो डॉक्टर साहब ने पहले तो पत्रकार से पूछा कि किसकी परमिशन लेकर अस्पताल में घुसे हो और अपने साथी से कहा कि पुलिस बुलाकर इनको बाहर निकलवावो इसके बावजूद जब पत्रकार लगातार अड़ा रहा तब डॉक्टर साहब ने कैमरे के सामने क्या खूब जवाब दिया आप भी सुनकर दंग रह जायेंगे। सुनिए….. ऊपर वीडियोो में
इस मामले को लेकर जब सुबह जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष दुबे से बात की गई तो सीएम साहब ने बताया कि हमारे जिला अस्पताल में डॉक्टरों की नितांत कमी है सिर्फ 6 डॉक्टर जिला अस्पताल को चला रहे हैं जिला अस्पताल का मामला है आपने संज्ञान में लाया है इस पर मैं अधीक्षक और सीएमएस से बात करके इस पर कार्यवाही करता हूं। अब यह देखने वाली बात होगी कि सीएमओ साहब के द्वारा इस तरह के लापरवाह डॉक्टर के विरुद्ध किस प्रकार की कार्यवाही की जाती है सबसे बड़ी बात तो यह है कि कार्यवाही की भी जाती है अथवा मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।