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भारत के विभाजन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए सीएम को पत्र लिखेंगी महापौर

लखनऊ। इंदिरानगर के समुदायिक केंद्र में मानस सिटी रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी द्वारा अखण्ड भारत मोहोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में महापौर संयुक्ता भाटिया ने द्वीप प्रज्वलित कर एवं भारत माता की आरती कर कार्यक्रम का  शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अवध प्रान्त के सह प्रान्त प्रचारक मनोज ने अखंड भारत की परिकल्पना और उसके उद्देश्यों को साझा किया।
इस मौके पर महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि आज ही के दिन देश का विभाजन हुआ था और पाकिस्तान नाम से एक अलग देश का निर्माण हुआ था। जहां एक ओर पूरा देश 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा हमारे आने वाले पीढ़ी को हमारे राष्ट्र की अखण्डता का पाठ पढ़ा रहे हैं। इसके लिए मैं आप सभी का आभार जताती हूँ। पहले जहां यह कार्यक्रम सिर्फ शाखाओं पर ही मनाया जाता था परन्तु समाज के कार्यक्रम रूप में अखंड भारत दिवस मनाए जाने पर मैं सोसाइटी और इसके अध्यक्ष का भी आभार जताती हूँ।
महापौर ने आगे बताया पिछले लगभग बारह सौ वर्षों में भारतवर्ष की सीमायें लगातार सिकुड़ती जा रही हैं। कई भाग भारत से अलग हो गया है। भारत भूखण्ड में अनेकों राज्य थे लेकिन उन सब में सांस्कृतिक रूप से एक ही राष्ट्र तत्व मौजूद था जोकि भारत भूखंड को एक राष्ट्र के रूप में बनाया है। और ये विभाजन अस्थायी है।
संयुक्ता भाटिया ने बताया कि 1937 से लेकर 1947 तक के बीच मे ही भारत से भूभाग टूट कर म्यांमार, बांग्लादेश, पाकिस्तान देश बने, लेकिन हमारी पीढ़ी को सिर्फ पाकिस्तान के विभाजन की बात ही याद कराई जाती है। महापौर में कहा कि ये तीनों देश ही अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं। कहते हैं जब बच्चे अपने परिवार और संस्कृति से अलग होते हैं तो वह अस्थिर हो जाते हैं, यही नियति है। जब तक नियति द्वारा निर्धारित अखंडता को पुनः स्थापित नहीं किया जायेगा तब तक ये अशांति समाप्त नहीं होगी। इसके लिए आवश्यक है कि इतिहास का सबको बोध कराया जाना चाहिए।
महापौर संयुक्ता भाटिया ने उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे सामने यहूदी राष्ट्र इजराईल का उदहारण है। लगभग दो हज़ार वर्षों तक दुनिया के सत्तर देशों में विस्थापित जीवन बिताते हुए और हर प्रकार के अत्याचार और भेदभाव का शिकार बनने के बाद बीसवीं सदी के प्रारंभ में कुछ यहूदी नेताओं ने प्रतिवर्ष एक स्थान पर मिलने का क्रम प्रारंभ किया और अपने संस्कृति को अपनी पीढ़ियों में जिंदा रखा और अपने यहूदी राष्ट्र को पुनः स्थापित करने का संकल्प दोहराने का क्रम बनाया। उनका ये संकल्प लगभग आधी सदी से भी कम समय में पूरा हो गया और यहूदी राष्ट्र इजराईल का उदय हुआ।
महापौर ने कहा कि हम सब को आज 15 अगस्त को इस बात का संकल्प लेना होगा की इस प्राचीन राष्ट्र को पुनः अपना खोया हुआ गौरव प्राप्त कराने और एक संगठित, समृद्ध, शक्तिशाली राष्ट्र का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ाना ही हमारी नियति है। जिसे अपने पुरुषार्थ से हमें प्राप्त करना है।
महापौर ने आगे कहा कि देश के लोगों को संकल्प लेना चाहिए की चाहे जैसे भी हो और चाहे कोई भी रास्ता अपनाना पड़े विभाजन समाप्त होंकर पुनः अखंड भारत का निर्माण होना चाहिए । इसके लिए अखंड भारत का संकल्प प्रति वर्ष दोहराना इसलिए भी आवश्यक है ताकि हमें ये याद रहे की हमें पुनः जुड़कर एक होना है।
उन्होंने कहा कि अखण्ड भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए भारत कब कब विभाजित हुआ? अखण्ड भारत का इतिहास को को आगामी पाठ्यक्रम में लाना होगा जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को अखण्ड भारत दिवस की परिकल्पना को साकार किया जा सके। इसके लिए मैं मुख्यमंत्रीको पत्र लिखकर आग्रह करूंगी।
इस मौके पर महापौर संयुक्ता भाटिया के साथ कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अवध प्रान्त के सह प्रान्त प्रचारक मनोज, सेवा भारती की वरिष्ठ प्रचारिका साधना, सोसाइटी के अध्यक्ष एमबी सिंह के साथ बड़ी संख्या में कई लोग उपस्थित रहे।

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