लखनऊ। कोरोना वायरस एक वायरल संक्रमण है, जो सीधे हमारी इम्युनिटी को प्रभावित करता है, जिससे शरीर पर कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं। एलोपैथी में कोरोना का बहुत अच्छा इलाज भी नहीं है। यही नहीं, एलोपैथी में अब तक कोई भी ऐसी वैक्सीन नहीं बनी है, जो इम्युनिटी को बूस्ट करती हो। ऐलोपैथी करीब 200 साल पुराना विज्ञान है, जबकि आयुर्वेद 5000 साल पुरानी पद्धति है और इसकी सामाजिक मान्यता भी है।
आयुर्वेद, योग और प्राणायाम से हम अपनी इम्युनिटी को बढ़ा सकते हैं और कोरोना जैसे संक्रमण से खुद को बचा सकते हैं। यह बातें डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.विक्रम सिंह ने गुरुवार को सरस्वती कुंज निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं अनमोल’ कार्यक्रम में कही।
डॉ.विक्रम सिंह ने कहा कि तीसरी लहर आएगी यह तय है, लेकिन दूसरी लहर की अपेक्षा इसका प्रभाव कम होगा। अभी तक जो भी शोध हुए हैं, उनमें यह निष्कर्ष निकला है कि ऐसा कोई संकेत नहीं है कि बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी वायरस में इतना बदलाव नहीं होता है कि वह 3 महीने में वयस्क से सीधे बच्चों को प्रभावित करे। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में बच्चे कम प्रभावित हुए।
विशिष्ट वक्ता उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के पूर्व सचिव डा. पीके त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश में 500 से अधिक गोशालाएं और 5500 संरक्षण केन्द्र हैं। एक सर्वे के मुताबिक, जो लोग इनसे जुड़े थे, उन्हें कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है।
कार्यक्रम अध्यक्ष विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय ने बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहली और दूसरी लहर के अनुभवों से लोगों में जागरूकता आई है। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बच्चों में भय पैदा न होने दें। उन्होंने प्राचीन चिकित्सा पद्धति पर जोर देते हुए कहा कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सुवर्ण प्राशन सबसे कारगर औषधि ही नहीं वैक्सीन का काम करती है, जो कोरोना की तीसरी लहर से भी बचाने का काम करेगी।