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शहरों के बाद अब बदले साहित्‍यकारों के नाम, अकबर इलाहाबादी का नाम बदल अकबर प्रयागराजी किया; शिक्षा विभाग ने किया वेबसाइट हैक होने का दावा

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शहरों की वास्तविक पहचान को कायम रखने और उसकी पुरानी संस्कृति और जड़ों से लोगों को जोड़े रखने के उद्देश्य से उनके प्राचीन नाम बहाल करने में लगी है. इसी के चलते सरकार ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया गया था. इसी बीच प्रदेश के उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट में यहां के नामी गिरामी शायरों के नाम के साथ जुड़े इलाहाबादी शब्द को प्रयागराजी कर दिया है. जहां मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी का नाम बदलकर ‘अकबर प्रयागराजी’ कर दिया. साथ ही, तेग इलाहाबादी का भी नया नामकरण करके तेग प्रयागराज और राशिद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराज कर दिया गया. इसको लेकर काफी हंगामा मच गया.

दरअसल, ये मामला यही नहीं थमा, तेग इलाहाबादी और राशिद इलाहाबादी जैसे शायरों के नाम भी बदले जा चुके हैं. वहीं, आयोग ने शायरों के नाम के आगे लगे टाइटल को बदलने के लिए अबाउट इलाहाबाद वाले कॉलम में प्रयागराजी कर दिया है. इसकी आलोचना शुरू होने के बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने पूरे मामले से खुद को अनजान बताया है. हालांकि इस पेज पर प्रयागराज से जुड़ी तमाम बड़ी राजनैतिक-साहित्यिक हस्तियों का जिक्र किया गया है. वहीं, नेहरू के अलावा महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, निराला और बच्चन के नाम भी यहां लिखे गए हैं.

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने कहा, हैक हुई आयोग की साइट

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने इस मामले पर कहा कि, उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की वेबसाइट मंगलवार को हैक कर ली गई और हैकरों ने कई साहित्यकारों के नामों में छेड़छाड़ की. हालांकि, आयोग ने कुछ ही समय में वेबसाइट को अपने नियंत्रण में लेकर साहित्यकारों के नामों को ठीक कर लिया.

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने बताया कि आयोग की वेबसाइट हैक कर ली गई और साहित्यकारों के नामों के साथ छेड़छाड़ की गई. हालांकि, वेबसाइट को फिर से बहाल कर लिया गया है और साइबर अपराध शाखा के पास इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि साहित्यकारों के नामों में बदलाव आयोग की तरफ से नहीं किया गया है.

अकबर इलाहाबादी का नाम बदल अकबर प्रयागराजी कर दिया

वहीं, इसमें प्रयागराज का इतिहास लिखा गया है. 462 शब्दों में लिखे गए इतिहास में जहां हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा गया है. उसमें अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी लिखा गया है. इसके अलावा तेज इलाहाबादी को तेग प्रयागराजी और राशिद इलाहाबादी को राशिद प्रयागराजी लिखा गया है. चूंकि प्रयागराज यूपी का एक महत्वपूर्ण शहर है जिसे प्रयाग के नाम से भी जाना जाता है. यहां 3 पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम भी है और यह हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है. फिलहाल ये प्रदेश का सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में से एक है, फिर भी यह राज्य के सबसे तेजी से बढ़ते और तीसरे सबसे अधिक रहने योग्य शहर में से एक है.

कई मशहूर शायरों ने इस मुद्दे पर दी कड़ी प्रतिक्रिया

बता दें कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के इस बदलाव की साहित्य जगत में कड़ी आलोचना हो रही है. ऐसे में सोशल मीडिया पर आयोग का यह पेज खूब शेयर हो रहा है. जहां मशहूर कथाकार राजेंद्र कुमार भी आयोग के इस बदलाव को मूर्खता बता रहे है. उन्होंने कहा कि नाम तो शहर का बदला गया है. यदि अगर कोई कालजयी साहित्यकार अपने नाम के आगे इलाहाबादी लिखता रहा है और वही उसकी पहचान हो गई हो तो उसे कैसे बदला जा सकता है? यह तो इतिहास को मिटाने जैसा काम है. आयोग को इसे तत्काल ठीक करना चाहिए. वहीं, इस मुद्दे पर मशहूर शायर श्लेष गौतम ने कहा कि अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी लिखना गलत हैं. चूंकि अकबर इलाहाबादी ही उनकी पहचान है. भले ही बाद में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया हो पर इतने बड़े शायर के नाम से आप कैसे छेड़छाड़ कर सकते हैं.

आयोग की वेबसाइट में प्रयागराज के बारे में दी गई जानकारी में प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में प्रसिद्ध कवि और साहित्यकारों के बारे में लिखा गया है जिसमें अकबर इलाहाबादी, नूर नरबी, तेग इलाहाबादी, शबनम नकवी और रशीद इलाहाबादी शामिल हैं. वेबसाइट को हैक करने के बाद अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराज, तेज इलाहाबादी को तेग प्रयागराज और रशीद इलाहाबादी को रशीद प्रयागराज कर दिया गया. वेबसाइट के हिंदी संस्करण में तो इन नामों को ठीक कर लिया गया, लेकिन वेबसाइट के अंग्रेजी संस्करण में खबर लिखे जाने तक छेड़छाड़ वाले नामों को ठीक नहीं किया गया था.

2018 में यूपी कैबिनेट ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने पर लगाई थी मुहर

गौरतलब है कि जब से साल 2017 में योगी सरकार ने यूपी में कामकाज संभाली थी, उसके कुछ ही महीने बाद यानी 16 अक्टूबर 2018 को यूपी कैबिनेट ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने पर मुहर लगा दी थी. इस दौरान तब बताया गया था कि लंबे समय से संत और स्‍थानीय लोग इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मांग कर रहे थे.

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