लखनऊ। सोमवार के प्रातः कालीन सत् प्रसंग में रामकृष्ण मठ लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानंद ने बताया कि यदि पूर्व संस्कार को निर्मूल करना अत्यंत कठिन है लेकिन असंभव नहीं है। यदि ईश्वर की कृपा हो जाए तो जन्म-जन्मांतर का संस्कार भी एक ही जीवन में मिट जाना संभव है।
दृष्टांत देते हुए स्वामी जी ने बताया कि एक कटोरा में अगर लहसुन पीसकर घोल दिया जाए तो क्या लहसुन की गंध जाती है? लहसुन के कटोरे को हजार बार धोने पर भी लहसुन की गंध संपूर्ण रूप से नहीं जाती। उन्होंने कहा कि भगवान श्री रामकृष्ण ने संस्कार की बात व्याख्यान की करते हुए पूछा था ‘इमली के पेड़ में क्या कभी आम फलते हैं? अगर वैसा विभूति का बल किसी का हो तो यह हो सकता है।
वह इमली मे भी आम लगा देता है परंतु क्या वैसी विभूति सभी के पास रहती है! ‘अर्थात ईश्वर हुए बिना, जगतगुरु हुए बिना सब के पास यह अलौकिक क्षमता नहीं रहती है। स्वामी जी ने बताया कि भगवान श्री रामकृष्ण के एक अंतरंग भक्त जिनके जीवन में पूर्व जीवन का नाना प्रकार का विपरीत संस्कार पड़ा हुआ था।
उन्होंने पूछा- क्या लहसुन की गंध जाएगी? श्री रामकृष्ण ने उत्तर दिया ‘जाएगी। खूब आग जलाकर लहसुन के कटोरे को उसमें तपा लेने पर फिर गंध नहीं रह जाती है,बर्तन मानो नया बन जाता है;। अर्थात एक ही जीवन में आध्यात्मिक नवजन्म लाभ संभव है और वह तपाने की आग है, हमारे भीतर ज्वलंत विश्वास।
श्री रामकृष्ण कहते हैं ” ‘जो कहता है मेरा नहीं होगा’, उसका नहीं होता। मुक्त-अभिमानी मुक्त ही हो जाता है और बद्ध-अभिमानी बद्ध ही रह जाता है। जो जोर से कहता है ‘मैं मुक्त हूँ’, वह मुक्त ही हो जाता है पर जो दिन-रात कहता है, ‘मैं बद्ध हूँ’ वह बद्ध ही हो जाता है।”
इसलिए यदि हम लोग ईश्वर की असीम शक्ति के बल पर भरोसा रखते हुए उनके श्री चरणों में प्रार्थना करें कि हमारे सारे अतीत जीवन की अशुभ संस्कार राशि विनष्ट हो जाए एवं हमारा जीवन शुद्ध, पवित्र और भगवत् केंद्रित हो जाए तब हमारे विश्वास के बल पर एवं प्रार्थना की शक्ति पर ध्यान देते हुए सर्वशक्तिमान ईश्वर हमें जरूर इस जीवन में ही मुक्त कर देंगे और हम लोग ईश्वर लाभ करते हुए यह जीवन सफल कर लेंगे।