उत्तर प्रदेशताज़ा ख़बरलखनऊ

भारी पड़ेगी गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाने के आरोपी पुलिसकर्मियों को हिरासत में हुई बेकसूर मनीष की मौत!

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के रामगढ़ताल थाना पुलिस की हिरासत में कथित पिटाई से मरने वाले कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता का शव पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों के हवाले कर दिया गया. मनीष की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में रूह कंपा देने वाली सच्चाई सामने आई है. मनीष के शव का पोस्टमॉर्टम डॉक्टरों के विशेष पैनल द्वारा किया गया था. मामला चूंकि पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत का था, लिहाजा कई घंटे चली पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई गई.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं वे मनीष गुप्ता के ऊपर हुए जुल्म की दास्तां बयान करने लिए काफी हैं. दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि मनीष गुप्ता के बदन पर मौजूद चोटों के निशान उनके ऊपर ढहाए गए जुल्म-ओ-सितम यानी बर्बरता की गवाही चीख-चीख कर दे रहे हैं. यह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अदालत में आने वाले वक्त में आरोपी पुलिसकर्मियों पर बहुत भारी पड़ सकती है.  इस सिलसिले में 6 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जा चुका है और उन्हें फिलहाल सस्पेंड कर दिया गया है.

दिल दहला देने वाली है पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट

फिलहाल मनीष गुप्ता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बदन पर कई जगह आई गंभीर चोटों के निशानों/सबूतों ने आरोपी संदिग्ध पुलिसकर्मियों और अब तक उन्हें कथित रूप से बचाने में जुटे महकमे के कुछ आला पुलिस अफसरों की नींद उड़ा दी है. अदालत में मनीष गुप्ता की बर्बर मौत के मुकदमे के परिणाम का पूरा दारोमदार दो ही बातों पर निर्भर करेगा. पहला गवाही-सबूत और दूसरा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मनीष हत्याकांड में एक वो मजबूत कानूनी दस्तावेज है जिसे अदालत के सामने ‘झूठा’ करार दिलवाने की कुव्वत शायद ही किसी की हो सके.

दूसरे, मुकदमे की सुनवाई के दौरान (केस ट्रायल) अदालत भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को ही वजन देगी. न कि आरोपी पुलिस वालों की उन दलीलों को जो वे खुद के बचाव में देंगे. फिलहाल जो भी हो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह तो तय हो चुका है कि आने वाले वक्त में बेकसूर मनीष गुप्ता की पुलिस हिरासत में हुई मौत, आरोपी पुलिसकर्मियों को बहुत भारी पड़ सकती है. इस बर्बर कांड की जांच में जुटी पुलिस टीम के ही एक सूत्र के मुताबिक, “पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिल गई है. मनीष गुप्ता (मृतक) के बदन पर चार जगह पर गंभीर चोट के निशान पाए गए हैं. मौत की वजह में सिर में मौजूद मिले सोच के गंभीर निशान हैं.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से बेदम हुए पुलिस के दावे

सिर में चोट किसी ठोस चीज से पहुंचाई गई प्रतीत होती है.” यहां उल्लेखनीय है कि मनीष गुप्ता की बहन ने पोस्टमॉर्टम होने से पहले ही आरोप लगाया था कि, मनीष की हत्या पुलिस कस्टडी में उनके सिर पर राइफल की चोट मारकर की गई है. संभव है कि अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर पर भारी चोट का निशान मिलने की वजह वही राइफल की चोट रही हो. मनीष गुप्ता को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित नहीं किया था. मामले का भांडाफोड़ होने के शुरूआती दौर में गोरखपुर के थाना रामगढ़ताल पुलिस द्वारा किए गए, ऐसे तमाम दावों की हवा भी निकालने के लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट काफी है. पुलिस हिरासत में मनीष गुप्ता के ऊपर जुल्म ढहाए जाने की तस्दीक करते हुए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में साफ साफ दर्ज है कि, मृतक के एक हाथ की कलाई पर गंभीर चोट मारी गई.

हालांंकि कलाई की यह चोट मनीष की मौत का कारण नहीं थी. मौत का कारण उनके बदन पर पहुंचाई गई अन्य गंभीर चोटें व सिर में मिली गंभीर चोट जरूर हो सकती है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हुए इन तमाम तथ्यों के खुलासे से साफ है कि मनीष गुप्ता पर किस कदर के जुल्म पुलिस हिरासत के दौरान ढहाए गए होंगे. जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट उजागर होने से पहले तक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने में जुटी गोरखपुर जिला पुलिस, हिरासत में मनीष को टॉर्चर किए जाने की बात मानने से ही साफ साफ मुकर गई थी. मनीष गुप्ता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि उनकी एक आंखे के ऊपर भी गंभीर चोट मारी गई है.

इन पुलिसवालों पर दर्ज हुआ हत्या का मुकदमा

भले ही आंख की वो चोट मनीष के लिए जानलेवा साबित नहीं हुई होगी, मगर मनीष के ऊपर हुए जुल्म की बानगी तो पेश करती ही है. उल्लेखनीय है कि बीते दिनों मनीष गुप्ता की यूपी के गोरखपुर पुलिस की कथित हिरासत में मौत हो गई थी. उसके बाद मनीष के परिवार वालों ने गोरखपुर पुलिस पर हिरासत में उन्हें मार डालने का आरोप लगाया था. घटना के बाद जब किसी तरह से भी परिजन शांत होते नहीं दिखे. साथ ही आरोपी पुलिसकर्मियों ने अपने गले में हर हाल में फंदा फंसते देखा तो वे मनीष गुप्ता के परिवार वालों के पांवों में पड़ गए थे. इस प्रार्थना के साथ कि आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ मनीष की मौत के मामले में परिवार मुकदमा दर्ज न कराए. वरना आरोपी पुलिस वालों की जिंदगी खराब हो जाएगी.

ऐसा करते वक्त आरोपी पुलिसकर्मी और अपनों को कथित रूप से ही सही मगर उन्हें बचाने में जुटे गोरखपुर पुलिस के कुछ अफसर यह भूल गए कि, मनीष गुप्ता के परिवार को अब वे मनीष कहां से जिंदा वापिस लाकर देंगे? मनीष गुप्ता की इस बर्बर मौत से उनके परिवार को मिले जख्म कौन भरेगा?  यहां उल्लेखनीय है कि मनीष गुप्ता एक प्राइवेट बैंक में नौकरी करते थे. वे पत्नी और बेटे के साथ दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा में रह रहे थे. कोरोना काल में कुछ महीने पहले ही वे कानपुर रहने आ गए थे. कथित रूप से पीट-पीटकर मनीष गुप्ता की जान लेने के आरोपी छह पुलिस वालों (गोरखपुर थाना रामगढ़ताल) के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

कौन हैं मनीष के अपराधी

मनीष गुप्ता हत्याकांड में जिन आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें थाने का एसएचओ जगत नारायण सिंह (नामजद मुकदमा), सिपाही कमलेश यादव, प्रशांत कुमार के अलावा पुलिसकर्मी सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा (नामजद), दारोगा विजय यादव (नामजद) व राहुल दुबे हैं. इन सभी को फिलहाल सस्पेंड कर दिया गया है. इनमें से सिपाही कमलेश यादव, प्रशांत कुमार व राहुल दुबे नामजद में तो मुकदमें में शामिल नहीं हैं. इन तीनों को ‘अज्ञात’ में रखा गया है.

The Global Post

The Global Post Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 5 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button