लखनऊ। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की स्टडी के मुताबिक हर साल करीब तीन लाख लोगों की हृदयगति रूकने से मौत हो जाती हैं, यह आंकड़े पूरी दुनिया के बताये जा रहे हैं। केजीएमयू के एनस्थीसिया विभाग की प्रो. रजनी गुप्ता के मुताबिक हार्ट अटैक पड़ने पर यदि समय रहते मरीज को चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करा कर दी जाये तो उसकी जान बचायी जा सकती है।
प्रो. रजनी गुप्ता बताती है कि दिल का दौरा पड़ने पर जल्द से जल्द डाक्टर की सलाह ली जाये तो बेहतर है,चूंकि किसी को हार्टअटैक पड़ने पर शुरू के तीन मिनट बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने बताया कि हृदयगति रुकने पर तीन मिनट तक सीपीआर देना चाहिए ,तीन मिनट तक छाती दबाने से रक्तसंचार ठीक रहेग और शरीर के विभिन्न अंगों तक रक्त पहुंचता रहेगा।
यदि सीपीआर मरीज को दिया जाता रहा तो अस्पताल पहुंचने पर उसकी जान बचाने में चिकित्सकों को दिक्कत नहीं होगी,इसके इतर यदि सीपीआर देने में देर हुयी तो मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है। प्रो. रजनी गुप्ता बताती हैं कि हर शख्स को सीपीआर तकनीक सीखनी चाहिए,इसके अलावा हार्ट अटैक के लक्षणों की समय रहते पहचान भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि बीपी व मधुमेह की समस्या से जूझ रहे हैं, तो नियमित चिकित्सक की सलाह अवश्य लेते रहें।
हार्टअटैक के यह हैं लक्षण
छाती में दर्द होना,घबराहट,बांये हाथ में दर्द जो पीछे के तरफ जाये,कंधों में दर्द,आसामान्य हार्ट बीट,जबड़े,दांत या सिर में दर्द,सांस लेने में दिक्कत होना हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। प्रो.रजनी गुप्ता बताती हैं कि सीपीआर आपातकालीन समय में इस्तेमाल की जाने वाले एक मेडिकल प्रक्रिया है, जिससे हार्ट अटैक पड़ने पर उस शख्स की जान बचाई जा सकती है। सीपीआर,कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन होता है।
सीपीआर तकनीक का इस्तेमाल कर हृदयगति रूकने पर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। सीधे तौर पर कहा जाये तो सीपीआर वह तकनीक है जब हृदयगति रुकने पर व्यक्ति बेहोश हो जाये,तो उसे सांसे दी जाती है। इस प्रक्रिया से फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है, साथ ही इससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला रक्त संचारित होता रहता है।
इस तरह दिया जाताहै सीपीआर?
सीपीआर कोई मेडिसन या इंजेक्शन नहीं है, यह एक प्रकार की प्रक्रिया है, इसे तकनीक कहा जाये तो गलत न होगा,इस प्रक्रिया को जिस शख्स को हार्ट अटैक पड़ता है, उस पर इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में शख्स की सांस रुक जाने पर सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक चेस्ट को दबाया जाता है, इसके अलावा इस प्रक्रिया में मरीज के मुंह में मुंह से सांस भी दी जा सकती है। सीपीआर देने की एक खास तकनीक है।
केजीएमयू में चल रही ट्रेनिंग
केजीएमयू में लंबे समय से सीपीआर ट्रेनिंग कार्यक्रम चल रहा है। केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डा बिपिन पुरी के निर्देशन में प्रो रजनी गुप्ता, डा परवेज खान तथा अन्य चिकित्सक सीपीआर ट्रेनिंग कार्यक्रम को संचालित कर रहे हैं,जिससे अबतक सैंकड़ों लोगों ने लाभ उठाया है।