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बूंदाबांदी के बीच विधानसभा के बाहर विरोध-प्रदर्शन, 97 हजार शिक्षक भर्ती की मांग पर अड़े बेरोजगार

शिक्षक भर्ती (UP Teacher Recruitment) मामले को BJP सरकार जितना आसान समझ रही थी वह वास्तव में उतना नहीं है. लखनऊ में आज आंदोलनकारी अभ्यर्थियों ने शक्ति प्रदर्शन किया. लखनऊ में बारिश और ठंडी हवााओं के बीच शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर अभ्यर्थी सड़क पर संघर्ष करते रहे. लखनऊ विधानसभा के बाहर हजारों की संख्या में (Protest Outside UP Assembly) आज नौजवान अपने हक की आवाज उठाने के लिए जमा हुए. इस दौरान उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. एक तरफ आज यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ कानपुर में पीएम मोदी का स्वागत कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ लखनऊ में नौजवान विधानसभा के बाहर इंकलाब कर रहे थे.

बीजेपी नेता पहले से तय चुनावी अभियानों में में व्यस्त थे. वहीं विधानसभा (UP Assembly) के बाहर नौजवानों की आवाज लखनऊ की सर्द हवाओं में गर्मी बढ़ा रही थी.  हालांकि आज बीजपी के किसी बड़े नेता ने शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों की बात नहीं की. वहीं सवाल ये है कि जब सरकार 17000 भर्तियों पर सहमत हो गई है तो फिर आंदोलन क्यों किया जा रहा है. बता दें कि यूपी शिक्षक भर्ती (UP Teacher Recruitment) का मसला जितना आसान दिखता है, उतना है नहीं. कुछ दिन पहले यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग ने 17000 आरक्षित पदों के लिए एक पत्र जारी किया था. उसमें कहा गया था कि आरक्षित वर्ग के 17000 पद 6 जनवरी से पहले भरे जाएंगे.

97000 पद भरने की मांग पर अड़े अभ्यर्थी

शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी इसी बात का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि 17000 नहीं 97000 वेकेंसी की होनी चाहिए. जब से नोटिफिकेशन आया है तब से अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे हैं.  इससे पहले भी शिक्षक भर्ती को लेकर लगातार आंदोलन होते रहे हैं. फर्क इतना है कि पहले ये लोग पार्क में बैठकर धरना देते थे और सरकार उनकी बात पर ध्यान ही नहीं देती थी. लेकिन जब सरकार ने उनकी मांगों को आधे अधूरे तरीके से पूरा करने पर सहमति जता दी, तो अब ये आंदोलन अब विधानसभा तक पहुंच गया है. यूपी में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में शिक्षक भर्ती मामला सरकार की सत्ता की राह में रोड़ा बन सकता है.

बीजेपी के वोट बैंक पर पड़ सकता है असर

बता दें कि 97000 अभ्यर्थी का मतलब 90 हजार परिवार है. 7 हजार लोगों को इसलिए कम किया जा सकता है, क्योंकि कुछ परिवारों में 2 या उससे अधिक अभ्यर्थी हो सकते हैं. 2011 जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में एक परिवार में औसतन 5.7 लोग हैं . शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों के 90,000 परिवारों को अगर वोट में कनवर्ट किया जाए तो करीब 2.70 लाख वोट बैठते हैं. अगर अभ्यर्थियों का विरोध लंबा चलता है तो इसका असर सीधे तौर पर बीजेपी के वोटों पर पड़ सकता है. बता दें कि शिक्षा मित्र, UP TET, UPSI, UPSSSC वाले नौजवान भी नौकरी नहीं मिलने से सरकार से नाराज हैं.

17000 नौकरियों पर सहमत यूपी सरकार

बेरोजगार नौजवान का वोट किसके साथ होगा ये कहना सभी जल्दबाजी होगा. लेकिन कोई भी पार्टी युवाओं का वोट छोड़ना नहीं चाहती. BJP भले ही इन युवाओं अभी तक तवज्जो नहीं दे रही थी, 24 दिसंबर को सरकार ने बेरोजगारों की नाराजगी दूर करने की कोशिश करते हुए 17000 भर्तियां निकाली. लेकिन अभ्यर्थी इससे बिल्कुल भी खुश नहीं हैं. चुनावी मौसम में अखिलेश यादव हर मंच से बोलते सुने जा रहे हैं कि अगर सपा की सरकार आती है तो वह विशेष भर्तियां निकालकर नौजवानों को नौकरी देंगे, हालांकि अखिलेश ने कभी ये नहीं कहा कि कितनी वैकेंसी निकालेंगे?

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