पीएम मोदी ने भोलेनाथ और मां गंगा के बीच में आने वाली सारी बाधाओं को हटाया, जानिए कैसे भव्य बना काशी धाम
नरेंद्र मोदी इस वक्त काशी में है और आज उन्होंने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सौगात दी. असल में आज पूरा देश महादेव के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भव्य रूप देखकर गदगद है, जिसने भी बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर में महादेव की पूजा-अर्चना की है. वो जानता है कि यहां पर कंधे से कंधे का टकराना आम बात है और घंटों लाइन में खड़े रहने की परेशानी क्या होती है, लेकिन वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश को एक ऐसा कॉरिडोर समर्पित किया, जिसकी भव्यता पर पूरा देश गर्व कर रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के पहले फेज का उद्धाटन किया. पीएम ने सबसे पहले काशी विश्वानाथ के द्वारपाल कहे जाने वाले काल भैरव के दर्शन किए और फिर बाबा विश्वनाथ की पूजा अर्चना की. मां गंगा को प्रणाम किया. गंगा में डुबकी लगाई. गंगा घाट पर आरती में भी शामिल हुए और फिर क्रूज के जरिए बनारस के सभी घाटों को रिव्यू भी किया.
इस मौके पर प्रधानमंत्री के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी मौजूद थीं. नोट करनेवाली बात ये है कि कोरोना काल में भी 800 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को करीब करीब उसी टाइमफ्रेम में पूरा किया गया है, जो इसके लिए निर्धारित किया गया था. जमीन का अधिग्रहण हुआ. आसपास के घरों को सरकार ने अपने कब्जे में लिया, फिर जमीन को समतल किया गया. काफी एरिया वेकेट करवाया. तब जाकर मंदिर कॉरिडोर का सपना साकार हुआ.
वैसे तो पीएम नरेंद्र मोदी दो दिन के काशी दौरे पर हैं, लेकिन दौरे के पहले ही दिन उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करके काशीवासियों को नई सौगात दे दी. मंदिर धाम की भव्यता, दिव्यता और उसका नया स्वरूप देखते ही बनता था. कॉरिडोर बनने के बाद मानो काशी का पूरा कायाकल्प हो गया, जहां पहले संकरी गलियां थी, लोग इन्हीं गलियों से होकर बाबा विश्वनाथ के द्वार तक पहुंचते थे. अब ये सबकुछ बदल गया है. रास्ता काफी चौड़ा हो गया है. एक बडा परिवर्तन ये हुआ कि जहां पहले एक बार में सिर्फ एक-दो हजार लोग ही दर्शन कर सकते थे, अब उसी जगह पर एक बार में एक लाख से ज्यादा लोग बाबा भोलेनाथ के सामने नमन कर सकेंगे. उनका आशीर्वाद ले सकेंगे.
इस कॉरिडोर को बनाते वक्त एक बात का और ख्याल रखा गया. अब गंगा नदी के चार घाटों से सीधा मंदिर का रास्ता जोड़ दिया गया है. पहले एनक्रोचमेंट की वजह से ये रास्ता दिखता नहीं था. अब श्रद्धालु गंगा के घाट से सीधा मंदिर की तरफ जा सकेंगे. आज हर कोई ये पूछ रहा है कि काशी का कायाकल्प कैसे हो गया. काशी विश्वनाथ मंदिर की तरफ जाने वाला रास्ता इतना सुंदर, इतना सरल और इतना साफ कैसे हो गया. अचानक संकरी गलियां कहां गायब हो गई. रास्ते में जो गंदगी थी वो कहां चली गई. जिन लोगों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए हैं उन्हें सोमवार और महाशिवरात्रि के दौरान लगनेवाली भीड़ का अंदाजा भी जरूर होगा, ऐसी हालत होती थी कि पांव रखने की जगह नहीं मिलती थी, लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं.
मोदी ने बाबा विश्वनाथ से जो वचन दिया उसे पूरा कर दिया
आज बड़े बड़े साधु संत ये कह रहे थे कि काशी में इतने बड़े परिवर्तन की उम्मीद कम से कम इस जन्म में नहीं की थी. उन्होंने प्रधानमंत्री ये ये उम्मीद जरूर जताई थी कि काशी के आसपास थोड़ी बहुत सफाई हो जाएगी, लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए इतना बड़ा कॉरिडोर बन जाएगा ये किसी ने नहीं सोचा था. यही मोदी की खासियत है. नामुमकिन को मुमकिन करना प्रधानमंत्री को आता है और उन्होंने ये कर दिखाया. नरेंद्र मोदी ने काशी से, देश से, बाबा विश्वनाथ से जो वचन दिया उसे पूरा कर दिया.
वैसे काशी विश्वनाथ धाम को लेकर आज प्रधानमंत्री ने कई बातें कहीं. उन्होंने विश्वनाथ मंदिर के इतिहास की याद दिलाई. औरंगजेब का नाम लिया. काशी कॉरिडोर को लेकर किस तरह की सियासत की गई इस पर भी विरोधियों को जवाब दिए. इसके साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश वासियों से तीन संकल्प लेने को भी कहा.
अब से थोड़ी देर पहले नरेंद्र मोदी बनारस के दशाश्वमेध घाट पर थे. यहां हर रोज मां गंगा की आरती होती है, लेकिन आज की ये आरती विशेष थी क्योंकि आज कॉरिडोर का प्रण पूरा होने के बाद देश के प्रधानमंत्री मां गगा की उपासना कर रहे थे. उन्होंने मां गंगा की पूजा अर्चना की. उन्हें नमन किया और फिर भागीरथी की आरती भी उतारी.
काशी और मोदी का रिश्ता क्या है?
असल में आज प्रधानमंत्री ने काशी में भगवान शिव और मां गंगा के बीच में आने वाली सारी विघ्न बाधाओं को हटा दिया. ये तो सब जानते हैं कि जब मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं. तब उनके वेग को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में बांधकर रोका था. तभी से मां गंगा जीवनदायिनी बनी हुई हैं. लेकिन अगर काशी विश्वनाथ मंदिर की बात करें, तो गंगा घाट से लेकर काशी विश्वनाथ तक के रास्ते में काफी एनक्रोचमेंट था. इसलिए श्रद्धालुओं को गंगा घाट से निकलकर काफी घूमकर मंदिर की तरफ जाना पड़ता था. आज ये मुश्किल भी खत्म हो गई. काशी विश्नवाथ कॉरिडोर को इस तरीके से बनाया गया, जिससे ललिता घाट, मणिकर्णिका, जलासेन घाट से भी अब बिना किसी रुकावट के मंदिर आया-जाया जा सकता है.
काशी और मोदी का रिश्ता क्या है, ये आज प्रधानमंत्री ने एक बार फिर दुनिया के सामने दिखा दिया. विश्व को बता दिया कि विश्वनाथ की नगरी में बिना बाबा भोलेनाथ की मर्जी से कुछ नहीं हो सकता. आज जो जीर्णोद्धार हुआ, काशी कॉरिडोर का उद्धाटन हुआ, वो भी भगवान भोलेनाथ की ही मर्जी थी. बस मोदी तो कनेक्टिंग लिंक थे. एक माध्यम भर थे. असल में आज करीब बत्तीस महीने के इंतजार के बाद काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण हुआ. सबकुछ पहले से तय था. प्रधानमंत्री वाराणसी पहुंचे. चार महीने में उनका ये छठा दौरा था. मोदी ने सबसे पहले काशी के कोतवाल कालभैरव के दर्शन दिए. पूजा अर्चना की. इसके बाद बनारस के सांसद और देश के प्रधानमंत्री क्रूज में बैठकर ललिता घाट पहुंचे. ललिता घाट से गंगाजल लिया और फिर काशी विश्वनाथ धाम की तरफ बढ़ चले. नरेंद्र मोदी ने बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक किया और फिर विधिवत तरीके से पूजा अर्चना की.
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉरिडोर में दाखिल हुए डमरू और मंत्रोच्चार के साथ पूरी काशी गूंज उठी. थोड़ी देर बाद वो शुभ घड़ी भी आ गई. जब कॉरिडोर का उद्धाटन किया, लेकिन ये कितना खास है इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि पहले काशी विश्वनाथ मंदिर का एरिया 3,000 वर्ग फीट था. लेकिन अब ये 5 लाख वर्ग फीट से ज्यादा हो गया. पिछले कुछ सालों में 400 करोड़ रुपए की लागत से मंदिर के आसपास की 300 से ज्यादा बिल्डिंग को खरीदा गया. इसके बाद कंस्ट्रक्शन का काम शुरु हुआ और फिर 400 करोड़ की ही लागत से भव्य कॉरिडोर का निर्माण हुआ.
पीएम ने कॉरिडोर के अंदर से ही जनता को भी एड्रेस किया
आपको बता दें कि फिलहाल इसका पहला फेज पूरा हुआ है. ये काम अभी और चलेगा. इसमें भी मोटे तौर पर गंगा व्यू गैलरी, मणिकर्णिका, जलासेन और ललिता घाट से धाम आने के लिए प्रवेश द्वार और रास्ता बनाने का काम है. खास बात ये भी है कि जब अधिग्रहण हो रहा था तब इलाके को समतल बनाते वक्त 40 से ज्यादा पुराने मंदिर मिले थे. अब इन्हें भी सहेज कर रखा गया है. प्रधानमंत्री ने कॉरिडोर के अंदर से ही काशी के साथ देश की जनता को भी एड्रेस किया. नरेंद्र मोदी ने कहा कि काशी में सिर्फ डमरू वाले की सरकार है.
अच्छी बात ये है कि अब ये कॉरिडोर काफी विशाल है. मंदिर के प्रेमाइसेस में अगर एक लाख से ज्यादा लोग भी आ जाएं, तो फिर आराम से दर्शन किए जा सकेंगे. इसके साथ साथ सैलानी आसपास बने घाट भी बिना मुश्किल के घूम सकेंगे. आज आपको ये भी बता दें कि ये कंस्ट्रक्शन मिशन मोड में पूरा किया गया है. यानी तमाम विपत्तियों के बावजूद काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर तय वक्त पर आकार दिया गया है.
पीएम मोदी ने 8 मार्च 2019 को विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर का शिलान्यास किया था. यूपी सरकार अध्यादेश लाई और फिर पूरे इलाके को विशिष्ट क्षेत्र घोषत कर दिया गया. इसके बाद आसपास के कई भवनों को अधिग्रहित किया गया. इस वक्त पूरा काशी विश्वनाथ धाम 5 लाख स्क्वॉयर फीट में है. इस कॉरिडोर में 23 इमारतें है और कुल 27 मंदिर हैं. 3 हिस्सो में बंटे कॉरिडोर में 4 बड़े गेट हैं. परिक्रमा वाले रूट पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं ..जिसपर काशी की महिमा का वर्णन है. कॉरिडोर बनाते वक्त इसमें इसमें चुनार के गुलाबी पत्थर, मकराना के सफेद मार्बल और वियतनाम के खास पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी जैसी सुविधाएं दी गई हैं.
लेकिन आज वो हुआ जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की थी. जिन लोगों ने कॉरिडोर को इतनी मेहनत से बनाया, जिन मजदूरों ने ढाई साल से ज्यादा वक्त तक, दिन रात एक करके खून पसीना बहाया और कॉरिडोर को नया आकार दिया. उनका खुद प्रधानमंत्री ने अभिनंदन दिया और इन तस्वीरों ने बता दिया कि प्रधानमंत्री जनता के नेता हैं. क़मन मैन के प्राइम मिनिस्टर. प्रधानमंत्री देश की जनता से किस तरह कनेक्ट होते हैं कैसे उनके दिलों में रच बस जाते हैं. आज जिस वक्त नरेंद्र मोदी कॉरिडोर में पहुंचे, तो उन्होंने सबसे पहले उन लोगों के पुरुषार्थ को प्रणाम किया, जिन्होंने बाबा विश्वनाथ के नए रूप को, नए धाम को अलग पहचान दी.