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नोएडा में 13 सालों में हुआ 58 हजार करोड़ रुपये का घोटाला, CAG रिपोर्ट आने के बाद यूपी के मंत्री ने BSP-SP से मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश विधान सभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट (UP CAG Report)  में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं. महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में नोएडा को लेकर हैरान करने वाले दावे किए गए हैं. सीएजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नोएडा में 58 हजार करोड़ का घोटाला (58 Thousand Crore Scam) हुआ है. इस खुलासे के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. दरअसल CAG ने यूपी विधानसभा में जो रिपोर्ट पेश की है, वो साल 2005 से 2017 के बीच की है. सीएजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नोएडा में जमीन आवंटन को लेकर बड़े स्तर पर गड़बड़ियां हुई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक नोएडा अथॉरिटी ने 67 हाउसिंग ग्रुप के लिए जमीन आवंटित की थी. यह जमीन करीब 71 लाख स्क्वॉयर किलोमीटर के बराबर है. इसमें 113 प्रोजेक्ट्स शामिल हैं. हैरानी की बात ये है कि इनमें 71 प्रोजेक्ट या तो अधूरे पड़े हैं या फिर बने ही नहीं हैं.

इन प्रोजेक्ट्स में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा फ्लैट्स हैं. जिनमें 44 फीसदी फ्लैट के पजेशन पेपर्स ही नहीं हैं. इसकी वजह से हजारों परिवारों की जमा पूंजी इन प्रोजेक्ट्स में फंसी हुई है. CAG की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority Scam) ने जिन बिल्डर्स को जमीन अलॉट की थी उनमें आम्रपाली और यूनिटेक पर अथॉरिटी का हजारों करोड़ रुपये पहले से ही बकाया था. बकाया की वसूली के बजाय अथॉरिटी ने उन्हें जमीनें आवंटित कर दी. सीएजी रिपोर्ट (CAG Report) में बताया गया है कि 31 मार्च 2020 तक इन बिल्डर्स पर नोएडा अथॉरिटी का 9 हजार 828 करोड़ का बकाया है. लेकिन अथॉरिटी ने बिल्डर्स के खिलाफ कार्रवाई नहीं की.

अथॉरिटी का बकाया होने पर भी जमीन आवंटित

सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से 2017 के बीच नोएडा में जितनी भी जमीनें आवंटित हुई, उनमें 79.83 फीसदी ही सिर्फ 3 कंपनियों को मिलीं, जिसमें वेव, थ्री सी और लॉजिक्स ग्रुप शामिल है. इन तीनों कंपनियों पर भी अथॉरिटी का 14 हजार 958 करोड़ रुपये पहले से बकाया था. लेकिन कंपनियों से वसूली करने की बजाय उन्हें भी नई जमीनें आवंटित कर दी गई. विधानसभा में पेश CAG रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2016 के बीच नोएडा में बिना किसी अप्रूवल के स्पोर्ट्स सिटी स्कीम लॉन्च की गई थी. इस प्रोजेक्ट में 4 इंटिग्रेटेड स्पोर्ट्स सिटी डेवलप करने का प्लान शामिल था. प्लान के तहत नेशनल, एशियाड और कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए स्टेडियम और क्रिकेट स्टेडियम भी बनाया दाना था.

स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट में 9 होल वाले 3 गोल्फकोर्स भी बनाए जैने थे. लेकिन ऑडिट में खुलासा हुआ कि 65 एकड़ का गोल्फकोर्स स्टेडियम संभव ही नहीं है. इसके साथ ही क्रिकेट स्टेडियम का भी कुछ पता नहीं है. सीएजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्पोर्ट्स के नाम पर आवंटित की गई जमीनों को हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल किया गया. मार्च 2017 में यूपी में योगी सरकार आने के बाद जुलाई 2017 में सीएम योगी ने गौतमबुद्धनगर की तीनों अथॉरिटी को ऑडिट करवाने का फैसला किया. इनमें नवीन ओखला ओद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा), ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी शामुल हैं. ऑडिट की जिम्मेदारी सीएजी को सौंपी गई थी.

CAG रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासे

अब विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश कर दी गई है. जांच में सीएजी को हाउसिंग प्रोजेक्ट्स, फार्म हाउस और स्पोर्ट्स सिटी के लिए जमीन आवंटन में गड़बड़ियां मिली हैं. सीएजी ने दावा किया कि औद्योगिक विकास के लिए बनाए गए नोएडा में 2005 से 2017 के बीच औद्योगिक से ज्यादा हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए जमीनें अलॉट की गईं. सीएजी की रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि जमीन अधिग्रहण में कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया. किसानों के अधिकारों को एक तरफ रखकर तीनों अथॉरिटी ने जमीन का अधिग्रहित किया. सीएजी का कहना है कि जमीनआवंटन में सूचिता, सत्यनिष्ठा और नैतिक सिद्धांतों की अनदेखी की गई.

बात दें कि जमीन अधिग्रहण कानून 1984 के प्रावधान के मुताबिक जल्दबाजी में कुछ मानकों को दरकिनार कर डीएम जमीन का अधिग्रहण कर सकता है. लेकिन सीएजी रिपोर्ट में दावा किया है कि करीब 80 फीसदी जमीनों का अधिग्रहण इस क्लॉज के तहत किया गया है. इस पर अब शक गहरा रहा है. विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश में बड़ा खुलासा होते ही विपक्ष यूपी सरकार पर हमलावर हो गया.

यूपी के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा कि 2005 से 2017 तक CAG की रिपोर्ट से नोएडा अथॉरिटी में 58000 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. उन्होंने सवाल किया कि क्या मायावती जी और अखिलेश जी यूपी के 24 करोड़ लोगों को जवाब देंगे कि उन्होंने जनता को कैसे लूटा?”

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