लखनऊ। महिला एवं बाल विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाती सिंह ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां देश में रोल माडल बनकर उभरें। उन्होंने कहा कि कार्यकत्रियों से यह अपेक्षा है कि वह जैसे अपने बच्चों के साथ रहती हैं, उसी भावना के साथ आंगनबाड़ी के बच्चों के साथ भी करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1,88,982 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जहां 41 लाख से अधिक बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ये बच्चे प्रारंभिक शिक्षा लेकर अपनी नींव मजबूत करके आगे आएंगे और देश का भविष्य उज्ज्वल करेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का मॉडल पूरे देश मे रोल मॉडल बनकर उभरे और पूरा देश उस मॉडल पर चले।
शैशवकाल से ही शुरू होता है बच्चे का भावनात्मक विकास
विद्या भारती के अखिल भारतीय मंत्री शिवकुमार ने सनातन परम्परा का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे समाज में प्राचीन काल से ही सोलह संस्कारों का वर्णन है, जो वैज्ञानिक रूप में जीवन की रचना के विकास के आयाम हैं। उन्होंने कहा कि शैशवकाल से ही बच्चे का भावनात्मक विकास शुरू होता है, जिसमें मां की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इस अवस्था में बच्चों के अंदर जैसा बीजारोपण किया जायेगा, वैसा ही उनके जीवन का आधार होगा।
उन्होंने कहा कि बच्चा अनुसरण से सीखता है और उसके अंदर जिज्ञासाएं उत्पन्न होती हैं। बच्चों की जिज्ञासाओं की समाधान होना ही चाहिए। इससे बच्चों की बुद्धि प्रखर होती है और वे मेधावी बनते हैं। जीवन के किसी भी क्षेत्र में वे सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते हैं। उन्होने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यह आवश्यक है कि उनके मन में उठने वाली सभी जिज्ञासाओं का समाधान किया जाए।
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती के समक्ष दीपप्रज्जवलन और पुष्पार्चन के साथ हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा, क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा , सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय , बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर मिश्रा सहित विद्या भारती के कई पदाधिकारी और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग व जिला प्रशासन के अधिकारी,कर्मचारी, और करीब 300 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां मौजूद रहीं।