राम सनेही घाट के पायका मैदान की दयनीय स्थिति, करोड़ों की लागत से किया गया था तैयार

बाराबंकी: बाराबंकी के राम सनेही घाट क्षेत्र में स्थित पायका मैदान, जिसे करोड़ों रुपये की लागत से युवाओं के लिए विकसित किया गया था, आज बदहाली का शिकार है। यह मैदान धरौली में पहले एक पुराना ग्राम पंचायत खेल मैदान था, जिसे सरकार ने पायका मैदान के रूप में उन्नत करने के लिए भारी-भरकम बजट आवंटित किया। इसका उद्देश्य था कि ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को शारीरिक प्रशिक्षण और खेल अभ्यास के लिए बाहर न जाना पड़े, साथ ही उनकी खेल प्रतिभा को निखारा जा सके। लेकिन, जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण इस मैदान की देखरेख ठीक ढंग से नहीं हो रही है।
बरसात के मौसम में मैदान के किनारों पर जलभराव की समस्या आम है, और चारों ओर बड़ी-बड़ी घास उग आती है। खेल उपकरणों की कमी के कारण खिलाड़ियों को अभ्यास में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, पेयजल की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। बिजली न होने पर मोटर नहीं चलता, जिससे पानी की किल्लत हो जाती है।
स्थानीय युवा राजेश तिवारी ने बताया कि मैदान में उगी बड़ी-बड़ी घास के कारण न तो कसरत की जा सकती है और न ही खेल संभव है। सेना भर्ती की तैयारी करने वाले युवा, जिन्हें शारीरिक फिटनेस के लिए दौड़ की जरूरत होती है, इस मैदान का उपयोग नहीं कर पा रहे। पहले इस स्टेडियम में दौड़ लगाने वाले युवा अब जहरीली घास के कारण सड़कों पर दौड़ने को मजबूर हैं।
सरदार निर्मल सिंह सलूजा ने कहा कि मैदान के सुंदरीकरण से खिलाड़ियों में उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें कहीं और नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन घास और झाड़ियों के फैलाव ने दौड़ और फुटबॉल जैसे खेलों को मुश्किल बना दिया है। उन्हें यह भी डर रहता है कि कहीं कोई जहरीला जीव-जंतु छिपा न हो।
सतीश, सुनील और अमित जैसे युवाओं ने बताया कि यह स्टेडियम खेल के लिए बनाया गया था, लेकिन इसकी स्थिति दयनीय है। तिरंगे के खंभे तक स्ट्रीटलाइट का तार जमीन पर पड़ा है, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। बरसात के बाद जब वे 15 दिन बाद मैदान में खेलने गए, तो पूरे मैदान में झाड़ियां उग चुकी थीं, जिसके कारण क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेल बंद हो गए।
क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी विक्रांत मिश्रा ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही मैदान की घास साफ कराई जाएगी और खिलाड़ियों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।