उत्तर प्रदेशकुशीनगर

59 हजार से अधिक विदेशी सैलानियों ने किए महापरिनिर्वाण मन्दिर के दर्शन

  • दक्षिण कोरिया व वियतनाम की बढ़ी भागीदारी
  • चार लाख, 96 हजार 515 आए भारतीय सैलानी

कुशीनगर। सितम्बर से लेकर मार्च तक चलने वाले बौद्ध सर्किट का पर्यटन सीजन अब समाप्त हो गया है। अब पर्यटकों के इक्का-दुक्का दल ही यहां आ रहे हैं। कोविड-19 के दौर में दो साल से ठप रहे पर्यटन व्यवसाय को पटरी पर लाने में सहायक सिद्ध हुआ है। राज्य पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीते सत्र में 59 हजार, 374 विदेशी सैलानियों और चार लाख, 96 हजार, 515 भारतीय सैलानियों ने विश्व प्रसिद्ध महापरिनिर्वाण मन्दिर में बुद्ध की शयनमुद्रा वाली 5वीं सदी की प्रतिमा का दर्शन किया।

दक्षिण कोरिया व वियतनाम की बढ़ी भागीदारी

बौद्ध सर्किट के पर्यटन सीजन में सदैव से सर्वाधिक 50 प्रतिशत की भागीदारी थाईलैंड की रही है, परंतु बीता सत्र दक्षिण कोरिया, वियतनाम के नाम रहा। इन दोनों देशों से सर्वाधिक पर्यटक कुशीनगर आए। तीन फरवरी को दक्षिण कोरिया के 13 सौ पर्यटकों के एक बड़े दल का आना उल्लेखनीय रहा। भारत-दक्षिण कोरिया मैत्री के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दो सौ सदस्यीय उच्चस्तरीय कोरियाई राजनयिक दल का आना पर्यटन को गति पहुंचा गया। दूसरे नम्बर पर वियतनाम, इंडोनेशिया व ताइवान के पर्यटकों की भागीदारी रही। जापान व चीन से बिल्कुल ही पर्यटक नहीं आए। थाईलैंड, भूटान, मलेशिया, सिंगापुर से आंशिक रूप से पर्यटक आए।

पर्यटन कारोबारियों को उम्मीद है कि अगले सत्र में पर्यटन सीजन पूरी तरह से पटरी पर आ जायेगा। कोविड के दौर के पूर्व कुशीनगर आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या एक लाख के लगभग रही है। कोविड काल में पर्यटन कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया था, जिसका सर्वाधिक प्रभाव होटल कारोबार पर पड़ा। होटल कारोबार पूरी तरह से बैठ गया। होटल मालिकों ने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी, जिससे कर्मचारियों पर रोजी-रोटी का संकट आ गया। बीते सत्र ने स्थिति बदली तो बौद्ध मॉनेस्ट्री में की भी खोई रौनक लौट लाई।

विदेशी सैलानियों व भारतीय पर्यटकों के आने से फूड स्ट्रीट, आर्ट एंड क्राॅफ्ट, पुष्प माला, गाइड, लाउंड्री, रेस्टोरेंट आदि गतिविधियों से जुड़े लोगों के चेहरों पर मुस्कान दिख रही है। बौद्ध भिक्षु अशोक का कहना है कि थाईलैंड, चीन व जापान से पर्यटकों का नहीं आना बौद्ध सर्किट के पर्यटन के लिए अच्छा नहीं है। दरअसल, इसके इसके पीछे संबंधित देशों द्वारा कोविड प्रोटोकाॅल को लेकर बरती जा रही सख्ती है। जिन देशों ने ढील दी है, वहां के पर्यटक आए। अगले साल से स्थिति बदलेगी।

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