लखनऊ

खानकाहें मोहब्बत और भाईचारे का पैगाम देती हैं: सूफी सैयद इजहार अली ।

लखनऊ :अपने समय के मशहूर बुज़ुर्ग हज़रत शाह मीना शाह के उर्स के अवसर पर दरगाह शेख़ शाहमीना में खानकाह दानिश की ओर से मझगवां शरीफ के सज्जादगन ने चादर पेश की। इस अवसर पर सैयद आतिफ अली शाह मझगवां शरीफ के नायब सज्जादा नशीन और सूफी सैयद इजहार अली सज्जादा खानकाह शाह अब्दुल रहमान, अफज़ाल फारूकी, सज्जादानशीन सफीपुर, हाफ़िज़ शरीफ़ अरिफ़ी, हाजी सईद अहमद अरिफ़ी, मौलाना मनसूर अरिफ़ी नेपाल, नसीर अरिफ़ी बांगरमऊ, कुलदीप अरिफ़ी शाहजहांपुर, दीपू अरिफ़ी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु और भक्त जन मौजूद थ इससे पहले खानक़ाह दानिश में महफिल सेमा का भी आयोजन किया गया। दूसरे दिन खानक़ाह दानिश में सूफी सैयद इज़हार अली द्वारा आयोजित एक पारंपरिक सूफियाना मुशायरा भी अपने समय के सूफी संत सैयद आरिफ अली शाह की याद में आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता सूफी सैयद इज़हार अली और संचालन शकील ग्यावी ने किया। शुरुआत महमूद अरिफ़ी ने नात पाक से की। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में सूफी सैयद इजहार अली ने कहा की दरगाहें प्रेम और भाईचारे का संदेश देती हैं यहां सभी पंत और धर्म के मानने वाले धर्म और जाति के भेदभाव के बिना आते हैं ।उन्होंने देश की हिफाजत ,अमन, शांति एवं तरक्की के लिए प्रार्थना की ।सैयद आसिफ अली शाह ने कहा कि देश की गंगा जमुनी संस्कृति हमारे बुजुर्गों का मुख्य संदेश है और हम इस परंपरा के पूर्णतया समर्थक हैं राष्ट्रीय स्तर के शायरों व कवियों में वासिफ फारुकी ,शाहिद जमाल, डॉक्टर हारून रशीद, सगीर नूरी ,इरशाद बाराबंकवी, मजहर अब्बास ,दर्द फ़ैज़ और शकील ग्यावी ने अपनी सूफियाना कविता के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए । इस मौके पर मेराज़ फैजाबादी के पुत्र नदीम मेराज के अलावा शहाब आलम, कुलदीप अरिफी, अफताब अरिफी, हाफिज शरीफ अरिफी आदि मौजूद थे।

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