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उत्तर प्रदेश में जमीन की तलाश में बसपा रोज चल रही नए दांव, इस बार दिव्यांगों को साधने के लिए किया यह प्लान

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी पार्टियां तैयारी में लग गई हैं और अपनी-अपनी तरह से जनता को लुभाने की कोशिश कर रही हैं. अपना वोट बैंक तैयार करने के लिए सभी दल जाति और अन्य आधार पर वोटरों को साधने के प्रयास में हैं. इसी बीच अब बसपा  ने एक नया फॉर्मूला तैयार किया है. बीएसपी जातीय समीकरण के साथ ही अब स्वयं सेवी संस्थाओं से जुड़ने में लगी है. इसमें भी पार्टी का मुख्य फोकस दिव्यांगों पर है. बसपा सुप्रीमो मायावती विचार कर रही हैं कि इसी महीने की 21 या 24 तारीख को वह ऐसी स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ बैठक करें जो दिव्यांगों के लिए काम करती हैं. बताया जा रहा है कि इसका जिम्मा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के पास है.

स्वयं सेवी संस्थाओं से जुड़े हैं लाखों लोग

गौरतलब है कि देशभर में स्वयं सेवी संस्थाओं का एक बड़ा नेटवर्क है. ये संस्थाएं हर फील्ड में काम कर रही हैं और लाखों-करोड़ों लोग इनसे जुड़े हैं. बसपा का मानना है कि अगर पार्टी इन्हें साध लेती है तो उसका वोट बैंक बढ़ जाएगा. इसलिए मायावती इन संस्थाओं को खुद से जोड़ने की कोशिश कर रही हैं.

बड़ा एलान कर सकती है बसपा

माना जा रहा है कि मायावती स्वयं सेवी संस्थाओं और दिव्यांगों से मिलने के दौरान कोई बड़े एलान करेंगी. हो सकता है उनकी मदद करने के लिए बसपा कोई बड़ी घोषणा करे.

सतीश मिश्रा ने लिया है जिम्मा

बसपा के वरिष्ठ नेताओं और एडवाइजर्स का मानना है कि किसी भी दल ने अभी तक स्वयं सेवी संस्थाओं से जुड़कर उनके हित का काम करने की नहीं सोची है. ऐसे में बसपा का प्लान है कि पहले ही इन संस्थाओं से जुड़कर इन्हें अपनी ओर कर लिया जाए. पार्टी ने अपने बेस्ट नेता को इस काम पर लगाया है. अब सतीश चंद्र मिश्रा ने स्वयं सेवाल संस्थानों को बसपा से जोड़ने का जिम्मा लिया है.

यह है बसपा का प्लान

बता दें, मायावती जब प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए लखनऊ में डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. यहां पर कई दिव्यांग लोगों को शिक्षा दी जाती है. रणनीतिकारों का प्लान है कि अब दिव्यांगजन से मिलकर उन्हें बताया जाना चाहिए कि बसपा की सरकार रहते हुए उनके लिए कई काम हुए हैं. अगर बसपा की सरकार फिर बनती है तो और काम किए जाएंगे.

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