उत्तर प्रदेशलखनऊ

नींद में खर्राटे आ रहे तो चिकित्सक से मिलें : डा. राजेन्द्र प्रसाद

लखनऊ। अगर आपको नींद के समय खर्राटे आ रहे हैं तो इसे नजरंदाज बिल्कुल न करें। यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया होने का लक्षण हो सकता है। केजीएमयू में चल रही यूपीटीबीसीकान के प्रथम दिन चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि खर्राटे आना लोगों की नजर में आम बात है लेकिन खर्राटे आने से दिल व दिमाग की बीमारी पैदा होती है,जिसका जीवन की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है।

डा. राजेन्द्र ने बताया कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया होने पर खर्राटे आते हैं, लेकिन खर्राटे की समस्या से ग्रस्त सभी लोग ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया से ग्रस्त नहीं होते, खर्राटे की समस्या से जूझ रहे 40 फीसदी लोगों में केवल पांच से 10 फीसदी लोग ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से ग्रस्त होते हैं। इसका इलाज समय रहते जरूरी है, नहीं तो लकवा, दिल का दौरा, उच्च रक्तचाप जैसी समस्या हो सकती है।

केजीएमयू के पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.वेद प्रकाश ने बताया कि तीन दिवसीय यूपीटीबीसीकॉन-2022 में पहले दिन एडवांस पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट,निद्रा की बीमारी और क्रिटिकल केयर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें पूणे से आये डॉ.संदीप ने एडवांस पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट के बारे में नई तकनीक व जानकारियां साझा की। डॉ.संदीप ने बताया कि अस्थमा,आरएलडी व सीओपीडी की जांच में एडवांस पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में एडवांस पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट जो भी कर रहा होता है,उसका प्रशिक्षित होने के साथ ही इस काम के लिए प्रतिवद्ध होना भी जरूरी है।

इस दौरान प्रो.आर एस कुशवाहा ने बताया कि टीबी होने पर बहुत से लोगों को जानकारी ही नहीं हो पाती,इसके पीछे की वजह इस बीमारी के शुरुआती दौर में तकलीफ कम होती है,इसलिए मरीज नजरअंदाज करता है,इसके अलावा कई बार रोग की सही डाइग्नोसिस भी नहीं हो पाती, साथ ही जिनकी दवा चल रही होती है,उनमें से कई मरीज दवा का पूरा कोर्स नहीं करते,इसलिए भी इस बीमारी के नियंत्रण में समय लग रहा है।

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