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हाथ में रोटी लेकर कहा ‘मुख्यमंत्री जी रोटी दो

दो जून को दो जून की रोटी के लिए शिक्षक भर्ती को लेकर प्रदर्शन

हाथ में रोटी लेकर कहा 'मुख्यमंत्री जी रोटी दो  

-रात में टॉर्च की रोशनी में चल रहा धरना -टीईटी, डीएलएड/बीटीसी प्रशिक्षित अभ्यर्थी शामिल

लखनऊ।ईको गार्डन में प्रदेश भर के शिक्षामित्रो ने ईको गार्डेन में प्रदर्शन और प्रयागराज में उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग पर शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर शिक्षक बेरोजगारों का धरना दिया। सोमवार को दो जून की रोटी के लिए महाधरना शुरू हुआ। धरने में हर जिले के अभ्यर्थी पहुंच रहे हैं।

महाआंदोलन में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण, डीएलएड/बीटीसी प्रशिक्षित अभ्यर्थी शामिल हैं। दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 2 लाख खाली पदों पर भर्ती की मांग को लेकर बेरोजगार युवाओं ने आंदोलन शुरू किया है। एलनगंज स्थित उप्र शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के दफ्तर के बाहर यह धरना 26 मई से चल रहा है। अभ्यर्थी दिन-रात यहीं पर धरना दे रहे हैं। रात में अभ्यर्थी टॉर्च की रोशनी में धरना दे रहे हैं। पूरा परिसर भर्ती दो, भर्ती दो के नारों से गूंज रहा है। जबकि लखनऊ के ईको गार्डन के शिक्षामित्रों का प्रदर्शन जारी है। ‘दो जून की रोटी’ की मांग को लेकर हजारों की संख्या में प्रदेशभर से आए शिक्षामित्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इन सभी ने टीईटी और सीटीईटी पास कर शिक्षक बनने का सपना संजोया था, लेकिन वर्षों के इंतजार और अनिश्चित भविष्य ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वे सड़क पर उतरे और सरकार से अपना हक मांगें। प्रदेश के 75 जनपदों से आए शिक्षामित्रों का कहना है कि वे लंबे समय से नियोजन, वेतनमान और स्थायी नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। अनेक बार सरकार से गुहार लगाने के बावजूद अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है। उनका कहना है कि वे राज्य की शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ हैं, फिर भी उन्हें न्यूनतम मानदेय और अस्थायी भविष्य के भरोसे छोड़ दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने हाथ में रोटी लेकर प्रदर्शन किया, जो प्रतीक था उनकी आर्थिक तंगी और असुरक्षा का। उनका स्पष्ट संदेश था कि वे अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे हैं। वे बार-बार यह दोहरा रहे थे कि “हमें सिर्फ नौकरी नहीं, जीवन जीने का अधिकार चाहिए। दो वक्त की रोटी भी नहीं मिल पा रही है, तो कैसे करें बच्चों का पालन?”  वर्षों तक सेवा देने के बावजूद शिक्षामित्रों को न तो पूर्ण शिक्षक का दर्जा मिला और न ही उनके अनुभव का लाभ। अनेक शिक्षामित्रों का कहना है कि वे 10-15 साल से शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं, लेकिन आज भी संविदा कर्मी की तरह काम करने को मजबूर हैं। कुछ ने कहा कि वे अब मानसिक और आर्थिक रूप से टूट चुके हैं। शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और शिक्षा मंत्री से निम्नलिखित मांगें रखीं जिनमे  सभी टीईटी और सीटीईटी पास शिक्षामित्रों को प्राथमिक विद्यालयों में स्थायी नियुक्ति दी जाए। पुरानी सेवा अवधि को शिक्षक भर्ती में जोड़ा जाए। मानदेय में वृद्धि कर न्यूनतम वेतन ₹25,000 किया जाए। शिक्षामित्रों के लिए अलग से नीति बने ताकि भविष्य सुरक्षित हो सके। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा किए गए वादों को लागू किया जाए। अब तक राज्य सरकार की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि कुछ विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया जाएगा। विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह “शिक्षा व्यवस्था की अनदेखी” और “नौकरी के नाम पर धोखा” है। कांग्रेस और सपा के कुछ नेताओं ने प्रदर्शन में पहुंचकर शिक्षामित्रों का समर्थन भी किया। प्रदर्शन को देखते हुए लखनऊ पुलिस ने भारी सुरक्षा व्यवस्था की थी। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए इको गार्डन क्षेत्र में पुलिस बल तैनात रहा। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, हालांकि शाम होते-होते भीड़ को हटाने के प्रयास शुरू किए गए।

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