उत्तर प्रदेशमेरठ

हस्तिनापुर में उत्खनन में मिल रहे महाभारत कालीन साक्ष्य

मेरठ। देश में ऐतिहासिक सभ्यताओं की खोज में जुटे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को अकाट्य साक्ष्य मिल रहे हैं। मेरठ के हस्तिनापुर स्थित पांडव टीले के उत्खनन में एएसआई को महाभारत काल के साक्ष्य मिल रहे हैं। अब साक्ष्य को अध्ययन के लिए संरक्षित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने देश के अंदर ऐतिहासिक सभ्यताओं के पुरावशेष की खोज के लिए विशेष रणनीति बनाई है। इसके तहत ही मेरठ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का नया सर्किल बनाया गया। इसके बाद हस्तिनापुर के पांडव टीले पर एएसआई ने उत्खनन शुरू कराया।

एएसआई के मेरठ सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. डीबी गणनायक के नेतृत्व में लगभग तीन महीने पहले खुदाई शुरू हुई। खुदाई के दौरान कई सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हुए। इन पुरावशेषों को कड़ी सुरक्षा में दिल्ली अध्ययन के लिए भेजा गया है। पांडव टीले पर ईंटों की प्राचीन दीवारों के साथ ही चित्रित धूसर मृदभांड, तांबे के सिक्के, हड्डियां, मिट्टी के बर्तन आदि प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए।

3500 साल पुराने अवशेषों की पुष्टि हुई

पांडव टीले पर खुदाई के दौरान चित्रित धूसर मृदभांड मिलने से यहां महाभारत कालीन सभ्यता होने की पुष्टि हो गई है। इन पुरावशेषों को 3500 साल पुराना बताया जा रहा है। इससे पुरातत्वविद खासे उत्साहित है। पुरातत्वविद डॉ. डीबी गणनायक का कहना है कि जानवरों की हड्यिां मिलने से सिद्ध हो रहा है कि महाभारत काल में भी यहां के लोग पशुपालन करते थे।

सिनौली में खुदाई में मिल चुका है रथ

एएसआई को बागपत जनपद के सिनौली गांव में उत्खनन के दौरान तांबे की तलवार, रथ मिल चुका है। भारत में खुदाई में पहली बार रथ मिलने के बाद से वामपंथी इतिहासकारों के कई झूठ बेनकाब हुए। जिसमें वे आर्यों को भारत का मूल निवासी नहीं मानते थे।

1952 में बंद कर दी गई थी खुदाई

इतिहासकार डॉ. अमितराय जैन का कहना है कि 1952-53 में प्रो. बीबी लाल के नेत्त्व में पांडव टीले पर खुदाई हुई थी। उस समय भी पांडव टीले से महाभारत कालीन चित्रित धूसर मृदभांड मिले थे। इसके बाद अचानक खुदाई बंद कर दी गई। इन पुरावशेषों को अभी भी सुरक्षित रखा गया है। अब फिर से खुदाई होने से महाभारत काल की पुष्टि हो रही है।

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button