उत्तर प्रदेशगोण्डा

पर्यावरणविद सन्तोष बाजपेयी के पर्यावरण साधना के बत्तीस वर्ष पूरे हुए लोगों ने दी बधाईयाँ

गोंडा। पर्यावरण संरक्षण के लिए 3 जून 1990 बिरसिहपुर उन्नाव से शुरू किया गया पर्यावरणविद सन्तोष बाजपेयी द्वारा अभियान के बत्तीस वर्ष पूरे होने पर लोगों ने बधाईयाँ दी। श्री बाजपेयी ने बताया कि 25 जून 2020 को पर्यावरण प्रेरणा स्थल का शुभारम्भ बिरसिहपुर मे हुआ। बत्तीस वर्ष पर्यावरण साधना में अनेकों कार्यक्रम देश विदेशों में आयोजित किया।जिसमें कुछ यादगार पलों में 3 दिसम्बर 2000 को पर्यावरणविद सुन्दर लाल बहुगुणा पर्यावरण महोत्सव का राजकीय इन्टर कालेज उन्नाव में हीरा लाल बाजपेयी पर्यावरण पुरस्कार सम्मान समारोह आयोजन में माँ चन्द्रवती बाजपेयी की प्रेरणा हमें निरन्तर आगे बढ़ाने का सम्बल प्रदान करती है।

3 फरवरी 2003 को उन्नाव से दिल्ली पर्यावरण चेतना यात्रा के बाद दूसरी 111 दिवसीय पर्यावरण संवेदना यात्रा 5 सितम्बर 2018 गोंडा से शुरू होकर कई प्रदेशों से होते हुए 25 दिसम्बर 2018 को दिल्ली के प्रेस क्लब आफ इंडिया में सम्पन्न हुई। भारत से पालीथीन मुक्त में वृहद जन-जागरण अभियान जीवनदायिनी मॉं गंगा की अविरलता एवं अन्य नदियों की निर्मलता,स्वच्छता ,जल संचय वृक्षारोपण, जैविक खेती एवं जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रति जन जागरण चला रहे है।

उनका कहना है कि हम प्रकृति की चिन्ता नहीं करते यही कारण है कि प्रकृति ने भी हमारी चिंता छोड़ दी हमने बिना सोचे अपने संसाधनों का दोहन किया आज उसी का प्रतिफल है कि हमारा पर्यावरण ही अस्वस्थ हो गया है जब पर्यावरण ही स्वस्थ नहीं होगा तो मानव कैसे स्वस्थ रह सकता है मानव ही नहीं धरती पर रहने वाले हर प्रजाति को भुगतना पडेगा अगर हम नहीं चेते धरती पर मानव का अस्तित्व कोई नहीं बचा जा सकता आज हमें ऐसे पर्यावरण सरक्षण को लेकर आन्दोलन चलाना होगा जीवन बचाओ आंदोलन इसका ससक्त माध्यम है।

आप अगर फिर से पक्षियों का कलरव सुनना है तो पिंजरा खरीदकर मत लाईये, एक पौधा लगाकर उसे पेड़ बनाईये। अधिक तापमान लू से बचना है तो ग्रीन नेट न लायें, अपने आसपास की ग्रीनरी बचायें।
गर्मी में पानी चाहिए तो नगरपालिका के सामने मटके न फोड़े, बरसात में घर की छत के पानी को धरती से जोड़ें। आँधी-तूफान से बचना है तो घर की दीवारें मोटी न बनायें, अपने गाँव के आसपास की पहाड़ी बचायें।

प्रतिदिन घर में ज्यादा पानी आवें उसके लिए मोटा पाईप मत बिछाइये, अपने-अपने गाँव की नदी बचाईये क्योंकि छोटी बडी नदियां अपना अस्तित्व खो रहीं हैं। शुद्ध अन्न के लिए केवल धन नहीं चाहिए, गौधन बचाईये एक गाय सभी को पालनी चाहिए। कुओं का अस्तित्व भी खतरे में है हर गाँव में कम से कम दो कुएं बचाने के लिए सरकार समाज को आगे आने की जरूरत है श्री बाजपेयी ने कहा पौधे तो जन्म दिन शादी के अवसर पर शुभ दिनो पर अवस्य लगाना चाहिए।

श्री बाजपेयी ने छोटी नदियों के खोते अस्तित्व पर चिंता जाहिर करते हुए युवाओं को आगे आने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को जोड़ने के लिए प्रकृति सेवा प्रहरी का गठन किया गया है। इनका दायित्व नदियों कुओं का अस्तित्व बचाने पर्यावरण की संवेदनाओ को बचाना है। श्री बाजपेयी मनकापुर आई टी आई में सहायक विधि अधिकारी पर्यावरण के पद पर कार्यरत हैं।

अपने आफिस के बाद पूरा अखिल भारतीय पर्यावरण संवेदना जागरूकता अभियान के तहत जीवन बचाओ संकल्प पत्र भरवाते है। जीवन बचाओ आंदोलन ज 5 जल, जमीन, जंगल, जलवायु, जनसंख्या के साथ देश के प्रत्येक ग्राम पंचायत में संस्कार स्मृति वाटिका के लिए प्रयासरत हैं। श्री बाजपेयी 5 क मतलब जीवन क्रान्ति, गाँव क्रान्ति, किसान क्रान्ति, सामाजिक क्रान्ति, राष्ट्र निर्माण क्रान्ति, से समाज को जाग्रत करने का अभियान चलाया जा रहा है अपनी शादी 30 जून 2001 से परिणय पौध की शुरुआत की आज इस परिणय पौध आम के पौध को वर कन्या अपनी शादी में लगाना चाहते है।

सन्तोष कुमार बाजपेयी पर्यावरण संवर्द्धन के क्षेत्र में बत्तीस वर्ष पूरे किया हैं। इनके द्बारा पर्यावरण के लिए कार्य देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहें हैं। जल संरक्षण के लिए जल प्रहरी सम्मान पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 2002 का इन्द्रा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है। विदेश सिंगापुर मलेशिया में पर्यावरण सरक्षण के लिए सम्मानित किया गया है।

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button