उत्तर प्रदेशकासगंज

मोक्षदा एकादशी पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

कासगंज। शूकर क्षेत्र सोरों में स्थित हरि पदी गंगा घाट पर मंगलवार को गैर प्रांतों से आए तमाम श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर आस्था की डुबकी लगाई है। यहां संचालित मेला मार्गशीर्ष के दौरान कई स्नान होंगे। जिनमें प्रदेश के अलावा कई प्रदेशों से पहुंचने वाले श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पूर्ण लाभ की प्राप्ति करेंगे। सोमवार देर शाम से श्रद्धालुओं के गंगा घाट पर आने का क्रम प्रारंभ हो गया था। मंगलवार की भोर पहर से लेकर देर शाम तक गंगा स्नान का सिलसिला जारी रहेगा।

इस दौरान अन्य राज्य दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड के तमाम श्रद्धालुओं ने गंगा घाट पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई, धार्मिक अनुष्ठान कराए। पुरोहितों, साधु-संतों एवं गरीबों को यथा संभव दान दक्षिणा देकर पुण्य लाभ कमाया। कोरोना काल के बाद मेला मार्गशीर्ष का भव्य आयोजन किया जा रहा है। 15 दिन तक मेला संचालित होगा। इसमें कई शाही स्नान भी होंगे।

मोक्षदा एकादशी का स्नान भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। गंगा स्नान को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को लेकर जिला प्रशासन एवं नगर पालिका ने खास इंतजाम किए। नगर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त रही। पुलिस पिकेट जगह-जगह लगाए गए। यातायात पुलिस ने भी बाहर से आने वाले वाहनों की व्यवस्था दुरुस्त रखी। श्री गंगा सभा के अध्यक्ष कैलाश चंद्र कटारे एवं गंगा भक्त समिति के अध्यक्ष सतीश चंद्र भारद्वाज के मुताबिक मोक्षदा एकादशी पर लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर पुण्य लाभ कमाया है।

लगाई परिक्रमा, कराया मुंडन

बड़ी संख्या में मोक्षदा एकादशी पर गंगा स्नान को पहुंचे श्रद्धालुओं ने हरि पदी गंगा की परिक्रमा लगाई। इसके अलावा श्रद्धालुओं ने अपनी मनौती के मुताबिक नन्हे-मुन्ने बालक बालिकाओं का मुंडन भी गंगा घाट पर कराया। हवन, पूजन एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी कराएं।

यह है मोक्षदा एकादशी का महत्व

शूकर क्षेत्र सोरों के निवासी ज्योतिषाचार्य गौरव दीक्षित के मुताबिक मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोक्ष देने वाली एकादशी कहते हैं। मोक्षदा एकादशी को व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। विष्णु कृपा से जीवन में सबकुछ सुलभ हो जाता है। जीवन सुखमय होता है। मोनाकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करके अपनी विशेष मनोकामना पूरी कर सकते हैं।

वराह पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने अपना तीसरा अवतार वराह रूप लेकर हिरण्याक्ष नामक राक्षस का वध करके पृथ्वी का उद्धार इसी शूकरक्षेत्र की पावन धरा पर किया था। इसके पश्चात मार्गशीर्ष एकादशी के दिन व्रत कर शूकर क्षेत्र वराह कुंड में स्नान, जप आदि करके एकादशी का व्रत किया एवं द्वादशी के दिन प्रातः अपने शरीर का त्याग कर भगवान स्वयं साकेत लोक चले गये। उस दिन के पश्चात हज़ारों वर्षो से मार्गशीष एकादशी से पूर्णमासी तक यहाँ हज़ारों साधु संत एवं धर्म प्रेमी गंगा स्नान एवं दर्शन के लिये देश के कोने कोने से पधारते हैं। अपनी अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये प्रार्थना करते हैं।

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