उत्तर प्रदेशलखनऊ

बच्चों ने संकल्प लिया, नहीं करेंगे व्यर्थ अनाज का दाना

  • लोक संस्कृति शोध संस्थान के कार्यक्रम दादी-नानी की कहानी में स्टोरीमैन जीतेश ने सुनाई कहानी

लखनऊ। अन्न का दाना व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। घमण्ड और लालच से दूर रहते हुए गरीबों की हर सम्भव सहायता की जानी चाहिए। दूसरों का बुरा करने वाले को दुखों का सामना करना पड़ता है। यह बातें बुधवार को स्टोरीमैन जीतेश श्रीवास्तव ने जानकीपुरम स्थित रामकिशोर कान्वेण्ट इंटर कालेज के बच्चों को बतायीं। बच्चों ने संकल्प लिया कि वे अनाज का दाना व्यर्थ नहीं जाने देंगे।

विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा देने के उद्देश्य से लोक संस्कृति शोध संस्थान की श्रृंखला दादी-नानी की कहानी जीतेश की जुबानी कार्यक्रम में अमीर की भूख, गरीब की भूख नामक कहानी सुनाई गई। कहानी के माध्यम से बच्चों में प्रेरणात्मक भाव भरे गये। कार्यक्रम की शुरुआत टंग ट्विस्टर के माध्यम से उच्चारण अभ्यास के साथ हुआ। विद्यालय के प्रबन्धक जी.पी. शुक्ला और प्रधानाचार्य बीना त्रिपाठी ने कथा प्रस्तोता स्टोरीमैन जीतेश श्रीवास्तव, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी, संरक्षक आभा शुक्ला, राजनारायण वर्मा, शम्भुशरण वर्मा एवं डॉ. एस.के. गोपाल का स्वागत किया।

अमीर की भूख और गरीब की भूख

स्टोरीमैन जीतेश ने कहानी की शुरुआत गांव के एक मोची रमेश के माली हालात के वर्णन से की, जो बहुत गरीब था और अपनी बेटी माया के साथ रहता था। एक दुर्घटना में रमेश के पैर टूटने के बाद बेटी माया पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ता है। वह गांव के मुखिया के घर काम करने लगती है। मुखिया का घमंडी बेटा काफी सारा खाना प्लेट में छोड़ दिया करता है।

अप्रत्याशित घटनाओं के बाद मुखिया का बेटा अनाज के दानों को तरस जाता है जबकि गरीब माया उसे अपने घर लाकर उसे भरपेट भोजन कराती हुए कहती है कि मैंने आपको खाना इसलिए खिलाया क्योंकि मुझे भूख की अहमियत पता है। चाहे अमीर हो या गरीब भूख सबको एक जैसी लगती है। हमें हमेशा अनाज का सम्मान करना चाहिए और कभी भी भोजन फेंकना नहीं चाहिए।

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button