उत्तर प्रदेशबाँदा

बांदा : गर्मी बढ़ते ही गांवों की तरह शहर में भी गहराने लगा पेयजल संकट

बांदा। चित्रकूट मंडल मुख्यालय बांदा में हर साल गर्मी बढ़ते ही पेयजल का संकट उत्पन्न हो जाता है। इस साल भी गर्मी आते ही पेयजल संकट गहराता नजर आ रहा है। घरों में नल के जरिए बमुश्किल 30 से 40 मिनट जल आपूर्ति की जाती है। जिससे लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। जिला मुख्यालय में जलापूर्ति का मुख्य स्रोत केन नदी है। यहां से जलापूर्ति के लिए दो इंटरवेल बनाए गए हैं, लेकिन गर्मी शुरू होते ही नदी का पानी कम होने लगता है। जिससे जलापूर्ति में भी बाधा आने लगती है। केन नदी के दोनों छोरों में इंटरवेल बने हैं।

इनमें एक भूरागढ़ और दूसरा राजघाट के समीप है। गर्मी में अक्सर केन नदी का पानी कम होने पर पहले बालू भरी बोरियां लगाकर इंटेक बेल तक पानी पहुंचाया जाता था। लेकिन इधर सदर विधायक के प्रयास से इंटरवेल तक पानी पहुंचाने के लिए जल निगम ने स्थाई पक्के चैनल का निर्माण कराया है, लेकिन इसमें भारी मात्रा में बालू जमा हो गई है। जिससे जलापूर्ति में परेशानी हो रही है। हालांकि जल संस्थान ने दावा किया है कि चैनल की बालू साफ करा दी गई है, अब जलापूर्ति में किसी तरह की दिक्कत नहीं है।

दूसरी तरफ देखें तो शहर के कई मोहल्लों में जलापूर्ति ठीक से न होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों द्वारा प्रदर्शन करने से जल संस्थान द्वारा प्रभावित इलाकों में टैंकरों के जरिए जलापूर्ति की जा रही है। कुछ बस्तियों में पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने या फिर उन बस्तियों में पाइपलाइन न होने से पेयजल संकट पैदा हो गया है। इस समय पल्हरी जवाहर नगर, कांशीराम कालोनी और गायत्री नगर में पानी का भीषण संकट है। जिससे यहां के लोग एक एक बूंद पानी के लिए परेशान हैं। इन इलाकों में हैंडपंप भी काम नहीं कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि शहर में हर दिन 26.5 मिलियन लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। इस समय आपूर्ति घटकर 23 एमएलडी रह गई है। जल संस्थान के आंकड़ों के मुताबिक शहरी क्षेत्र में लगभग 25 ट्यूबेल हैं। 3 नलकूप के रिबोर होने हैं इनमें कनवारा रोड, अतर्रा रोड और बबेरू रोड के ट्यूबवेल शामिल है। इसी तरह 35 कुएं हैं इनमें सिर्फ 1.5 एमएलडी पानी ही मिल पाता है जबकि केन नदी में बने दो इंटेकबेलों से 19 एमएलडी पानी मिलता है। इसके बाद भी शहर के कुछ हिस्सों में पानी की समस्या बनी हुई है।

जल संस्थान के अधिशासी अभियंता राजेश श्रीवास्तव का कहना है कि शहर के गायत्री नगर में पानी का संकट ज्यादा होता था, लेकिन अब की ट्यूबवेल ठीक करा कर पाइपलाइन भी दुरुस्त करा दी गई है। गर्मी में पानी का संकट नहीं हो पाएगा। वैसे इस संकट से निपटने के लिए विभाग के पास 40 टैंकर मौजूद है। जहां भी पेयजल संकट की जानकारी मिलेगी, टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाया जाएगा।

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