उत्तर प्रदेशलखनऊ

नक्कारे की आवाज के साथ मंच पर उतरी अमर शहीद भगत सिंह की जिंदगी

  • उप्र संगीत नाटक अकादमी के प्रेक्षागृह में हुआ मंचन

लखनऊ। देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जिंदगी को कई बार मंचों पर और फिल्में पर्दे पर भी दर्शाया जा चुका है लेकिन बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इस कहानी को एक नए अंदाज में पेश किया गया। जी हां, इसे नक्कारें की अवाज के साथ नौटंकी शैली में प्रस्तुत किया गया। इसका मंचन उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी के संत गाड्गे जी महाराज प्रेक्षागृह में किया गया। लखनऊ के वरिष्ठ रंगकर्मी आतमजीत सिंह के निर्देशन में ठेठ देसी शैली और अवधी मे प्रस्तुत यह नौटंकी सीधे दर्शकों के दिलो मे अपनी छाप छोड़ने मे सफल रही। इस ऐतिहासिक कहानी को नौटंकी शैली में शेषपाल सिंह ने ढाला।

शुरुआत नक्कारे की आवाज के बीच मंच पर लाहौर कालेज में भगत सिंह और उनके साथियों की बातचीत के साथ दृश्य उभरता है। जहां युवा भगत सिंह अपने साथी जयदेव कपूर और भगवती चरण के साथ मिलकर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन करते हैं। लयबद्ध संवाद नौटंकी की रोचकता और अधिक बढ़ा रहे थे। मात्र राजनीतिक ही नहीं बल्कि आर्थिक और मानवीय आजादी के पैरोकार भगत सिंह के हर पक्ष को नाटक में मजबूती से दिखाया गया। ’करे नया निर्माण साथियों, करे नया निर्माण… बिना आर्थिक आजादी के पूर्ण न हो अभियान’ जैसे गीतो को भी नाटक मे जगह दी गई।

नाटक में भगत सिंह की भूमिका में परितोष मिश्रा ने अपनी भूमिका को मजबूती से उजागर किया। वहीं सूत्रधार में गगनदीप, सोमेन्द्र प्रताप, श्रुतिकीर्ति, ज्योति, माही, अंजली, प्रियंका ने अपने गीतो से दर्शकों को उस समय काल मे पहुंचाया। अंग्रेज अधिकारी सॉनडर्स की भूमिका में अभिजीत और चानन सिंह के गेटअप में सूरज गौतम ने लोगों को उस समय के दृश्य को जीवन्त किया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली द्वारा आयोजित एक माह की यह प्रस्तुतिपरक कार्यशाला में प्रशिक्षण व देवाशीष मिश्रा ने दिया। प्रकाश परिकल्पना सुजीत कुमार की थी। सहायक निर्देशन सरबजीत सिंह थे।

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