उत्तर प्रदेशलखनऊ

लखनऊ यूनिवर्सिटी के व्हाट्सएप ग्रुप में भेजा गया अश्लील फोटो और कंटेंट, नंबर नहीं ट्रेस कर पाई पुलिस

कोरोना काल मे स्टूडेंट्स की पढ़ाई का एक मात्र सहारा ऑनलाइन क्लासेज है. लेकिन अब इसमे भी बड़ी चुनौती सामने आने से दिक्कत बढ़ गयी है. लखनऊ विश्वविद्यालय में ऑनलाइन प्रजेंटेशन के लिए बनाए गए एक व्हाट्सएप ग्रुप में अश्लील फोटो और कंटेंट पोस्ट किया है. चार दिन के अंदर दो बार इस ग्रुप पर तो अश्लील सामग्री पोस्ट की ही गयी, साथ ही अश्लीलता परोसने वाले ने इस ग्रुप से छात्र, छात्राओं और शिक्षकों के नंबर चुराकर एक अलग ग्रुप ही बना दिया. इस नए ग्रुप पर भी अश्लील फोटो और कंटेंट भेज गया. छात्र-छात्राओं की शिकायत पर विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो. दिनेश कुमार ने हसनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. पुलिस ने स्टूडेंट्स से पूछताछ शुरू कर दी है.
असल में इस समय विश्वविद्यालय के सभी विभाग विभिन्न माध्यम से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. इसके लिए तमाम व्हाट्सएप ग्रुप बनाये गए हैं. विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग ने भी ऐसा एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जिस पर स्टूडेंट्स के प्रजेंटेशन हो रहे थे. इसी बीच 17 जुलाई को इस ग्रुप पर एक अनजान मोबाइल नंबर से अश्लील फोटो और लिखित सामग्री पोस्ट की गई. इसमे शिक्षकों, छात्राओं, छात्रों के लिए अभद्र टिप्पणी की गई थी. शिकायत मिलने पर चीफ प्रॉक्टर प्रो. दिनेश कुमार ने हसनगंज थाने में 18 जुलाई को इसकी एफआईआर दर्ज कराई.
पुलिस ने छात्र-छात्राओं से पूछताछ शुरू की
मामले की गंभीरता देख पुलिस ने छात्र-छात्राओं से पूछताछ शुरू की. हालांकि चार दिन में पुलिस उस नंबर को ट्रेस नहीं कर पाई. इससे उसका हौसला और बढ़ गया जिसने अश्लील फोटो भेजे थे. 21 जुलाई की रात 1.13 पर एक बार फिर से उस व्यक्ति ने ग्रुप पर अश्लील सामग्री भेजी. साथ ही एक अलग ग्रुप बनाकर भी सभी को जोड़ा और अश्लील फोटो भेजे. अब इस मामले में भी एफआईआर दर्ज कराई गई है. 23 जुलाई को एक बार फिर से पुलिस ने विश्वविद्यालय पहुंचकर पूछताछ की.
इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय स्तर की भी लापरवाही सामने आ रही है और तमाम सवाल उठ रहे हैं. असल मे इस ग्रुप में वो अनजान नंबर ग्रुप में जुड़ने का इनवाइट मिलने के बाद शामिल हुए. ऐसे में सवाल ये कि इतने महत्वपूर्ण ग्रुप में किसी अनजान नंबर को एक्सेस कैसे मिल गयी? सवाल ये भी की अगर 17 जुलाई को इस नंबर से अश्लील सामग्री आयी थी तो उसे ब्लॉक क्यों नही किया गया जिससे वो फिर 21 जुलाई को पोस्ट न कर पाता? कुल मिलाकर विश्वविद्यालय में तकनीक का इस्तेमाल तो हुआ लेकिन उससे बचने के आसान उपाय भी नहीं अपनाए गए. सवाल ये भी कि 4 दिन में भी पुलिस उस नंबर को ट्रेस क्यों नही कर पाई? क्या पुलिस का IT सेल इतना कमजोर है?
छात्राएं, शिक्षक काफी असहज और परेशान हैं
लखनऊ विश्वविद्यालय ने कुछ समय पहले ऑनलाइन पढ़ाई के लिए SLATE नाम से एप तैयार कराया था. ऐसे में सवाल ये कि एप होने के बावजूद विभाग में व्हाट्सएप पर प्रेजेंटेशन का सहारा क्यों लेना पड़ा. चीफ प्रॉक्टर प्रो. दिनेश ने बताया कि विश्वविद्यालय में सभी स्टूडेंट्स का डेटा बेस है. उन सभी मे उनके व्यक्तिगत और वैकल्पिक व परिजनों के नंबर हैं. जिस नंबर से अश्लील सामग्री आयी उसे इस डेटा बेस में ढूंढा गया लेकिन नहीं मैच हुआ. उन्होंने कहा कि सभी विभागों को कहा जा रहा है कि वो पढ़ने के लिए अन्य एप की जगह विश्वविद्यालय के अपने एप SLATE का इस्तेमाल करें. बहरहाल इस हरकत से छात्राएं, शिक्षक काफी असहज और परेशान हैं.

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