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एमएसएमई सेक्टर निभाएगा आगामी चुनावों में अहम भूमिका

लखनऊ। यूपी में चुनावी सक्रियता ने अब जोर पकड़ लिया है। कौन-सी पार्टी किस एजेंडे के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है, यह भी स्पष्ट होने लगा है। जनहित के मुद्दों से लेकर लोकलुभावन घोषणाएं करने का सिलसिला शुरू हो चुका है। ऐसे में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के किए गए प्रयास विभिन्न राजनीतिक दलों पर भारी पड़ता दिख रहा है। बीते साढ़े चार साल में योगी सरकार में एमएसएमई सेक्टर में कारोबार करने के लिए 76 लाख 73 हजार 488 लोगों को दो लाख 42 हजार 028 करोड़ रुपये का ऋण मिला। सरकार के प्रयासों से इस सेक्टर को मिले ऋण से करीब दो करोड़ लोग रोजगार पाए हैं। इसके चलते विपक्षी दल कारोबारियों के बीच अपनी हवा नहीं बना पा रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ प्रदेश का एमएसएमई सेक्टर देश में एक नया रिकार्ड बना रहा है। देश की 14 प्रतिशत इकाइयां यूपी में हैं और प्रदेश सरकार की औद्योगिक नीति के चलते इस सेक्टर में लगातार निवेश बढ़ रहा है। हर जिले में नई – नई एमएसएमई इकाइयों की स्थापना हो रही है। कोरोना के वैश्विक संकट के दौरान भी इस सेक्टर में करीब डेढ़ लाख से अधिक नई इकाइयां इस सेक्टर में लगाई गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए विशेष ध्यान के चलते यूपी में एमएसएमई के कारोबारियों का बीजेपी के लिए एक नया कोर वोट बैंक तैयार हो गया है। इसका संज्ञान लेते हुए कारोबार जगत से जुड़े लोग यह कह रहे हैं कि आगामी चुनावों में यह सेक्टर भी अहम भूमिका निभाएगा।

वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र कुमार कहते हैं कि कारोबार जगत से जुड़े लोगों के इस दावे की वजह भी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 को जब यूपी की सत्ता संभाली थी, तब यूपी में कारोबारी गतिवधियां सुस्त थीं। एमएसएमई सेक्टर की भी स्थिति बेहतर नहीं थी। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के औद्योगिक वातावरण को बेहतर करने की ठानी। उन्होंने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां तैयार कराईं। इंवेस्टर समिट का आयोजन किया और एमएसएमई सेक्टर में अपनी इकाई स्थापित करने के लिए उद्यमी को ऋण मुहैया कराने पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री की इस पहल का व्यापक असर हुआ। इंवेस्टर समिट में 1045 निवेशकों ने 4.28 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव सरकार को सौंपे। इनमें से तीन लाख करोड़ रुपये के अधिक का निवेश नोएडा सहित कई अन्य जिलों में हो रहा है। इसी प्रकार एमएसएमई सेक्टर में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी इकाई लगाने में रुचि दिखाई। नई इकाइयों की स्थापना को लेकर राज्य में एमएसएमई सेक्टर द्वारा दिखाए गए उत्साह को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इस सेक्टर में अधिक से अधिक निवेश लाने के लिए एमएसएमई पार्क की स्थापना करने को मंजूरी दी। इसके तहत यमुना एक्सप्रेस वे विकास प्राधिकरण (यीडा) के सेक्टर 29 और 32 में सूबे का पहला एमएसएमई पार्क स्थापित किया जा रहा है।

इसके अलावा जल्दी ही आगरा, कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, आजमगढ़ और गोरखपुर में भी ऐसे ही पार्क बनाए जा रहे हैं। इन छह जिलों में बड़ी संख्या में एमएसएमई इकाइयां है। इस सेक्टर के विकास को लेकर उठाए जा रहे इन कदमों के साथ ही प्रदेश सरकार ने कोरोना संकट के दौरान भी कोई एमएसएमई इकाई बंद नहीं होने दी। तब सरकार के जीवन और जीविका को बचाने के लिए इंडस्ट्रियल लॉकडाउन नहीं किया। सरकार का यह फैसला सूबे की एमएसएमई इकाइयों के लिए संजीवनी साबित हुआ है। सूबे के नए उद्यमियों ने इस त्रासदी में भी उद्यमिता का परिचय देते हुए नई इकाइयां स्थापित कीं।

वरिष्ठ पत्रकार कुमार कहते हैं कि सरकार के आंकड़ों के अनुसार, यूपी में रोजगार मुहैया कराने के लिहाज से कृषि क्षेत्र के बाद एमएसएमई सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर है। एमएसएमई की संख्या के लिहाज से देश में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 14.2 प्रतिशत है। एमएसएमई सेक्टर के माध्यम से प्रदेश लगातार तीन वर्षों से 1.14 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात कर रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एमएसएमई को यूपी के किस तरह से वरीयता दी है, उसे इन सरकारी आंकड़ों से भी समझा जा सकता है। वित्त वर्ष 2016-17 में सपा सरकार के दौरान छह लाख 35 हजार 583 एमएसएमई को 27 हजार 2 02 करोड़ रुपये का ऋण मुहैया कराया गया था। जबकि 2017 में सत्ता परिवर्तन होते ही योगी सरकार में वित्त वर्ष 2017-18 में सात लख 87 हजार 572 एमएसएमई को 41 हजार 193 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया।

वित्त वर्ष 2018-19 में 10 लाख 24 हजार 265 एमएसएमई उद्यमियों को 47 हजार 764 करोड़ रुपये और 2019-20 में 17 लाख 45 हजार 472 एमएसएमई उद्यमियों को 62 हजार 831 करोड़ रुपये का लोन दिया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में 34 लाख 80 हजार 596 एमएसएमई इकाइयों को 63 हजार 038 करोड़ रुपये का ऋण मुहैया कराया गया है। इस वर्ष एक अप्रैल से 10 नवंबर तक एक लाख 25 हजार 408 नई एमएसएमई इकाइयों को 16 हजार 002 करोड़ रुपये का ऋण मुहैया कराया है।

सरकार के इन आंकड़ों के मुताबिक़ राज्य में 89.99 लाख एमएसएमई सेक्टर में पंजीकृत हैं। एक एमएसएमई इकाई में तीन से पांच कार्य करते हैं। करीब चार करोड़ से अधिक लोग एमएसएमई सेक्टर में कार्यरत हैं। वर्ष 2016 से अब तक राज्य में दो लाख 42 हजार 028 करोड़ रुपये का ऋण एमएसएमई सेक्टर में 76 लाख 73 हजार 488 लोगों को मुहैया कराया है। एमएसएमई सेक्टर के इन आंकड़ों का संज्ञान लेते हुए ही औद्योगिक संगठनों का दावा है कि आगामी चुनावों में बड़े और छोटे उद्यमी अहम भूमिका भूमिका निभाएंगे।

आईआईए से जुड़े और आइसक्रीम के कारोबारी चेतन भल्ला कहते हैं, बीते साढ़े चार वर्षों में सरकार के स्तर से कारोबारी समाज का ख़ासा ध्यान रखा गया है, उन्हें उद्यम स्थापित करने के लिए जमीन से लेकर ऋण तक सुगमता से उपलब्ध कराने में सरकार ने ध्यान दिया है। इसके चलते राज्य में रिकार्ड निवेश आया और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला। उद्योगों को मंदी का शिकार नहीं होना पड़ा। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यूपी के एमएसएमई सेक्टर में सरकार के प्रयासों से मजबूती आयी है। यह स्थिति बनी रहे, इसके लिए आगामी चुनावों में एमएसएमई सेक्टर की अहम भूमिका निभाएगा। वह यह भी कहते हैं कि प्रदेश सरकार ने जिस तरह से राज्य में निवेश को बढ़ाने और एमएसएमई सेक्टर की कोरोना संकट के दौरान जो मदद की उसके चलते विपक्षी दलों के नेता कारोबारियों के बीच अपनी हवा बनाने की हिम्मत तक नहीं कर पा रहे हैं।

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