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अयोध्या, मथुरा, काशी के बल पर चुनाव जीतने की तैयारी में BJP, विपक्षी पार्टियां भी खुद को ‘राम भक्त’ साबित करने पर तुली

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारियां पूरे जोर शोर के साथ की जा रही हैं. लोगो के दिलो में जगह बनाने के लिए हर पार्टी अपनी ओर से कोशिश करने लगी है. वहीं बात अगर सत्ता पर काबिज बीजेपी की करें, तो बीजेपी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और विकास वादी एजेंडे पर आगे बढ़ इस चुनाव में फतह हांसिल करने की रणनीति पर काम कर रही है. पार्टी की बैठक हो या जनसभा के कार्यक्रम सीएम से लेकर बाकी सभी नेताओं का जोर अयोध्या, मथुरा, काशी और मिर्जापुर जैसे आध्यात्मिक शहरों पर है. बीजेपी समग्र हिंदुत्व का झण्डा बुलंद कर विपक्ष के जातीय गोलबंदी सहित बाकी मुद्दों की हवा निकालना चाहती है. बीजेपी के समग्र हिंदुत्व के केंद्र में है प्रभु श्री राम है. बीजेपी अब राम और उनकी अयोध्या के जाप से चुनावी चुनौतियों को आसान बनाने में जुटी हुई है.

एक बार फिर राम के नाम पर बेड़ा पार लगाने की तैयारी

बीजेपी और अयोध्या का नाता बहुत गहरा और बहुत पुराना रहा है. राम मंदिर की लड़ाई में बीजेपी हमेशा आगे रही है. केंद्र में बीजेपी के सत्ता में रहते हुए राम मंदिर का मामला सुलझा और राम मंदिर निर्माण को हरी झंडी मिली ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब राम को चुनाव के केंद्र में रखना है. सीएम योगी जहां-जहां जाते है उनकी बातों के मूल में सांस्कृतिक राष्टवाद और केंद्र में श्री राम होते हैं.

राम मंदिर के अलावा अन्य धार्मिक स्थलों पर भी नजर

बीजेपी की सियासत के केंद्र में अयोध्या है लेकिन नजर बाकी धर्मिक स्थलों पर भी है. बीते साढ़े चार साल में वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी कॉरिडोर सहित मथुरा में विकास कामों को अमलीजामा पहनाया गया है. धार्मिक पर्यटन पर खासा जोर दिया गया है. इसको ऐसे समझा जा सकता है कि जब बीजेपी की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसी तरह की रैली होती है तब वे कृष्ण और मथुरा का जिक्र और पूर्वांचल के दौरें में काशी विश्वनाथ मंदिर और मां विंध्यवासिनी का जिक्र होता है. बीजेपी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से वोटर्स के सेंटीमेंट्स को टच करके चुनाव जीतने की तैयारी कर रही है.

नवम्बर में भव्य दीपोत्सव की भी तैयारी पीएम मोदी के आने की संभावना

जबसे यूपी में बीजेपी सत्ता में आई है तब से अयोध्या में दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है. पिछले साल तो अयोध्या में राम की पैड़ी पर 6 लाख से ज्यादा दीपक जलाने का कीर्तिमान स्थापित करके विश्व रिकॉर्ड बनाया गया. जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ ठीक वैसे ही बीजेपी इस बार भी तैयारी कर रही है और इस बार पीएम मोदी के आने की बातें चल रही हैं ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं दीपोत्सव के बाद औपचारिक रूप से बीजेपी के प्रचार अभियान का आगाज हो जाएगा.

बीजेपी के अलावा दूसरे राजनीतिक दल भी जप रहे हैं राम का नाम

अभी तक विपक्षी राजनीतिक दल बीजेपी को राम के नाम पर राजनीति करने के लिए कोसते थे, लेकिन अब वही दल अपने आप को राम का सबसे बड़ा भक्त बताने में लगे हुए हैं जिसमें एसपी से लेकर बीएसपी कांग्रेस और तो और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश की प्रमुख पार्टियों ने अयोध्या से सम्मेलनों का आगाज कर इसका प्रमाण भी दे दिया. फैसला आने के बाद अब किसी भी सियासी दल को राम से परहेज नहीं है. बदली सियासत के दौर में बहुसंख्यकों पर भी फोकस है.

लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद बैकफुट पर बीजेपी

लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद बीजेपी की खूब किरकिरी हो रही है. खासकर कांग्रेस इस मुद्दे को जबरदस्त तरीके से उठा रही है. 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के बाद अभी तक मृतक किसानों के घर राजनीतिक दलों का आना जाना लगा है. विपक्ष इस मुद्दे को आसानी से छोड़ने को तैयार नहीं है. प्रियंका से लेकर अखिलेश तक सब  केंद्रीय गृह राज्यमंत्री मंत्री अजय मिश्र के इस्तीफे की मांग कर सरकार पर दवाब बना रहे हैं.

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