फूलन की राह पर चल पड़ी है सुल्तानपुर की कमला

- पति की हत्या बाद लोकतंत्र की रक्षा के लिए सियासत में रखा कदम तो बदल गई स्थितियां
- सदियों तक जुबां पर होगी कमला की बहादुरी के किस्से…
लखनऊ। कमला देवी ने अन्याय के खिलाफ जो आवाज बुलंद की उसकी गूंज सदियों तक सुनाई पड़ेगी। आने वाली पीढ़ियों की जुबां पर कमला देवी के किस्से भी फूलन देवी सरीखी महिलाओं जैसे ही होंगे। जिन सामंती लोगों के खिलाफ कमला ने निर्भीक होकर अपनी जान की बाजी लगाकर लड़ाई लड़ी, उनके सामने अपवाद छोड़ दें तो ज्यादातर सियासी चेहरे गुरिल्ला युद्ध ही खेलते रहे।
कमला देवी उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले की मझवारा गांव की निवासी हैं। यह गांव धनपतगंज ब्लाक का हिस्सा है। इसी ब्लाक में एक गांव मांयग है। जहां के निवासी चन्द्रभद्र सिंह सोनू,एवं यशभद्र सिंह मोनू हैं। सोनू विधायक रहे और मोनू ब्लाक प्रमुख। मायंग गांव से मझवारा गांव एकदम सटा है। वर्ष 2010 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दौरान कमला देवी के पति अयोध्या जिले में कानूनगो रहे।
रामकुमार यादव की अपहरण बाद हॉकी एवं तलवार से निर्मम हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप सोनू, मोनू एवं उनके गुर्गों पर लगा। इसके पीछे की वजह यह थी कि रामकुमार अपनी पत्नी कमला को मझवारा गांव से प्रधानी का चुनाव लड़ना चाहते थे। वहीं सोनू, मोनू कमला के पति रामकुमार यादव को प्रधानी का चुनाव लड़ने पर अंजाम भुगतने की चेतावनी दे रहे थे। यहां से सोनू अपने एक चहेते की पत्नी को निर्विरोध प्रधान बनाना चाहते थे।
लेकिन लोकतंत्र के हिमायती रामकुमार अपनी जिद पर अड़े रहे और प्रधानी का पर्चा खरीद लिया। यह बात सोनू, मोनू को नागवार गुजरी। और रामकुमार को अपने दुस्साहस की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी। पति की हत्या वाले प्रकरण में मुकदमा चला लेकिन गवाहों के मुकर जाने से उन्हें न्याय नही मिला तो वे इस प्रकरण को हाईकोर्ट ले गईं। न्याय के लिए संघर्ष कर रहीं कमला को न्यायालय पर भरोसा है। अन्याय के खिलाफ पति द्वारा शुरू की गई लड़ाई को कमला ने आगे बढ़ाया।
कमला की जिद ही कहें कि लोकतंत्र की हत्या करने वालों को ऐसा सबक मिला कि जहां इस-तीस सालों से पंचायत चुनावों में लोग निर्विरोध होते रहें प्रशासन को वहां भी चुनाव कराना पड़ा। कमला ने महिला होकर जो कमाल कर दिखाया आज वह नजीर है।फूलन की तरह कमला को भी सैफई का संरक्षण मिला। फूलन को मुलायम सिंह यादव ने अपनी पार्टी से सांसद बनाया तो मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने कमला को अपनी पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ाया।
अन्याय की इस लड़ाई में गांव के बुजुर्ग फूलन एवं कमला में काफी समानताएं देखते है। वे फर्क सिर्फ इतना देखते हैं कि समय काल परिस्थिति के अनुसार इनके संघर्ष का तरीका बदल गया है। अन्याय के खिलाफ फूलन एवं कमला दोनों ने हथियार उठाए। अंतर यही रहा कि फूलन ने कानून को हाथ में लिया। कमला को न्याय पालिका एवं जनता पर पूरा भरोसा है कि उन्हें एक दिन न्याय जरूर मिलेगा।