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आज से शुरू होगा शीतकालीन सत्र, सर्दी में होगा गर्मी का अहसास

संसद के शीतकालीन सत्र के लिए सरकार तथा विपक्ष ने अपनी-अपनी रणनीति बना ली है और भले ही सरकार ने तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर विपक्ष को मुद्दों से निहत्था करने का ब्रह्मास्त्र चला दिया हो लेकिन विपक्ष के तीखे तेवरों को देखते हुए उसके लिए संसद सत्र को सुचारू ढंग से चलाना आसान नहीं होगा।

इससे पहले संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर रविवार को संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी  ओर से संसद भवन में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में  31 दलों के नेता शामिल हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक में शामिल नहीं हुए। वहीं, आम आदमी पार्टी ने बैठक का बीच में ही बहिष्कार कर दिया। सोमवार से शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र 23 दिसम्बर तक चलेगा और इस दौरान 20 बैठकें होंगी।

इन मुद्दों पर विपक्ष घेरेगा

विपक्षी दलों ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसान, कृषि, एमएसपी को कानूनी रूप देने, महंगाई, पेट्रोल डीजल की कीमत, बेरोजगारी, पेगासस, कोरोना , त्रिपुरा हिंसा और बीएसएफ के क्षेत्राधिकार जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। विपक्ष ने जोर देकर कहा है कि वह सरकार से उपरोक्त मुद्दों सहित हर ज्वलंत विषय पर सवाल पूछेगा और उसकी विफलताओं को देश के सामने रखेगा।

सरकार की भी फूलप्रूफ तैयारी

सरकार भी विपक्ष के हमलों को नाकाम कर अधिक से अधिक विधायी कामकाज निपटाने की व्यापक रणनीति बनाने में जुटी है। सरकार ने सुशासन और विकास के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए 25 से भी अधिक विधेयकों को सूचीबद्ध किया है। इनमें विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने से संबंधित विधेयक के अलावा, क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित विधेयक, बिजली संशोधन विधेयक 2021 आदि शामिल हैं।

प्रह्लाद जोशी बोले, सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार नियम के अधीन सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है और उम्मीद है कि संसद में अच्छी चर्चा होगी। जोशी ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेताओं की ओर से काफी सुझाव आए हैं। हमने विपक्षी दलों से निवेदन किया है कि वह बिना व्यवधान के संसद चलने दें।

खड़गे बोले, हम सहयोग को तैयार

वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे ने कहा,  हम सरकार को सहयोग करना चाहते हैं । अच्छे विधेयक आयेंगे, तब हम सरकार का सहयोग करेंगे । अगर हमारी बात नहीं मानी (चर्चा को लेकर) गई, तब सदन में व्यवधान की जिम्मेदारी सरकार की होगी।

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