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माल्या पर सजा की सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

उच्चतम न्यायालय ने न्यायालय की अवमानना के दोषी भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की सजा तय करने के मामले में सुनवाई पूरी कर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने सुनवाई पूरी करने के बाद माल्या के वकील को लिखित दलीलें दाखिल करने का अवसर दिया। इस मामले में न्याय मित्र वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि सर्वोच्च अदालत ने माल्या को कई मौके दिए, लेकिन वह पेश नहीं हुआ। शीर्ष अदालत ने अवमानना के मामले में माल्या को 2017 में दोषी ठहराया था। विभिन्न बैंकों द्वारा दायर अवमानना मामले में सजा तय करने की 10 फरवरी को तय सुनवाई के दौरान पेश होने के लिए उसे अंतिम मौका दिया था।

पीठ ने गृह मंत्रालय के इस रुख पर भी विचार किया कि ब्रिटेन के गृह कार्यालय ने सूचित किया है कि माल्या पर एक अन्य कानूनी मामला है जिसे उसके प्रत्यर्पण से पहले हल करने की आवश्यकता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने पूर्व की दलील को स्पष्ट किया कि यह भारत सरकार का स्टैंड नहीं था कि माल्या के खिलाफ कुछ गोपनीय कार्यवाही ब्रिटेन में लंबित है, बल्कि यह वहां की सरकार का स्टैंड था। न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने न्यायमित्र जयदीप गुप्ता की गुजारिश पर मामले की सुनवाई बुधवार को टाल दी थी।
सर्वोच्च अदालत ने पिछली सुनवाईयों के दौरान माल्या के पेश नहीं होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि अदालती अवमानना के मामले में माल्या को केवल सजा सुनाने के लिए सुनवाई चार वर्षों से लंबित है। उसे 2017 में दोषी करार दिए जाने के बाद से मामला बार-बार टलता रहा।

पीठ ने पिछले साल 30 नवंबर की सुनवाई के दौरान कहा था, “ हम अब अधिक इंतजार नहीं कर सकते। माल्या पर निर्भर करता है कि वह खुद या वकील के माध्यम से अवमानना मामले में सजा तय करने पर अपना पक्ष रखे।” शीर्ष अदालत ने माल्या को अपने बच्चों के बैंक खातों में चार करोड़ अमेरिकी डालर के हस्तांतरण का खुलासा नहीं करने का दोषी पाया गया था। स्टेट बैंक समेत अन्य बैंकों के 9000 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी के विभिन्न मामलों में उसे बिना अदालती आदेश के अपने बैंक खाते से लेन-देन करने पर रोक लगायी गयी थी। अदालत की अवमानना का दोषी करार दिये जाने के बाद माल्या ने अगस्त 2020 में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था।

शीर्ष अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को आदेश दिया था कि वह माल्या को अवमानना के इस मामले में अदालत में पेश करे, लेकिन सरकार की ओर से यह कहा गया था कि ब्रिटेन की कुछ कानूनी जटिलताओं के कारण उसके प्रत्यर्पण में बाधा आ रही है। माल्या पर स्टेट बैंक समेत कई प्रमुख बैंकों के 9000 करोड़ रुपए कर्ज लेकर उन्हें नहीं चुकाने समेत कई आरोप हैं। पैंसठ वर्षीय कारोबारी फिलहाल लंदन में रह रहा है। वहां की अदालत ने उसे जमानत दी हुई है। ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय ने भगोड़े कारोबारी के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। एक सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन के समक्ष प्रत्यर्पण का मामला उठाया था लेकिन ब्रिटेन में शराब कारोबारी के खिलाफ गोपनीय कार्रवाई चलने का हवाला देते हुए उसके प्रत्यर्पण की कार्रवाई पर अमल नहीं किया जा सका।

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