बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड शताब्दी समारोह में पहुंचे नीतीश कुमार, बोले- कोई भी समस्या, सरकार तुरंत करेगी समाधान

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड, पटना के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। श्री कुमार ने सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बहुत खुशी की बात है कि बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड का सौ वर्ष पूरा हो चुका है, जिसका आज शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है।
इस समारोह में मदरसा से जुड़े 15 हजार से अधिक लोग शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने कुछ काम नहीं किया। 24 नवंबर, 2005 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनने के बाद बिहार में विकास का कार्य किया जा रहा है और राज्य में कानून का राज है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 से पहले मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए कोई काम नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा कि नयी सरकार के गठन के बाद से मुस्लिम समुदाय के लिए काफी काम किया है। पहले हिन्दू – मुस्लिम झगड़ा होता था, इसलिए वर्ष 2006 से ही कब्रिस्तान की घेराबंदी शुरू की गयी है। बड़े पैमाने पर कब्रिस्तानों की घेराबंदी की जा चुकी है। अब कोई झगड़ा-झंझट नहीं होता है। पहले मदरसों की स्थिति काफी खराब थी, मदरसा शिक्षकों को बहुत कम पैसा मिलता था। वर्ष 2006 से मदरसों का निबंधन किया गया तथा उन्हें सरकारी मान्यता दी गयी है।
मदरसा के शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन देना शुरू किया और तब से लगातार समान वेतन दिया जा रहा है। श्री कुमार ने बताया कि वर्ष 2005 के चुनावों के पहले उन्हें लोगों ने बताया कि वर्ष 1989 में भागलपुर में दंगे हुए थे लेकिन उस समय तथा बाद की सरकार ने इसकी सही ढंग से जांच नहीं करायी। जैसे ही नवंबर, 2005 में राजग की सरकार बनी तो इसकी गहन जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी और दंगा पीड़ितों को मुआवजा दिया।
उन्होंने कहा कि दंगे से प्रभावित परिवारों को पेंशन के रूप में मदद दी जा रही है। वैसी मुस्लिम महिलायें जो पति के छोड़ने के बाद काफी दिक्कत में रहती हैं, उन मुस्लिम परित्यक्ता/तलाकशुदा महिलाओं को रोजगार देने के लिए वर्ष 2007 से 10 हजार रूपये की दर से सहायता दी गयी। इसे अब बढ़ाकर 25 हजार किया गया है। मुस्लिम वर्ग की छात्र एवं छात्राओं की पढ़ाई में मदद के लिए सब तरह से काम किया जा रहा है। इसके लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के द्वारा कई सारी योजना चलायी जा रही हैं।