‘अब हम मिलकर लड़ेंगे चुनाव, नहीं छोड़ेंगे सपा का साथ’, अखिलेश यादव के साथ मुलाकात के बाद बोले चाचा शिवपाल
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अपने गिले-शिकवे दूर कर लिए है. अब दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर सहमति भी बन गई है. अखिलेश यादव के साथ मुलाकात करने के बाद शिवपाल यादव ने पहली बार बयान दिया है. गठबंधन के बाद शिवपाल यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अब चाहे कोई कुर्बानी देनी पड़े, जब फैसला ले लिया है तो सपा के साथ ही जाएंगे.
उन्होंने आगे कहा कि अब सबकुछ हो गया, गठबंधन हो गया. मैंने कल भी कहा था कि अगर गठबंधन होगा तो सीटें कम मिलेंगी. मैंने पहले ही कहा था कि अगर समाजवादी पार्टी ने 200 सीटों पर तैयारी कर ली होती, तो बहुत पहले ये फैसला हो जाता. लेकिन 3 साल में सपा ने 100 सीटें बी तैयार नहीं की.
त्याग भी करेंगे
शिवपाल यादव ने कहा कि खैर अब कुछ नहीं, अब देखना ये है कि अब हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे त्याग करना पड़ेगा तो त्याग भी करेंगे. बीजेपी की सरकार को मिलकर हटाना है और हम लोग मिलकर ये सरकार बनाएंगे. अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच गुरुवार को 45 मिनट की मुलाकात हुई. मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के साथ फोटो ट्वीट करते हुए लिखा कि प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात तय हुई. क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपी और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है.
सीट शेयरिंग को लेकर क्या फॉर्मूला बनेगा?
इसके बाद शिवपाल यादव ने भी ट्वीट किया समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आवास पर शिष्टाचार भेंट की. इस दौरान उनके साथ आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के साथ मिलकर लड़ने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई. अब सबसे बड़ा सवाल सीटों को लेकर है. क्योंकि दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद ना तो सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सामने आया और न ही समझौते की शर्त.
पहले कांग्रेस के साथ चल रही थी बात
राज्य में छोटे दलों का बड़ा कबीला बनाकर अखिलेश यादव बीजेपी को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए सबसे पहले अखिलेश अपने घर को मजबूत करने चाहते हैं. लिहाजा कई सालों के बाद अखिलेश ने चाचा शिवपाल से करार किया है. असल में 2017 में पार्टी की हार में संगठन और परिवार के बीच आंतरिक कलह भी एक बड़ा फैक्टर था. लिहाजा इस बार अखिलेश यादव रिस्क नहीं लेना चाहता हैं. वहीं शिवपाल की चिंता यह है कि विलय या गठबंधन की स्थिति में एसपी को छोड़कर उनके पास कोई विकल्प नहीं है. क्योंकि राज्य में कांग्रेस की स्थिति खराब है. हालांकि पहले पीएसपी के साथ कांग्रेस के चुनावी करार की बात चल रही थी.