रेलवे ठेका : एफडीआर और टीडीआरएस पर करोड़ों का लोन, फर्जीवाड़ा आया सामने

रेलवे ठेकों में लगाए गए एफडीआर और टीडीआरएस में फर्जीवाड़ा सामने आया है। गारंटी के तौर पर जमा किये गये एफडीआर और टीडीआरएस पर बैंक से करोड़ों रुपये का लोन कराया गया। सीबीआई के एंटी करप्शन ब्यूरो को इसकी जानकारी मिली। जांच में सामने आया कि इस फर्जीवाड़े में रेलवे ठेकेदार, एसबीआई विधानभवन शाखा में तैनात अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत है। जांच रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने एसबीआई अधिकारी, कर्मचारी व रेलवे ठेकेदार और उसकी फर्म के खिलाफ गुरुवार को एफआईआर दर्ज की है।
सीबीआई में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक मेसर्स विदुत कुमार जैन, मेसर्स विदुत कुमार जैन संयुक्त उद्यम मेसर्स बीबीएन इंफ्रा और मेसर्स बीबीएन इंफ्रा को डीआरएम पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ कार्यालय से सीपीएम, गति शक्ति, एनईआर डीआरएम वाराणसी कार्यालय और डीआरएम उत्तर रेलवे लखनऊ कार्यालय से कई ठेके लिए। इसके लिए एफडीआर और टीडीआर बतौर गारंटी रखे थे। 14 नवंबर 2023 को एक रेलवे ठेके में ठेकेदार ने टीडीआर के रूप में 1,40,44,044 रुपये की गारंटी जमा की। टीडीआर 4 दिसंबर 2023 को एसबीआई विधानसभा रोड शाखा से बनवाया गया। इस पर एफए और सीएओ पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर के पक्ष में मैनुअल समर्थन था।
एसबीआई के अधिकारी के दस्तखत और मुहर थे। जिसकी परिपक्वता तिथि 4 अगस्त 2025 थी। रेलवे ने इस टीडीआर के सत्यापन व गिरवी रखने की पुष्टि एसबीआई विधानसभा शाखा से मांगी। शाखा प्रबंधक ने ईमेल के जरिये पुष्टि की। जबकि वाउचर के अनुसार टीडीआर एफए और सीएओ एनई रेलवे के पक्ष में जारी किया गया था। हालांकि सीबीएस (कोर बैंकिंग सिस्टम) के अनुसार यह टीडीआर विदुत कुमार जैन को बैंक ने 30 दिसंबर 2023 को स्वीकृत 2.62 करोड़ के ओडी लोन के लिए गिरवी रखा गया है। ओडी ऋण स्वीकृत करते समय एक डुप्लिकेट टीडीआर भी जारी किया गया था, क्योंकि मूल टीडीआर रेलवे के पास था।
जांच में सामने आया कि एक अन्य निविदा के मामले में 15 जनवरी 2024 को स्वीकृति पत्र प्रदान की गई। एसबीआई की इसी शाखा के विदुत कुमार जैन के खाते से 2 फरवरी 2024 को 1.17 करोड़ की टीडीआर बनाई गई। इस पर वित्तीय सलाहकार व मुख्य लेखा अधिकारी पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर के पक्ष में बैंक के अधिकारी के दस्तखत और मुहर था। अप्रैल में बैंक ने इसकी पुष्टि भी की। इसे फरवरी में ही एक ठेके के लिए गिरवी दिखाया गया। जिसे मार्च में बिना किसी कारण हटा दिया गया था। 6 जून 2024 को एक डिमांड लोन के लिए गिरवी चिह्नित किया गया। सीबीएस (कोर बैंकिंग सिस्टम) ने इस टीडीआर को विदुत कुमार जैन को बैंक द्वारा 1.05 करोड़ रुपये के ओडी लोन के विरुद्ध गिरवी रखा हुआ दिखाया।
इस मामले में लोन मंजूरी देते समय एक डुप्लिकेट टीडीआर भी जारी किया गया। मूल रेलवे के पास ही जमा था। इसके अलावा 23 जनवरी 2024 को 94.4 लाख का टीडीआर बनाया गया। इसे पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर के पक्ष में गिरवी रखा गया। जांच में इस टीडीआर पर भी 2.13 करोड़ रुपये के ओवर ड्राफ्ट लोन के लिए गिरवी रखा गया बताया गया। यह भी पता चला कि 30 मई 2025 को ठेकेदार ने इस टीडीआर को इंडियन बैंक हजरतगंज शाखा से जारी राशि के बैंक गारंटी से बदल दिया गया। साक्ष्यों के आधार पर सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज की है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है।