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दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा ने कहा- कोरोना के दौरान मुझे जेल भेजना मौत की सजा के बराबर

जोहानिसबर्ग. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान उन्हें जेल भेजना मौत की सजा के बराबर है. इस बीच, उनके घर के बाहर उनके समर्थकों ने मानव श्रृंखला बना पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने से रोका. जुमा ने क्वाज़ूलू-नताल प्रांत के कांडला स्थित अपने घर से रविवार शाम पत्रकारों को संबोधित किया. इससे पहले देश की शीर्ष अदालत ने उन्हें खुद को पुलिस के हवाले करने को कहा, ताकि उनकी 15 साल कैद की सजा पूरी हो सके.
उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक महामारी का कहर चरम पर होने के दौरान मेरी उम्र के शख्स को जेल भेजना मौत की सजा के बराबर है. दक्षिण अफ्रीका में 1995 में मौत की सजा को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था.’’ संवैधानिक अदालत जुमा की सजा रद्द करने की उनकी याचिका पर सुनवाई को शनिवार को सहमत हो गई थी. पूर्व राष्ट्रपति ने सजा रद्द करने के लिए अपनी 79 वर्ष की उम्र, स्वास्थ्य कारणों तथा अन्य अनिर्दिष्ट कारणों का हवाला दिया है. इस मामले पर 12 जुलाई को सुनवाई होगी, तब तक जुमा जेल से बाहर रहेंगे.
जुमा संवाददाता सम्मेलन में लगातार इस सवाल को टालते दिखे कि देश में लॉकडाउन के चौथे स्तर के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले उनके कई समर्थकों को वह फटकार क्यों नहीं लगा रहे. इन दिशा-निर्देशों के तहत जनसभा करने पर प्रतिबंध है और मास्क पहनना अनिवार्य है.
जुमा ने मौजूदा स्थिति की तुलना रंगभेद के दौर से की. उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे इस बात की बहुत चिंता है कि दक्षिण अफ्रीका तेजी से रंगभेद जैसे शासन की ओर बढ़ रहा है. मुझे बिना किसी मुकदमे के लंबी हिरासत का सामना करना पड़ रहा है. हमारे यहां चौथे स्तर का लॉकडाउन जारी है, जिसमें आपातकाल के सभी तरीके और 1980 के दशक के कर्फ्यू शामिल हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि हम बिना मुकदमे के नजरबंदी के बजाय अदालत की अवमानना जैसे विभिन्न स्तरों का उपयोग करते हैं लेकिन सार बिल्कुल एक जैसा है.’’
जुमा ने कहा कि उन्हें जेल जाने से डर नहीं लगा. उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह सिर्फ मेरे बारे में होता, तो मैं आज भी पहले की तरह अपने सिद्धांतों के लिए जेल चला जाता, भले ही जिंदा बाहर आता या नहीं. लेकिन मैंने केवल कभी एक अकेले शख्स के तौर पर काम नहीं किया और इसलिए हमेशा अपने परिवार तथा साथियों की सलाह लेता हूं.’’
जुमा के घर के बाहर पिछले कुछ दिनों से तनावपूर्ण दृश्य देखने को मिल रहे हैं, जहां समर्थकों ने पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने से रोकने के लिए कई बार हवा में कुछ गोलियां चलाईं. उन्होंने जुमा को जेल ले जाने पर हिंसा करने की धमकी भी दी है. लॉकडाउन का सरेआम उल्लंघन करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने में विफल रहने को लेकर पुलिस के प्रति भी रोष है. ये सब ऐसे समय में हो रहा है जब एक दिन में दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के सर्वाधिक 16,585 नए मामले सामने आए हैं और इससे और 333 लोगों की मौत हुई है.
पूर्व राष्ट्रपति के उस बयान को लेकर भी लोगों में काफी गुस्सा है, जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों को कानून का पालन करने के लिए कहने की बजाय कहा था कि उन्हें ऐसा करने को मजबूर किया गया है. ‘अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस’ के नेता मवुसो मसिमांग ने कहा, ‘‘ एक नेता के तौर पर यह सुनिश्चित करना जुमा की जिम्मेदारी है कि कोविड-19 के मद्देनजर देश के कानूनों का पालन किया जाए. उनका दायित्व है कि वह लोगों, आयोजकों को कहें कि इस तरह की भीड़ एकत्रित ना हो. जुमा का कहना है कि लोग उत्तेजित और गुस्से में हैं इसलिए उन्हें कानून तोड़ने दिया जाए और संक्रमित होने दिया जाए। यह एक घटिया नेतृत्व है.’’
गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका के उच्चतम न्यायालय ने देश के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा को अदालत की अवमानना के लिए 15 माह कैद की सजा सुनाई है. उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहे आयोग के समक्ष पेश होने में विफल रहने के लिए उच्चतम न्यायालय ने उन्हें अवमानना का दोषी पाया था. जुमा ने बार-बार कहा है कि आयोग के साथ सहयोग करने के बजाय वह जेल जाएंगे. जुमा (79) पर 2009 से 2018 के बीच करीब नौ वर्ष तक पद पर रहते हुए सरकारी राजस्व में लूट-खसोट करने का आरोप है.
जुमा को पद से हटाने और उन पर आपराधिक मुकदमा चलाए जाने के लिए ‘अहमद खतरादा फाउंडेशन’ ने अभियान चलाया था. पचास अरब रैंड के भ्रष्टाचार में जुमा मुख्य आरोपी हैं जिसमें तीन गुप्ता बंधु … अतुल, अजय और राजेश भी कथित तौर पर शामिल हैं. आरोप है कि गुप्ता बंधुओं ने उनके साथ कथित निकटता के कारण भ्रष्टाचार को अंजाम दिया. यह भी आरोप है कि गुप्ता बंधुओं ने जुमा के दो बच्चों को भी फायदा पहुंचाया, जो दुबई में स्वनिर्वासन में रह रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की कार्रवाई शुरू कर दी है.

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