
नई दिल्ली। लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने भ्रष्टाचार से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पेश किया, जिसके बाद सदन में हंगामा मच गया। विधेयक पेश होते ही विपक्षी दलों ने तीखा विरोध शुरू कर दिया और नारेबाजी की। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार संविधान के साथ छेड़छाड़ कर रही है। “संविधान को मत तोड़ो” जैसे नारे सदन में गूंजने लगे। इस बीच, अमित शाह ने विपक्ष पर जवाबी हमला भी बोला। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ भी झूठे आरोप लगे थे, लेकिन उन्होंने अपनी नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि जब तक अदालत ने मुझे बरी नहीं किया, मैंने कोई पद नहीं संभाला। अमित शाह के इस बयान के बाद विपक्षी सांसदों ने गुस्से में कागज फाड़कर उनकी ओर फेंके।
गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि कानून सभी के लिए बराबर है और यदि यह विधेयक पारित होता है, तो मंत्रियों की जवाबदेही और सख्त होगी। उनके इस बयान ने सदन के माहौल को और तनावपूर्ण कर दिया।
विपक्ष का तीखा विरोध, केसी वेणुगोपाल ने उठाए सवाल
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का कड़ा विरोध किया। तिवारी ने कहा कि इस विधेयक के राजनीतिक दुरुपयोग की आशंका है और वे इसका पुरजोर विरोध करते हैं। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और समाजवादी पार्टी ने भी इस विधेयक को खारिज किया। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने अमित शाह के गुजरात में मंत्री रहते हुए गिरफ्तारी के मामले को उठाया। इस पर शाह ने जवाब दिया कि उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था और बाद में निर्दोष साबित हुए। समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने शाह के नैतिकता के दावे पर सवाल उठाते हुए तंज कसा।
संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य
इस विधेयक का मुख्य लक्ष्य राजनीतिक नैतिकता और प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देना है। इसके तहत यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी आपराधिक मामले में शामिल होता है, तो उसे 30 दिन के भीतर पद छोड़ना होगा।
हंगामे के बीच कार्यवाही स्थगित
विपक्ष ने इस विधेयक को संविधान के साथ छेड़छाड़ का प्रयास बताते हुए तीव्र विरोध जताया। भारी शोर-शराबे और नारेबाजी के कारण लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।