
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन। अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड ल्यूटनिक ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन एच1बी कार्यक्रम और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में बदलाव लाने की योजना बना रहा है। एच1बी भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच सबसे अधिक मांग वाला गैर-आप्रवासी वीजा है। ल्यूटनिक ने मंगलवार को फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “मैं एच1बी कार्यक्रम में बदलाव की प्रक्रिया में शामिल हूं। हम उस कार्यक्रम को बदलने पर काम कर रहे हैं, क्योंकि वह बहुत बुरा है।”
उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में बदलाव करने पर भी विचार कर रहा है, जिसके तहत अमेरिका में स्थायी निवास दिया जाता है। ल्यूटनिक ने कहा, “आप जानते हैं, हम ग्रीन कार्ड देते हैं। औसत अमेरिकी सालाना 75,000 अमेरिकी डॉलर कमाता है, और औसत ग्रीन कार्ड प्राप्तकर्ता 66,000 अमेरिकी डॉलर कमाता है। हम यह सब देख रहे हैं और पता लगा रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है? इसीलिए डोनाल्ड ट्रंप इसे बदलने वाले हैं। गोल्ड कार्ड आने वाला है। और हम देश में आने वाले अच्छे लोगों को चुनेंगे। अब इसे बदलने का समय आ गया है।” एच-1बी वीजा से सबसे ज्यादा फायदा भारतीयों को होता है।
मंगलवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में ल्यूटनिक ने कहा, “मौजूदा एच1बी वीजा प्रणाली एक घोटाला है, जिसके तहत अमेरिकियों की नौकरियां विदेशी कर्मचारियों को दी जाती हैं। अमेरिकी कर्मचारियों को नियुक्त करना सभी बड़ी अमेरिकी कंपनियों की प्राथमिकता होनी चाहिए। अब अमेरिकियों को नियुक्त करने का समय आ गया है।” फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस ने फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि एच1बी वीजा “पूरी तरह से घोटाला” बन गया है। उन्होंने कहा, “ये कंपनियां सिस्टम के साथ खेल करती हैं। इनमें से कुछ कंपनियां बड़ी संख्या में अमेरिकियों को नौकरी से निकाल रही हैं, जबकि वे नए एच1बी वीजा भी ले रही हैं और एच1बी का नवीनीकरण भी करा रही हैं।”