
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पकड़े गए आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें वापस छोड़ दिया जाए। हालांकि, रेबीज से पीड़ित, बीमार या हिंसक कुत्तों को छोड़ने की अनुमति नहीं होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर लागू होगा और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए जाएंगे। साथ ही, हाईकोर्ट में लंबित सभी संबंधित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में शामिल प्रमुख बिंदु:
– शेल्टर होम में मौजूद सभी कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद छोड़ दिया जाएगा, लेकिन हिंसक या बीमार कुत्तों पर यह नियम लागू नहीं होगा।
– आवारा कुत्तों को पकड़ने की प्रक्रिया में बाधा डालने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। व्यक्तियों पर 25,000 रुपये और एनजीओ पर 2 लाख रुपये का जुर्माना होगा।
– सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लगा दी गई है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि कुत्तों के लिए विशेष भोजन स्थल बनाए जाएंगे, क्योंकि खुले में खाना खिलाने से कई दुर्घटनाएं हुई हैं।
यह फैसला जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन जजों की पीठ ने सुनाया। इससे पहले, 14 अगस्त को इस पीठ ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अंतरिम आदेश पर क्या हुआ?
पहले सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ अपील पर तीन जजों की बेंच गठित की गई थी। अपील में मांग की गई थी कि शेल्टर होम में कुत्तों को रखने के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई जाए। अब सुप्रीम कोर्ट आज यह स्पष्ट करेगा कि क्या इस आदेश पर रोक लगाने की आवश्यकता है या यह अंतरिम आदेश लागू रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले क्या निर्देश दिए थे?
दो जजों की बेंच के आदेश के बाद, कुत्ता प्रेमियों और पशु अधिकार संगठनों ने इसका विरोध किया था, जिसके चलते कई स्थानों पर प्रदर्शन भी हुए। कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए निम्नलिखित निर्देश जारी किए थे:
– दिल्ली-एनसीटी, एमसीडी और एनडीएमसी को तुरंत सभी क्षेत्रों, खासकर संवेदनशील और बाहरी इलाकों से आवारा कुत्तों को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा गया।
– पकड़े गए कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जाए और उनका रिकॉर्ड व्यवस्थित रूप से बनाया जाए।
– दिल्ली-एनसीआर में शेल्टर होम के लिए बुनियादी ढांचे पर रिपोर्ट दो महीने में पेश की जाए।
– नसबंदी और टीकाकरण के लिए शेल्टर होम में पर्याप्त कर्मचारी किए जाएं तैनात।
– आवारा कुत्तों को कॉलोनियों, सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर वापस नहीं छोड़ा जाए।
– शेल्टर होम में कुत्तों की निगरानी के लिए लगाए जाएं सीसीटीवी कैमरे।
– यदि कोई व्यक्ति या संगठन कुत्तों को हटाने की प्रक्रिया में बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
2024 में 37.15 लाख कुत्तों के काटने के मामले
सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को यह आदेश जारी किया था और कुत्तों के काटने की शिकायतों के लिए एक हेल्पलाइन स्थापित करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि देशभर में साल 2024 में 37.15 लाख कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हुए, यानी की हर दिन करीब 10 हजार लोग कुत्तों का शिकार बने। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में कुत्तों के काटने से 305 लोगों की मृत्यु हुई। तीन जजों की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि कोर्ट आवारा कुत्तों के जीवन के प्रति संवेदनशील है और उनके साथ मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करना चाहता है।