
पेरिस। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सेबेस्टियन लेकोर्नू को फिर प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। चार दिन पहले ही लेकोर्नू ने पद से इस्तीफा दिया था। इससे देश में एक सप्ताह तक भारी राजनीतिक उथल-पुथल रही। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, मैक्रों ने शुक्रवार देर रात यह घोषणा की। उन्होंने एलिसी पैलेस में सभी मुख्य दलों के साथ बैठक की, जिसमें धुर दक्षिणपंथी एवं धुर वामपंथी नेताओं को छोड़कर अन्य सभी शामिल थे।
लेकोर्नु की वापसी आश्चर्यजनक है, क्योंकि उन्होंने दो दिन पहले ही राष्ट्रीय टीवी पर कहा था कि वह पद के पीछे नहीं भाग रहे थे और उनका मिशन पूरा हो चुका है। यह निश्चित नहीं है कि वह सरकार बना पायेंगे या नहीं, लेकिन उन्हें ज़मीनी स्तर पर काम करना होगा। नये प्रधानमंत्री के पास अगले साल का बजट संसद में पेश करने के लिए सोमवार तक का ही समय है। एलिसी पैलेस ने कहा कि राष्ट्रपति ने लेकोर्नु को सरकार बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है और मैक्रों की पार्टी ने संकेत दिया है कि उन्हें कार्य करने की पूरी छूट प्रदान की गयी है।
लेकोर्नू मैक्रों के सबसे वफादार सहयोगियों में से एक हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, “राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गये मिशन को मैंने कर्तव्य के रूप में स्वीकार किया है, ताकि वर्ष के अंत तक फ्रांस को बजट प्रदान किया जा सके और हमारे देशवासियों की रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान किया जा सके।” इस सप्ताह फ्रांसीसी टीवी पर श्री लेकोर्नु ने स्वयं को ‘सैनिक-भिक्षु’ कहा था और सरकार बनाने की तैयारी करते हुए उन्होंने शुक्रवार को कहा, “मैं इस मिशन में सफल होने के लिए हर संभव कोशिश करूंगा।” फ्रांस के राष्ट्रीय ऋण में कमी लाने तथा बजट घाटे में कटौती करने के तरीकों पर राजनीतिक मतभेद होने के कारण पिछले वर्ष तीन में से दो प्रधानमंत्रियों को पद त्यागना पड़ा था, इसलिए लेकोर्नु के सामने चुनौती बहुत बड़ी है।
इस वर्ष के प्रारंभ में फ्रांस का सार्वजनिक ऋण आर्थिक उत्पादन (जीडीपी) का लगभग 114 प्रतिशत था, जो यूरोजोन में तीसरा सबसे अधिक था तथा इस वर्ष बजट घाटा जीडीपी के 5.4 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। लेकोर्नू ने पदभार ग्रहण करने के लिए जो शर्तें रखीं, उनमें से एक यह थी कि फ्रांस के सार्वजनिक वित्त को बहाल करने की आवश्यकता से कोई भी पीछे नहीं हट सकेगा।
मैक्रों के राष्ट्रपति कार्यकाल के अंत से केवल 18 महीने पहले उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि उनकी सरकार में शामिल होने वाले किसी भी व्यक्ति को अपनी राष्ट्रपति पद की महत्वाकांक्षाओं को स्थगित करना होगा। लेकोर्नू के लिए यह और भी मुश्किल है कि उन्हें नेशनल असेंबली में विश्वास मत का सामना करना पड़ेगा, जहां राष्ट्रपति मैक्रों के पास उनके समर्थन में बहुमत नहीं है।
एलाबे पोल के अनुसार, इस सप्ताह राष्ट्रपति की लोकप्रियता रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गयी है, जिसमें उनकी अनुमोदन रेटिंग मात्र 14 प्रतिशत है। उन्हें पहली बार नौ सितंबर को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था और सरकार बनाने में उन्हें तीन सप्ताह लग गये, लेकिन रातोंरात यह सरकार गिर गयी, जब रूढ़िवादी रिपब्लिकन के नेता ब्रूनो रिटेलो ने मंत्री पद की एक नियुक्ति की आलोचना की।
मध्यमार्गी पार्टियां अकेले सरकार नहीं बना सकतीं और रूढ़िवादी रिपब्लिकनों के बीच भी मतभेद हैं, जिन्होंने पिछले साल चुनावों में बहुमत खोने के बाद मैक्रों की सरकार को सहारा देने में मदद की थी। राष्ट्रपति मैक्रों और उनके पुनर्नियुक्त प्रधानमंत्री सरकार के बजट घाटे को अरबों यूरो तक कम करने की जहां कोशिश कर रहे हैं, वहीं फ्रांस के केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने चेतावनी दी है कि राजनीतिक उथल-पुथल होने से देश की अर्थव्यवस्था और भी पीछे चली जायेगी।
बैंक ने इस वर्ष 0.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, लेकिन इसके प्रमुख फ्रांस्वा विलेरॉय डी गालहाउ का कहना है कि यह वृद्धि और ज्यादा हो सकती थी, तथा संकट से जुड़ी अनिश्चितता के कारण फ्रांस को अनुमानतः 0.2 प्रतिशत अतिरिक्त वृद्धि का नुकसान हुआ है। अगर लेकोर्नू सरकार बनाने में विफल रहते हैं तो और देश में और अधिक अस्थिरता हो सकती है और इससे फ्रांसीसी अर्थव्यवस्था को और ज्यादा नुकसान होगा।