
पटनाः भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार के नाम से मशहूर पवन सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। पवन सिंह ने सोशल मीडिया पर बताया है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे ।उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका चुनाव लड़ने का मकसद नहीं है और वह केवल पार्टी का सच्चा सिपाही बने रहना चाहते हैं। पवन सिंह ने एक्स पर लिखा, “मैं पवन सिंह अपने भोजपुरिया समाज से बताना चाहता हूं कि मैं बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ज्वाइन नहीं किया था और नाहीं मुझे विधानसभा चुनाव लड़ना है।मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूँ और रहूंगा।”
अभी हाल में पवन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में वापसी की थी। पवन सिंह ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद पवन सिंह ने एक्स पर तस्वीर साझा करते हुये लिखा था,”जातिवादी राजनीति के पोषकों के दिल पे आज ई फोटो देख के सांप लोट रहा होगा। लेकिन जिनके दिल में विकसित बिहार का सपना बसता है, वो कब तक एक दूसरे से दूर रह सकते है। गृह मंत्री अमित शाह और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और उपेन्द्र कुशवाहा से मुलाक़ात हुई और उन्होंने दिल से आशीर्वाद दिया। मोदी और नीतीश के सपनों का बिहार बनाने में आपका बेटा पवन पूरा पावर लगाएगा।” इसके बाद से कयास लगाये जा रहे थे कि पवन सिंह इस बार विधानसभा का चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में पवन सिंह को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पश्चिम बंगाल के आसनसोल से प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उन्होंने आसनसोल से चुनाव लड़ने से मना कर दिया। पवन सिंह ने भाजपा से बगावत कर दी और निर्दलीय प्रत्त्याशी के तौर पर काराकाट की सियासी रणभूमि में उतर आये।पवन सिंह के निर्दलीय उम्मीदवार उतरने से काराकाट की सियासी लड़ाई रोचक बन गयी। बिहार की कारकाट संसदीय सीट पर पूरे देश की नजरें टिकी हुयी थी। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा-माले) प्रत्याशी राजाराम सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी पवन सिंह को एक लाख पांच हजार 858 मतो के अंतर से पराजित किया, वहीं राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा तीसरे स्थान पर रहे।
निर्दलीय प्रत्याशी पवन सिंह ने अपने चुनावी प्रचार में फिल्मी सितारों का जमावड़ा लगा दिया था।पवन सिंह की जनसभा में भोजपुरी के बड़े स्टार काजल राघवानी, पाखी हेगड़े, अरिविंद अकेला कल्लू ,आस्था सिंह, रितेश पांडे, अनुपमा यादव, सिल्की राज समेत कई कलाकार जुटे थे। पवन सिंह चुनाव जीतने में सफल तो नहीं रहे लेकिन उन्होंने रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के कोर वोटरो में सेंध लगा दी। भाकपा माले उम्मीदवार राजा राम सिह जीत हासिल करने में सफल रहे।
चुनाव से पहले नेताओं के दलबदल का सिलसिला जारी
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही नेताओं के दलबदल का दौर तेज हो गया है, जहां कई नेता अपने पुराने दलों को न केवल छोड़ रहे हैं बल्कि उन पर तीखे हमले भी कर रहे हैं। पूर्णिया से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के दो बार के सांसद रहे संतोष कुशवाहा ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया। माना जा रहा है कि उन्हें पूर्णिया जिले की किसी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
कुशवाहा 2014 और 2019 दोनों लोकसभा चुनावों में जदयू के टिकट पर जीते थे लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में वह निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव से हार गए थे। उन्होंने इस हार के लिए स्थानीय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जदयू नेताओं को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था, ‘राज्य पार्टी अध्यक्ष की स्थिति अब मात्र एक चौकीदार जैसी रह गई है।’ कुशवाहा के अलावा जदयू के पूर्व विधायक राहुल शर्मा भी राजद में शामिल हो गए हैं। वह 2015 से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज बताए जाते हैं। उन्हें जहानाबाद जिले की घोसी सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलें हैं। खगड़िया जिले की परबत्ता सीट से जदयू विधायक डॉ.संजीव कुमार सिंह ने भी पिछले सप्ताह राजद का दामन थाम लिया था। उन्होंने नीतीश सरकार को ‘‘बिहार के इतिहास की सबसे भ्रष्ट सरकारों में से एक’’ बताया। हालांकि, जदयू सूत्रों का कहना है कि सिंह के दल बदलने की असली वजह उनकी सीट पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के भाई को टिकट मिलने की संभावना थी। वहीं, राजद और कांग्रेस के भी कई विधायक भाजपा या जदयू का रुख कर रहे हैं।
नेताओं के दल बदलने को लेकर भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, ‘‘अभी महागठबंधन के एक दर्जन विधायक पाला बदलने को तैयार बैठे हैं और हमारे संपर्क में हैं।’’ इसी बीच, दोनों प्रमुख गठबंधनों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर तेज हो गया है। हालांकि किसी भी पक्ष ने अभी अंतिम फार्मूला घोषित नहीं किया है। भाजपा की चुनाव समिति के सदस्य और प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा, ‘‘बैठकें लगभग पूरी हो चुकी हैं, सीट बंटवारे की अंतिम घोषणा दिल्ली में शनिवार को होगी। इससे पहले नेताओं के आने-जाने का सिलसिला चलता रहेगा।’’
सूत्रों के अनुसार, राजद गठबंधन में ‘‘एक मामूली अड़चन’’ शेष है क्योंकि मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) अधिक सीट की मांग कर रही हैं। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सीट-बंटवारे की बातचीत दिल्ली में अंतिम चरण में है। उन्होंने बताया कि चिराग पासवान ने अपनी शुरुआती 40 सीट की मांग घटाकर लगभग 25 सीट पर सहमति जता दी है। इस विषय पर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और चुनाव प्रभारी बीते दो तीन दिन से चिराग पासवान के साथ बैठक कर रहे थे। राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान छह और 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी।