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अब आधार से वोटर आईडी को भी करना होगा लिंक, क्या होगा फायदा? जानिए सरकार के इस नए बिल में बारे में

आज लोकसभा में ‘चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021’ पास हो गया. इस बिल में आधार कार्ड को वोटर आई कार्ड से जोडने का प्रावधान है. लेकिन ये मैंडेटरी नहीं होगा बल्कि वैकल्पिक होगा. हालांकि आज जिस वक्त लॉ मिनिस्टर किरण रिजिजू ने इस बिल को इंट्रोड्यूस किया लोकसभा में विपक्ष ने इसका जबरदस्त विरोध किया. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, AIMIM, BSP जैसे दलों ने इसपर ऐतराज जताया. जबकि कांग्रेस ने तो इस बिल को संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की. इस विधेयक के तहत इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन अधिकारी आपकी पहचान स्थापित करने के लिए आइडेंटिटी के वेरिफिकेशन के लिए आधार कार्ड मांग सकता है.

इस बिल में प्रावधान है कि 18 साल के युवा अब साल में 4 बार वोटर के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.एक जनवरी के साथ एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर को भी नौजवान खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करा सकेंगे. इससे युवाओं के वोटर आईडी कार्ड जल्द बन सकेंगे. अभी तक तो साल में एक बार यानी एक जनवरी से पहले 18 साल के होने पर खुद को वोटर के रूप में रजिस्टर्ड किया जा सकता है.

बिल के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अपने वोटर कार्ड को आधार से जोड़ना चाहे, तो वो उसे लिंक कर सकता है. लेकिन यह जरूरी नहीं होगा. वैकल्पिक है. वोटर आईडी को आधार से जोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले को ध्यान में रखा जाएगा.

इसके साथ साथ चुनाव संबंधी कानून सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाया जाएगा. अभी वोटर कार्ड पर सिर्फ MALE सर्विंग ऑफिसर की पत्नी का नाम दर्ज करने का तो प्रावधान है, लेकिन FEMALE सर्विंग ऑफिसर के पति का नाम जुड़वाने का कोई क्राइटीरिया नहीं है. बिल में ‘पत्नी’ शब्द को बदलकर ‘स्पाउस’(Spouse) करने की बात है और महिला अफसर का पति पोस्टल बैलेट के जरिए वोट दे सकेगा.

असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?

आपको बता दें कि साल 2015 में ही आयोग ने वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का काम शुरू कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. इसी को लेकर आज विरोधी दलों ने सरकार पर तीखा हमला किया. असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार इस बिल के जरिए संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करना चाहती है और वोटर आईडी कार्ड और आधार से लिंक करके सिर्फ अपने वोटर्स को फायदा पहुंचाने की कोशिश करेगी.

लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ये बिल सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ है. लोगों की निजता के विरोध में है. लॉ मिनिस्टर किरण रिजिजू ने इन सारी आशंकाओं का सारे सवालों का जवाब दिया. कानून मंत्री ने कहा कि इस बिल के जरिए फर्जी वोटिंग को रोकने में मदद मिलेगी.

वोटर और आधार कार्ड लिंक से क्या होगा फायदा?

चुनाव आयोग के अनुसार, आधार से वोटर कार्ड लिंक हो जाने के कारण वोटिंग में फर्जीवाड़ा रुक सकता है. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग की दिशा में भी यह अहम कदम होगा. अगर यह लागू होता है तो प्रवासी वोटर जहां से उनका वोटर कार्ड होगा वहां वोट डाल पाएंगे. उदाहरण के तौर पर किसी शख्स का उसके गांव के वोटर लिस्ट में नाम है और वह लंबे समय से शहर में रह रहा है. वह शख्स शहर के वोटर लिस्ट में भी अपना नाम अंकित करवा लेता है. फिलहाल दोनों जगहों पर उस शख्स का नाम वोटर लिस्ट में अंकित रहता है. लेकिन आधार से लिंक होते ही केवल एक वोटर का नाम एक ही जगह वोटर लिस्ट में हो सकेगा. यानी एक शख्स केवल एक जगह ही अपना वोट दे पाएगा.

वोटर आईडी कार्ड और आधार को जोड़ने की शुरुआत कब हुई थी?

फरवरी 2015 में भारतीय निर्वाचन आयोग ने वोटर पहचान पत्र (EPIC) को आधार से जोड़ने की शुरुआत कर दी थी. तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एस एस ब्रह्मा ने इसे शुरू किया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उसी साल अगस्त में पीडीएस, एलपीजी और केरोसिन के वितरण में आधार के इस्तेमाल पर रोक लगान के कारण बाद में इस कार्रवाई को निर्वाचन आयोग ने स्थगित कर दिया था. इस दौरान करीब 38 करोड़ वोटर कार्ड को आधार से लिंक भी कर लिया गया था.

चुनाव आयोग ने केंद्र से क्या मांग की थी?

2019 के अगस्त महीने में चुनाव आयोगी की तरफ से कानून मंत्रालय के सचिव को एक चिट्ठी लिखी गई थी. इस चिट्ठी में जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 और आधार अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्ताव की बात लिखी गई थी. आयोग का तर्क था कि इससे वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों से बचा जा सकता है। आयोग ने पत्र में लिखा था कि आधार को जोड़ने के कारण वोटर कार्ड के फर्जीवाड़े से बचा जा सकता है और फर्जी वोटरों की समस्या से निजात मिल सकती है।.

मसौदा विधेयक में क्या-क्या बदलाव हैं?

वोटर कार्ड से आधार लिंक के अलावा वोटर अब साल में 4 तारीखों, 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को अपना नाम मतादाता सूची से जुड़वा सकता है. इससे पहले केवल 1 जनवरी को ही ऐसा होता था. मौजूदा व्यवस्था में प्रत्येक साल की एक जनवरी तक 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वालों को मतदाता बनने का अधिकार मिल जाता है.

लैंगिक भेदभाव खत्म करने के लिए क्या हैं प्रस्ताव?

प्रस्तावित विधेयक में सशस्त्र बल और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों के लिए निर्वाचन नियमों को लैंगिक आधार पर एक समान बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है. इसके तहत आयोग ने महिला सैन्यकर्मियों के पति को भी सर्विस वोटर का दर्जा देने के लिये जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव के लंबित प्रस्ताव पर अमल करने का अनुरोध किया था. मौजूदा व्यवस्था में सैन्यकर्मियों की पत्नी को सर्विस वोटर का दर्जा मिलता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी के पति को यह दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है.

इस मसौदा विधेयक में और क्या हैं प्रस्ताव?

एक अन्य प्रस्ताव में चुनाव आयोग को किसी भी परिसर को चुनाव से जुड़े किसी भी प्रकार की जरूरत के लिए अधिग्रहण करने की शक्ति देता है. इस प्रस्ताव के तहत आयोग अब केवल पोलिंग स्टेशन या फिर बैलेट बॉक्स या ईवीएम रखने के अलावा भी परिसर का अन्य प्रकार की जरूरत के लिए इस्तेमाल कर सकता है. कोई भी देश का नागरिक, जिसका आधार कार्ड हो वह खुद वोटर आईडी ये आधार कार्ड लिंक कर सकेगा.

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