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मां बाप की इज्जत करना इबादत से कम नहीं, मां बाप रहमत हैं, जहमत नहीं: इं. हया फातिमा

लखनऊ : यह बड़े अफसोस की बात है की आज के दौर में बुजुर्गों को तकलीफ दी जा रही है, उन्हें अजीयत पहुंचाई जा रही है। यह गैर एखलाकी और गैर इंसानी काम खुद उनके बच्चे कर रहे हैं। यह बातें सल्तनत मंजिल, हामिद रोड, निकट सिटी स्टेशन, लखनऊ की इंजीनियर हया फातिमा ने कही। मां बाप जिंदगी भर मेहनत व मुसक्वत कर उन्हें अच्छी तालीम देते हैं, उनकी परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़तें, उन्हें इस लायक बनाते हैं की वो समाज में उठ बैठ सके, इज्जत पाए और अपना और अपने खानदान का नाम रोशन कर सकें। बच्चों के लिए अपनी सारी जिंदगी के अरमान व चाहत उनपर कुर्बान कर देते हैं। बच्चों की एक छोटी सी तकलीफ भी उन्हें बर्दाश्त नहीं होती मगर जब यही बच्चे बड़े होकर मां बाप से आंखें फेर लेते हैं, खाना पीना, ईलाज व कपड़ों की तो बात ही छोड़ दीजिए, कदम कदम पर उन्हें जलील करते हैं, तकलीफें पहुंचाते हैं, उन्हें रुसवा करने में कोई कसर नहीं उठाते हैं तो उन्हें कितनी तकलीफ होती है ? इंजिनियर हया फातिमा आगे कहती हैं कि आज कल बहुत कम ही लोग ऐसे खुश क़िस्मत होते हैं जिनके बच्चे उनकी खिदमत करते हैं, उन्हें वो प्यार देते हैं जिसके वो मुस्तहक हैं। ज्यादातर बुजुर्ग मां बाप को धक्के ही खाने पड़ते हैं। ऐसी हालत में बेचारे मां बाप या तो घर छोड़ देते हैं या खुदकशी करने पर मजबूर हो जाते हैं। यह बात सोचने की है की एक मां बाप कई बच्चों को पाल पोस कर बड़ा करते हैं, जबकि वही मां बाप जब बूढ़े हो जाते हैं तो उनके बच्चे इन्ही दो लोगों को नहीं पाल पातें। यह हालत वाकई समाज के लिए नासूर है और ज़हर घोल रहा है। इस तरह का बर्ताव करने वाले शायद यह नहीं सोंचतें कि अगर उनके बच्चे भी इस तरह का बर्ताव करते देखेंगे तो वो भी उनके साथ ऐसा ही बर्ताव बड़े होकर करेंगे तो उन्हें कैसा महसूस होगा? हमें इस सिलसिले में जागरूकता अभियान चलाना होगा और लोगों को यह बताना होगा की मां बाप बोझ नहीं होते, वो इज्जत करने लायक होते हैं, उनकी इज्जत करना इबादत है। मां बाप रहमत हैं, जहमत नहीं।

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