
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन छह साल बाद मंगलवार को अपनी बुलेट ट्रेन से चीन पहुंचे, उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया कि वे बीजिंग जाएंगे और वहां द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित सैन्य परेड में हिस्सा लेंगे। किम जोंग उन सैन्य परेड में शामिल होने के लिए अपनी बुलेट ट्रेन से 20 घंटे की यात्रा कर बीजिंग पहुंचे हैं। इस समारोह में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल होंगे। प्योंगयांग से बीजिंग तक का किम जोंग उन का सफ़र कई मायनों में बेहद दिलचस्प है।
किम के पिता और दादा भी करते थे इसकी सवारी
बता दें कि मीडिया से गायब रहने वाले तानाशाह किम जोंग उन की साल 2023 के बाद यह पहली विदेश यात्रा है। इससे पहले किम 2023 में रूस के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी। किम जोंग उन की इस ऐतिहासिक ट्रेन को शाही सवारी कहा जाता है। इस ट्रेन की खासियत ये है कि इसमें किम के पिता और दादा भी इससे सफर कर चुके हैं। किम को यह ट्रेन इसलिए पसंद है कि ये बुलेट प्रूफ होने के साथ-साथ हथियारों और सैनिकों से लेस है। इसकी सुरक्षा को भेद पाना आसान नहीं है। यही कारण है कि किम जोंग उन अपनी विदेश यात्रा पर अपनी ही ट्रेन से जाते हैं।
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बोइंग विमान से गए थे सिंगापुर
दो साल पहले जब किम रूस गए थे तो इसी ट्रेन से गए थे। इससे पहले 60 घंटे की यात्रा कर इसी ट्रेन से वो वियतनाम गए थे। 2018 में जब किम जोंग उन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने गए थे, तो चीन ने उनके लिए बोइंग 787 विमान भिजवाया था, जिसमें सवार होकर वो सिंगापुर गए थे।
क्या है इस ट्रेन की खासियत
किम जोंग उन की इस बुलेटप्रूफ हरी ट्रेन की खासियत ये है कि इसमें 20 से अधिक डिब्बे हैं और काफी धीमी चलती है। आप जानकर हैरान होंगे कि इस ट्रेन की स्पीड मात्र 45 किलोमीटर प्रति घंटे की है, वहीं जब यह ट्रेन चीन पहुंचेगी तो उसकी रफ्तार बढ़कर 80 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाएगी। इसी रफ्तार की वजह से उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग से बीजिंग तक पहुंचने में किम जोंग उन को 20 घंटे का वक्त लगा है।
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किम जोंग उन की यह ट्रेन एक तरह से चलता-फिरता सुरक्षित किला है, जो गहरे हरे रंग की है और बुलेटप्रूफ़ कवच से पैक है। इस ट्रेन में आधुनिक संचार प्रणाली, कॉन्फ्रेंस रूम, लग्जरी सुइट्स और सुरक्षा इंतज़ाम मौजूद हैं। आम तौर पर उनकी इस ट्रेन के डिब्बे तीन हिस्सों में बंटे हैं। इस ट्रेन के सबसे आगे सुरक्षा जांच वाले डिब्बे, ट्रेन के बीच के हिस्से में किम जोंग उन के कोच और सबसे पीछे हिस्से में उनका सामान ढोने वाले डिब्बे लगे हुए हैं। ट्रेन की सुरक्षा ऐसी है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता।
प्योंगयांग से बीजिंग तक का ट्रेन का रूट
अब इस ट्रेन का पूरा रूट जान लीजिए कि कैसे यह ट्रेन बीजिंग तक पहुंचेगी। सबसे पहले ट्रेन प्योंगयांग रेलवे स्टेशन पर आती है, जहां सबसे पहले यह ट्रेन उत्तर कोरिया की प्योंगुई रेलवे लाइन पर चलती है, जो राजधानी प्योंगयांग को उत्तर-पश्चिमी बॉर्डर सिटी सिनुइजु से जोड़ती है, जहां उत्तर कोरिया और चीन की सीमाएं मिलती हैं। सिनुइजु से यह ट्रेन यालू नदी को पार करती है, जो चीन-उत्तर कोरिया को मैत्री पुल से जोड़ता है। फिर जैसे ही ट्रेन इस पुल को पार करती है, वह चीन के शहर डांडोंग में प्रवेश कर जाती है।
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इसके बाद यह बुलेट ट्रेन चीन के उत्तर-पूर्वी प्रांत लियाओनिंग से गुजरती है, फिर डांडोंग से जाते हुए आगे ट्रेन शेनयांग से होकर निकलती है। फिर धीरे-धीरे उत्तर-पूर्वी चीन की मांचुरिया की पहाड़ी को पार करती हुई बीजिंग की ओर बढ़ती है। इस ट्रेन को पूरे रास्ते में 177 रेल पुल और करीब 5 सुरंगे पार करनी पड़ती हैं। बता दें कि इसी रेल रूट पर उत्तर कोरिया का सबसे लंबा रेल ब्रिज भी है, जिसकी लंबाई 1200 मीटर से भी अधिक है। इस मार्ग में ट्रेन यालू नदी घाटी और पश्चिमी मांचुरिया की ऊंचाई वाले इलाकों को पार करती है।
क्यों इतनी लंबी यात्रा कर चीन गए हैं किम
अब जान लेते हैं कि 20 घंटे की यात्रा कर उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन चीन क्यों पहुंचे हैं। तो बता दें कि चीन लंबे समय से उत्तर कोरिया का बड़ा मददगार रहा है। दोनों देशों की दोस्ती पुरानी है।अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद चीन उसकी आर्थिक मदद करता रहा है। बता दें कि, इन दिनों किम जोंग उन रूस के भी काफी करीब आए हैं। उन्हें पुतिन के साथ भी देखा गया था। अमेरिका और दक्षिण कोरिया आरोप लगाते रहे हैं कि उत्तर कोरिया ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में अपने हथियार और सैनिक उपलब्ध कराए हैं। उसके बाद अब बीजिंग की परेड में किम जोंग उन, पुतिन और शी जिनपिंग के साथ नजर आएंगे, जो तीनों शक्तिशाली नेताओं के बीच गहरी दोस्ती को दर्शाती है।