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संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा

विरोधी दलों ने भारतीय जनमानस के साथ खड़ा होने का अवसर खो दिया

मृत्युंजय दीक्षित


पहलगाम की आतंकी घटना के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से अपनी अदभुत वीरता व पराक्रम का परिचय देते हुए पाकिस्तान स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को मात्र बाईस मिनट में नष्ट कर दिया। राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडी गठबंधन पहले तो इस विषय पर सदन का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग कर रहा था किन्तु सत्र के आरम्भ के साथ ही उसने चर्चा से जुड़ी नयी नयी मांगों के साथ हंगामा करना आरम्भ कर दिया । अंततः संसद के दोनों सदनों में सहमति बन जाने के बाद संसदीय गतिरोध दूर हुआ और संसद में 16- 16 कुल मिलाकर 32 घंटे की चर्चा हुई । इस चर्चा को केवल भारत ही नहीं अपितु वैश्विक जगत ने भी सुना विशेषकर भारत विरोधी ताकतों चीन, पाकिस्तान और उसके आतंकी संगठनों की दृष्टि भी इस चर्चा पर लगी रही।

सरकार की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेशमंत्री एस. जयशंकर और गृहमंत्री अमित शाह ने सरकार का पक्ष रखा और लोकसभा में प्रधानमंत्री जी के उत्तर के साथ चर्चा पूरी हुई जबकि राज्यसभा में चर्चा का उत्तर गृह मंत्री अमित शाह जी ने दिया। जब गृहमंत्री चर्चा का उत्तर देने के लिए खड़े हुए तो इंडी गठबंधन के प्रमुख दल कांग्रेस ने अपने नेता मल्लिकार्जुन खडगे के नेतृत्व में यह कहते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया कि वो तो प्रधानमंत्री से ही उत्तर चाहते हैं।

इस पूरी चर्चा में इंडी गठबंधन के नेताओं ने जन सामान्य को निराश किया। कांग्रेस की पहली बार की महिला संसद परणीती शिंदे ने ऑपरेशन सिंदूर को तमाशा बताया जबकि प्रियंका गाँधी ने इस बात को व्हाईट वॉश करने के प्रयास किया कि पहलगाम की वारदात में आतंकियों ने लोगों को उनका धर्म पूछकर मारा था। प्रियंका गांधी ने तो बार बार टोके जाने के बाद भी यह स्वीकार नहीं किया कि लोगों को हिंदू होने के कारण मारा गया। गौरव गोगोई और हुड्डा बहुत निम्न स्तर की बात कर रहे थे और राहुल की सुई ट्रम्प पर अटकी रही।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद का सत्र शुरू होने पर कहा था कि संसद का यह सत्र अपनी विजय का उत्सव मनाने का सत्र है किंतु कांग्रेस व सहयोगी दलों ने इसके ठीक विपरीत जाकर कार्य किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार की आलोचना करते -करते यह सभी लोग चीन -पाकिस्तान की सरपरस्ती में लग गये। कांग्रेस ने अपने दो सांसदों शशि थरूर व मनीष तिवारी के बोलने का वसर नहीं दिया क्योंकि यह दोनों सांसद सरकार की ओर से भेजे गए सर्वदलीय प्रतिनिधमंडल में शामिल रहे थे।

कांग्रेस ने संसद में केवल राहुल गांधी के वफादार सांसदों को ही बोलने का अवसर दिया जो उनकी मुस्लिम तुष्टिकरण की रणनीति व सरकार तथा प्रधानमंत्री मोदी की छवि को खराब करने के लिए कितना भी नीचे जा सकते हैं। जैसा अपेक्षित था राहुल गांधी, गोगोई और शिंदे के बयानों पर पाकिस्तान में तालियां बजाई जा रही हैं। भविष्य में पाकिस्तान अपने बचाव के लिए कांग्रेस के इन्हीं नेताओं के बयानों का सहारा लेगा। कांग्रेस की पिछली पीढ़ी के सक्रिय नेताओं ने भी आपत्तिजनक बयान दिए – चिन्दम्बरण, चौहाण, दिग्विजय सब एक से बढ़कर एक रहे।

इंडी गठबंधन के अन्य दलों ने भी लगभग कांग्रेस की दिशा ही ली। राज्यसभा में सपा की जया बच्चन ने ऑपरेशन सिंदूर के नाम को पर सवाल उठा दिया। संपूर्ण विपक्ष अत्यंत संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित होकर अपने एक विशेष वर्ग के तुष्टिकरण का ध्यान रखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा को दरकिनार करते हुए चर्चा कर रहा था। होना तो यह चाहिए था कि सभी दल एक स्वर में पहलगाम की घटना की निंदा करते हुए पाकिस्तान व आतंकी संगठनों की तीखी आलोचना करते कि जिससे पूरी दुनिया में एक स्पष्ट संदेश जाता कि भारत के सभी राजनैतिक दल आतंक के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह से एकजुट हैं किंतु ऐसा हो नही सका। इस बीच शरद पवार की पार्टी की सुप्रिया सुले ने अवश्य प्रतिनिधि मंडल में विरोधी दलों को शामिल किये जाने को प्रधानमंत्री का बड़प्पन बताया और राष्ट्र सर्वोपरि की बात कही।

सरकार की ओर से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह , गृहमंत्री अमित शाह व विदश मंत्री एस जयशंकर सहित सत्तापक्ष के सांसदों ने पूरे तथ्यों और तर्कों के साथ अपना पक्ष रखा। गृहमंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय मनमोहन सिंह के कार्यकाल और अपनी सरकार के कार्यकाल की आंकड़ों के साथ तुलना करते हुए आक्रामक रूप से सरकार का पक्ष रखा। गृहमंत्री ने बताया कि 2004 से 2014 तक भारत में कुल 27 बड़े आतंकी हमले हुए और 1000 से अधिक लोगों की जान चली गई किंतु तब की यूपीए सरकार कोई भी कड़ा कदम नही उठाती थी केवल डोजियर भेजती थी।

अमित शाह ने कहा कि विपक्ष बार- बार पूछ रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर को क्यों रोका गया? जबकि कांग्रेस को तो यह सवाल पूछने का नैतिक अधिकार ही नहीं है। 1948 में सरदार पटेल के विरोध के बाद भी जवाहर लाल नेहरू ने एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा कर दी थी। गृहमंत्री ने कहा कि पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू ओर इंदिरा गांधी के कार्यकाल की वजह से ही आज की स्थिति बनी है। गृहमंत्री ने अनुच्छेद- 370 के पूर्व के कश्मीर और वर्तमान कश्मीर के हालातों का भी आंकड़ों के साथ तुलनात्मक विवरण देते हुए कांग्रेस को बेनकाब किया। 2004 से 2014 तक जो बम धमाके हुए उनके आतंकवादी कहां से आ रहे थे और कहां छिप रहे थे?

राज्यसभा में गृह मंत्री की कही हुयी दो बातें सदन के रिकॉर्ड में सदा के लिए अंकित हो चुकी हैं जो प्रत्येक हिन्दू को गर्व से भर देने वाली हैं। गृह मंत्री ने कहा, “ मैं गर्व से कह सकता हूँ, हिन्दू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता” और दूसरा, “ हर हर महादेव केवल धार्मिक नारा नहीं है ये हमारी स्वतंत्रता का उद्घोष है”
सदन में बहस के दौरान कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा गया कि, यूपीए सरकार के दौरान भारत -पाकिस्तान के बीच आतंक, व्यापार, पर्यटन व खेल सब कुछ चलता रहा। यूपीए सरकार के दौरान बम धमाके की आवाज और शांति का उर्स साथ साथ चल रहा था।

अब नरेंद्र मोदी की सरकार में खून और पानी एक साथ नहीं बह रहा। बहस के दौरान सत्तापक्ष की ओर से कहा गया कि जो लोग मुंबई व अन्य आतंकी हमलों पर चुप रहे ,आज हमें ज्ञान दे रहे हैं। बहस के दौरान विदेश मंत्री एस.जयशंकर व गृहमंत्री ने स्पष्ट किया कि 22 अप्रैल से लेकर 16 जून तक अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ कोई वार्ता या संपर्क नहीं हुआ।

स्संसद में हुई इस बहस में कुछ अपवादों को छोड़कर केवल भारतीय जनता पार्टी के सांसद ही भारत का पक्ष रख कर बहस कर रहे थे जबकि विरोधी दलों के नेता मुस्लिम तुष्टिकरण की भावना से ग्रस्त होकर बहस कर रहे थे। विपक्षी सांसद पाकिस्तान के झूठे प्रोपोगैंडे पर बरकरार रहते हुए सरकार से सवाल पूछ रहे थे।
प्रधानमंत्री ने रखा भारत का पक्ष – प्रधानमंत्री मोदी ने जब अपने संबोधन का आरम्भ यह कहकर किया किया कि मैं भारत का पक्ष रखने के लिए खड़ा हुआ हूँ तभी देश को समझ में आ गया कि आज प्रधानमंत्री जी देश की जनता के मन को को जीतने के लिए बोल रहे हैं। प्रधानमंत्री का संबोधन ऑपरेशन सिंदूर के विजय उत्सव का प्रतीक बन गया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की विजय गाथा को स्पष्ट और विस्तार के साथ सदन को बताया।

प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा कि आज देश हैरान है कि कांग्रेस पाकिस्तान को क्लीन चिट दे रही है।आज देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है किंतु कांग्रेस अपने मुद्दों के लिए पाकिस्तान पर निर्भर हो रही है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहाकि जब देश मुंबई हमले में न्याय मांग रहा था यूपीए पाकिस्तान से व्यापार करने में जुटी रही। यूपीए सरकार पाकिस्तान को मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा देती रही जिसे हमने बंद किया।

उन्होंने सिंधु जल संधि का उल्लेख करते हुए कहाकि यह समझौता भारत के हितों से बहुत बड़ा धोखा था। पानी हमारा, लेकिन 80 फीसदी जल पाकिस्तान को जा रहा था हमने इस गलती को सुधारा। प्रधानमंत्री ने बताया कि आपरेशन सिंदूर और उसके बाद जो कार्यवाही भारत ने की है वह पाकिस्तान को हमेशा याद रहेगी उनके कई एयरबेस अभी भी ठप पडे़ हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने पाकिसन की परमाणु धमकियों की पोल खोल कर रख दी है और अब हम भी ऐसी धमकियों के आगे झुकने वाले नहीं हैं। प्रधनमंत्री ने ऑपरेशन के विभिन्न पहलुओं की सफलता सदन के माध्यम से देश के सामने रखी। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि दुनिया के किसी नेता ने ऑपरेशन सिंदूर रोकने को नहीं कहा और न ही यह रोका गया है।

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