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हंगामेदार रहेगा इस बार का शीतकालीन सत्र! इन 8 मुद्दों पर विपक्ष के निशाने पर रहेगी केंद्र सरकार

संसद का शीतकालीन सत्र इस बार काफी अहम रहने वाला है. 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले 1 महीने तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के माध्यम से विपक्ष कई मुद्दों पर देश का ध्यान खींचने की कोशिश करेगा. ऐसे में पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में जोरदार बहस देखने को मिल सकती है. सूत्रों के मुताबिक इस बार संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 29 नवंबर से हो सकती है और 23 दिसंबर तक जारी रह सकता है.

इससे पहले यानी साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण संसद का शीतकालीन सत्र स्थगित कर दिया गया था. हालांकि, इस बार सत्र के होने की पूरी संभावना जताई गई है. इस बार शीतकालीन सत्र में लगभग 20 बैठकें होने की संभावना है. हालांकि, इस दौरान कोरोना के मानदंडों का पालन करना अनिवार्य रहेगा. आइए उन मुद्दों पर नजर डालते हैं जिन्हें विपक्ष इस सत्र में उठा सकता है…

भारतीय क्षेत्र में चीनी ‘घुसपैठ’

अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सीमा में पेंटागन ने चीन द्वारा गांव बनाए जाने का दावा किया है. इसके बाद से ही यह मुद्दा सुर्खियों में है. हालांकि, मंगलवार को ही इस मुद्दे पर भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने जानकारी दी है और बताया है कि भू-भाग करीब छह दशकों से चीनी सेना के नियंत्रण में है. उन्होंने यह भी कहा कि चीन द्वारा एक ऐसे क्षेत्र में गांव निर्मित किया गया है जिस पर 1959 में असम राइफल्स की एक चौकी को उजाड़ने के बाद से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का कब्जा है.

हालांकि, गलवान घाटी से लेकर अरुणाचल तक चीन सैनिकों की गतिविधियों को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है. मंगलवार को ही राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के नेताओं के उत्साह वर्जन के लिए ट्वीट कर केंद्र के खिलाफ लड़ाई को जारी रखने की बात कही थी. ऐसे में पूरी उम्मीद है कि संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा सकता है.

राफेल सौदे का रिश्वत कांड

फ्रेंच मैगजीन द्वारा राफेल सौदे को लेकर किए गए नए खुलासे के बाद एक बार फिर राफेल विमान के सौदे का मुद्दा भारतीय राजनीति के केंद्र में पहुंच गया है. मैगजीन का दावा है कि राफेल सौदे के लिए 65 करोड़ रुपये की घूस दी गई थी, ताकि सौदा हो सके. इस घूस की जानकारी भारतीय एजेंसी सीबीआई और ईडी को भी थी, 2018 से उनके पास रिश्वत कांड के कागज भी थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. मैगजीन का दावा है कि रिश्वत का सारा पैसा 2013 तक बिचौलिए गुप्ता तक पहुंचा दिया गया था. इस पूरे मुद्दे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने है. ऐसे में इस मुद्दे का भी सदन में उठना तय माना जा रहा है. विपक्ष एक रणनीति के तहत इस मुद्दे को उठाकर आगामी चुनाव में वेटेज लेने की कोशिश करेगी.

लखीमपुर खीरी हिंसा

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा का मामला सदन में विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले प्रमुख मुद्दों में शामिल रह सकता है. दरअसल, तीन नवंबर को लखीमपुर खीरी हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोग मारे गए थे. लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारियों का एक समूह जब उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था तो 4 किसान एसयूवी कार से कुचल गए थे. उसके बाद दो भाजपा कार्यकर्ताओं एवं एक ड्राइवर की कथित रूप से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. इस दौरान एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी.

इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस, बसपा, समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर हमला बोला था और कई दल के नेता लखीमपुर पहुंचकर पीड़ित परिवारों से भी मिले थे. वारदात के बाद विपक्षी दलों ने इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके.

कृषि कानून

पंजाब और उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिहाज से केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बना माहौल काफी अहम है और संसद के सत्र में इस मुद्दे पर घमासान हो सकता है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार पर हमलावर रहे हैं. वहीं, तमाम विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर किसानों के साथ खड़े नजर आए हैं. इधर, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए 26 नवंबर तक का वक्त दिया है.

टिकैत ने कहा कि 26 नवंबर तक अगर केंद्र सरकार कानूनों को वापस नहीं लेती है तो इसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को तेज किया जाएगा. 27 नवंबर से किसान गांवों से ट्रैक्टरों से दिल्ली के चारों तरफ आंदोलन स्थलों पर बॉर्डर पर पहुंचेंगे और पक्की किलेबंदी के साथ आंदोलन और आंदोलन स्थल को मजबूत करेंगे.

किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को रद्द करे और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए कानून बनाए. इसे लेकर केंद्र और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई हल नहीं निकला है. केंद्र का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में हैं जबकि प्रदर्शनकारियों का दावा है कि ये कानून उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देंगे.

मुंबई क्रूज ड्रग्स पार्टी मामला

मुंबई क्रूज ड्रग्स पार्टी मामले में तमाम बड़े नामों के जुड़े होने के कारण यह मुद्दा भी सुर्खियों में है. इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र में विपक्ष की पार्टी भाजपा और सरकार आमने-सामने है. इस मुद्दे को लेकर संसद में हंगामा होना तय माना जा रहा है. इसमें स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के मुंबई जोनल निदेशक समीर वानखेड़े का नाम शामिल होने के कारण केंद्रीय एजेंसी पर सवाल उठे हैं. शिवसेना सांसद संजय राउत और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक इस मुद्दे पर मुखर हैं.

बेरोजगारी और महंगाई

उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत 5 राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को सदन में उठा सकती हैं. सरकार लगातार महंगे तेल और बढ़ती बेरोजगारी को लेकर विपक्ष के निशाने पर रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में गरीबों की संख्या बढ़ी है, पिछले 8 सालों में 76 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं. इस रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए हाल ही में राहुल गांधी ने महंगाई को लेकर सरकार पर निशाना साधा था.

उन्होंने कहा था, जो पहले मध्यवर्ग में थे, अब गरीब हैं, जो पहले गरीब थे, अब कुचले जा रहे हैं, कहां गए जो कहते थे अच्छे दिन आ रहे हैं?’ ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस ने अपनी रणनीति में संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों में इसे प्रमुखता से रख सकती है. साथ ही वो पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ी कीमतों पर भी सरकार को सदन में घेर सकती है.

कश्मीर में नागरिकों पर आतंकी हमले

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा किए जा रहे आम नागरिकों की हत्या का मुद्दा भी सदन में विपक्ष उठा सकता है. जम्मू-कश्मीर में पिछले 40 दिनों में करीब 15 नागरिकों को निशाना बनाकर आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया है. इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के भी कई मजदूर शामिल हैं. बीते सोमवार को ही श्रीनगर के बोहरी कदल इलाके में आतंकवादियों ने एक आम नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी.

घाटी में आम नागरिकों की हत्या की घटनाओं को लेकर कांग्रेस लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नीतियों पर सवाल उठाती दिखी है. साथ ही विपक्ष ने कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं. हालांकि, सरकार इन घटनाओं का पिछले कई सालों में हुईं हत्याओं के आंकड़ों के सहारे जवाब देने में लगी है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘2004 से 2014 के बीच कुल 2,081 आम नागरिक मारे गए और सालाना औसत मृत्यु का आंकड़ा 239 था. 2014 से इस साल सितंबर तक दुर्भाग्य से 239 आम नागरिकों की जान चली गयी यानी प्रति वर्ष 30 लोगों की मृत्यु हुई. आंकड़े कम हुए हैं लेकिन हम संतुष्ट नहीं हैं.’

पेगासस जासूसी मामला

अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह द्वारा पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये जासूसी का खुलासा किए जाने के बाद से ही यह मामला सुर्खियों में है. कांग्रेस कह चुकी है कि इस इजरायली स्पाईवेयर की खरीद भारत सरकार ने की थी. कांग्रेस लगातार इस मुद्दे को उठाती रही है. ऐसे में यह मुद्दा भी संसद में होने वाले संभावित हंगामेदार बहस का हिस्सा बन सकता है.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस के जरिए पत्रकारों, कार्यकर्ताओं एवं नेताओं समेत भारतीय नागरिकों की कथित जासूसी के मामले की स्वतंत्र रूप से जांच के लिए विशेषज्ञों की 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है और कहा कि सरकार हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर बच नहीं सकती. कोर्ट ने कहा कि सरकार हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देकर बच नहीं सकती और इसे ‘हौवा’ नहीं बनाया जा सकता जिसका जिक्र होने मात्र से न्यायालय खुद को मामले से दूर कर ले. पीठ ने कहा कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देने मात्र से कोर्ट ‘मूक दर्शक’ बना नहीं रह सकता.

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