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Passes Away : मशहूर बंगाली गायिका संध्या मुखर्जी का कोलकाता के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में हुआ निधन

मनोरंजन जगत से जुड़े लोगों के लिए एक बुरी खबर आई है. मशहूर बंगाली गायिका संध्या मुखर्जी का कोलकाता के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया है. कुछ दिन पहले ही उन्हें अस्पताल में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से भर्ती कराया गया था. उनकी हालत स्थिर थी लेकिन आज उनके निधन की खबर ने म्यूजिक इंडस्ट्री को शोक में डाल दिया है. उनके जाने की खबर से उनके चाहने वालों में शोक की लहर है. 60 और 70 के दशक में अपने मधुर आवाज से अपना मन मोहने वाली संध्या मुखर्जी ने कई बेहतरीन गाने दिए हैं. उन्होंने ना सिर्फ बंगाली इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई बल्कि बल्कि पूरे देश के म्यूजिक से जुड़े लोगों में बड़ा सम्मान हासिल किया. उनका जाना केवल बंगाली म्यूजिक इंडस्ट्री की ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री की क्षति है.

पाटीआई ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से दी जानकारी

दिवंगत गायिका संध्या मुखर्जी का जन्म 4 अक्टूबर 1931 को कोलकाता के धकुरिया में हुआ था. उन्होंने बचपन में संगीत की शिक्षा पंडित संतोष कुमार बासु प्रोफेसर ए टी कन्नन और प्रोफेसर चिन्मय लहरी से ली थी. उनके गुरु उस्ताद बड़े गुलाम अली खान थे. उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की थी. उन्होंने ना सिर्फ बंगाली गाने गए बल्कि उन्होंने कई हिंदी गानों को भी अपनी आवाज दी. उनका बंगाली गायक हेमंता मुखर्जी के साथ डुएट गाने बहुत लोकप्रिय हुए. उन्होंने एक अलग ही पहचान दिलाई.

गायिका संध्या मुखर्जी को 2011 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान बंगा विभूषण से सम्मानित किया गया है. उन्हें 1970 में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था. उन्होंने कई ऐसे तराने दिए हैं जो आज भी यादगार हैं. 60 और 70 का दशक उनके लिए स्वर्णिम दिन थे.

गायिका ने ठुकरा दिया था पद्मश्री सम्मान

संध्या मुखर्जी हाल ही में तब ज्यादा चर्चा में आई थीं जब उनकी ओर से पद्मश्री सम्मान को ठुकरा दिया गया. 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर उन्हें ये सम्मान दिया गया था. गायिका की बेटी सौमी ने कहा कि उनकी मां न्स सम्मान लेने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा था कि 90 साल की उम्र में उनके जैसे एक दिग्गज को पद्मश्री प्रदान करना बेहद अपमानजनक है. उन्होंने साथ मे ये भी कहा था कि इसे राजनीतिक रूप न दें. ये राजनीति से बहुत आगे और अलग है.

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