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प्रदूषण के चलते अस्पताल पहुंचने वालों की संख्या दोगुनी हुई, दिल्‍ली से भी ज्‍यादा खराब हुए हरियाणा के इस शहर के हालात

दिल्ली-एनसीआर में अगले तीन दिनों तक हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार होने की उम्मीद नहीं है. अधिकारियों ने कहा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को गैर-जरूरी निर्माण, परिवहन और बिजली संयंत्रों को रोकने जैसे उपायों पर निर्णय लेने के लिए मंगलवार की शाम एक आपातकालीन बैठक बुलाने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस दलील पर भी ध्यान दिया कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने का बड़ा योगदान नहीं है और सुझाव दिया कि शहर की धूल, उद्योग और वाहनों के उत्सर्जन पर ध्यान केंद्रित करें.

वहीं दिल्ली-एनसीआर में एक सप्ताह के अदंर प्रदूषण संबंधी बीमारियों के चलते अस्पताल पहुंचने वालों की संख्या 22 प्रतिशत से 44 प्रतिशत हो गयी है लेकिन इस क्षेत्र के लोग वायु प्रदूषण कम करने के लिए तीन दिनों का लॉकडाउन लगाने के विषय पर बंटे हुए हैं. सोमवार को एक नवीनतम सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी.

डिजिटल मंच लोकल सर्किल्स के सर्वेक्षण में पाया गया कि लोगों पर वायु प्रदूषण की स्थिति दूसरे सप्ताह में और बिगड़ गयी तथा दिल्ली -एनसीसीआर के 86 प्रतिशत परिवारों में एक या एकाधिक सदस्य जहरीली हवा का प्रतिकूल प्रभाव झेल रहे हैं. उसने कहा कि करीब 56 प्रतिशत परिवारों में एक या एकाधिक को गले में खराश, कफ, गला बैठने, आखों में जलन जैसी दिक्कतें हैं.

इस सर्वेक्षण में दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद एवं फरीदाबाद के 25000 से अधिक लोगों की राय ली गयी. इन शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 300-1000 के बीच है. सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘पिछले दो सप्ताह में डॉक्टर या अस्पताल का चक्कर काटने वालों की प्रतिशत दोगुना हो गया है तथा मदद चाहने वाले परिवार 22 प्रतिशत से बढ़कर 44 प्रतिशत हो गये हैं. ’

दिल्ली में लॉकडाउन लगाने पर लोगों की राय जुदा

सर्वेक्षण के अनुसार लेकिन दिल्ली -एनसीआर में तीन दिनों के लॉकडाउन लगाने की बात पर लोगों की राय बंटी हुइ हैं. कई लोगों का कहना है कि ऊंचे एक्यूआई की वजह पराली जलाना है और दिल्ली में लॉकडाउन लगाने से कोई मदद नहीं मिलने वाली है. सर्वेक्षण के मुताबिक लॉकडाउन के पक्षधरों का कहना है कि पराली जलाना एक ऐसा विषय है जिसपर थोड़े समय में कुछ नहीं किया जा सकता लेकिन वाहनों तथा निर्माण जैसी गतिविधियां रोकने से प्रदूषण घटाने में मदद मिल सकती है.

हरियाणा के नारनौल में 359 पहुंचा AQI

राष्ट्रीय राजधानी के पड़ोसी राज्य हरियाणा ने भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के कारण चार जिलों –गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर और सोनीपत में सभी स्कूलों को 17 नवंबर तक बंद करने का फैसला किया है.

पिछले 24 घंटे में सबसे खराब एक्यूआई दर्ज करने वाले पांच शहर

शहर एक्यूआई
नारनौल (हरियाणा) 359
दिल्ली और कोटा (राजस्थान) 353
मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) 351
जींद (हरियाणा) 350
उदयपुर (राजस्थान) 348

किसी शहर का एक्यूआई किस श्रेणी में आता है, यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा दर्ज किया जाता है. इसके अनुसार शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ माना जाता है. केंद्रीय विभाग हर दिन भारतीय शहरों द्वारा दर्ज किए गए एक्यूआई पर 24 घंटे का डाटा जारी करता है.

पंजाब में पराली जलाने की अब तक 67 हजार से अधिक घटनाएं दर्ज

पंजाब में फसल अवशेष के प्रबंधन और खेतों में पराली जलाने के लिये जुर्माना लगाये जाने के बावजूद प्रदेश में खेतों में आग लगाने की 67 हजार से अधिक घटनायें दर्ज की गयी हैं. अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि किसान राज्य भर में धान की पराली जलाने पर प्रतिबंध की धज्जियां उड़ाते रहे, और रविवार को पराली जलाने संबंधी लगभग 2,500 और सोमवार को 1700 घटनाएं देखी गईं, जिनमें से सबसे अधिक संगरूर जिले में हुईं.

रविवार तक प्रदेश में पराली जलाने के 65404 मामले दर्ज

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए, राज्य सरकार ने अब तक दोषी किसानों के खिलाफ 2.46 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है. अधिकारी ने कहा कि पंजाब में सोमवार तक पराली जलाने की 67,165 घटनाएं हुईं. रविवार तक प्रदेश में पराली जलाने के 65404 मामले दर्ज किये गये जबकि पिछले साल 14 नवंबर तक 73,893 मामले दर्ज किए गए थे.

हालांकि, इस साल अब तक ऐसे मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में कम है, लेकिन इसने 2019 के आंकड़ों को पार कर लिया है. आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में 2019 में 52,991 की तुलना में 2020 में पराली जलाने की 76,590 घटनाएं देखी गई थीं.

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